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जान पर भारी पड़ रहे ऑलवेदर रोड के डेंजर जोन, पढ़िए पूरी खबर

ऑलवेदर रोड के तहत गौरीकुंड बदरीनाथ गंगोत्री व यमुनोत्री हाईवे को डबल लेन निर्माण कार्य के चलते हाईवे पर बने स्लाइडिंग मुसीबत का सबब बन गए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 10:07 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 10:07 AM (IST)
जान पर भारी पड़ रहे ऑलवेदर रोड के डेंजर जोन, पढ़िए पूरी खबर
जान पर भारी पड़ रहे ऑलवेदर रोड के डेंजर जोन, पढ़िए पूरी खबर

रुद्रप्रयाग, बृजेश भट्ट। चारधाम परियोजना (ऑलवेदर रोड) के तहत सरकार गौरीकुंड (केदारनाथ), बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री हाईवे को डबल लेन कर यात्रा को निरापद बनाने का प्रयास जरूर कर रही है, लेकिन निर्माण कार्य के चलते हाईवे पर बने स्लाइडिंग मुसीबत का सबब बन गए हैं। इन स्लाइडिंग जोन के ट्रीटमेंट को लेकर पिछले दो वर्षों से निर्माण एजेंसी मात्र सर्वे तक ही सिमटी हुई है, जिसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। यह हादसा भी इसी की परिणति है।

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चारधाम हाइवे पर पहले से ही डेंजर जोन की भरमार है, लेकिन चारधाम परियोजना के तहत चल रहे निर्माण के कारण ये डेंजर जोन और खतरनाक हो गए हैं। हाइवे चौड़ीकरण के लिए पहाडिय़ों को जिस लापरवाही से काटा जा रहा है, उससे 76 किमी लंबा सफर मौत को दावत देने जैसा है। सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर हाइवे का चौड़ीकरण कर रही है, लेकिन अवैज्ञानिक ढंग से हो रही कङ्क्षटग से हर समय बोल्डर व मलबा गिरने का खतरा बना रहता है। वर्तमान में गौरीकुंड हाइवे पर मुख्य रूप से 13 डेंजर जोन सक्रिय हैं, जबकि छोटे डेंजर जोन की संख्या दो दर्जन से अधिक है। लेकिन, इनके ट्रीटमेंट को अभी तक कोई गंभीर प्रयास नहीं हुए।

बीते वर्ष 21 दिसंबर को गौरीकुंड हाइवे पर बांसवाड़ा में पहाड़ी दरकने से आठ मजदूर मलबे में जिंदा दफन हो गए थे। तब निर्माण एजेंसी के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ, लेकिन कार्रवाई क्या हुई, इस बारे में कोई जानकारी नहीं। हालांकि, इस हादसे के बाद नेशनल हाइवे की ओर से सेंट्रल टीम से डेंजर जोन का सर्वे कराया गया। टीम ने नौ डेंजर जोन चिह्नित कर उनके ट्रीटमेंट की सलाह दी, लेकिन दुर्भाग्य से निर्माण एजेंसी की ओर से ट्रीटमेंट को लेकर कोई कार्ययोजना तैयार नहीं की गई है।

चारधाम परियोजना का कार्य वर्ष 2017 से विधिवत शुरू हो गया था। इसके तहत केदारनाथ के साथ ही बदरीनाथ, गंगोत्री व यमुनोत्री हाइवे पर चौड़ीकरण का कार्य चल रहा है। सरकार 76 किमी लंबे रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाइवे पर ही एक हजार करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च कर रही है। लेकिन, निर्माण एजेंसी और ठेकेदार सरकार की इस मंशा पर पलीता लगा रहे हैं। निर्माण एजेंसियों की लापरवाही से यह पूरा हाइवे बेहद खतरनाक हो गया है और इस पर सफर करना जीवन को दांव पर लगाना जैसा है। जगह-जगह पहाडिय़ों पर अटके बोल्डर लगातार नीचे लुढ़क रहे हैं। बावजूद इसके कटिंग के बाद ट्रीटमेंट करने के बजाय दूसरे स्थान पर कार्य शुरू कर दिया जा रहा है।

हाइवे पर बने 13 मुख्य स्लाइडिंग जोन

भटवाणीसैण, नौलापानी, सिल्ली, रामपुर, अंधेरगडी, बांसवाड़ा, भीरी के पास, खाट, चंडिकाधार, डोलिया देवी, जामू नर्सरी व मुनकटिया।

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पहाड़ी दरकने से हो चुकी एक दर्जन दुर्घटनाएं

बीते वर्ष 21 दिसंबर को बांसवाड़ा के पास चट्टान टूटने से उसके नीचे 11 मजदूर दब गए थे। इनमें से आठ मजदूरों की मौत हो गई, जबकि तीन गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस वर्ष अगस्त में भटवाड़ीसैंण में एक कार के ऊपर बोल्डर गिरने से कार क्षतिग्रस्त हो गई और 11 लोगों ने भागकर जान बचाई। इसके अलावा बांसवाड़ा के पास बोल्डर व मलबा गिरने की नौ घटनाओं में कई वाहनों को क्षति पहुंची और आठ यात्री घायल हुए।

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जेपी त्रिपाठी (अधिशासी अभियंता, नेशनल हाइवे, सिल्ली, रुद्रप्रयाग) का कहना है कि गौरीकुंड हाइवे पर जो स्लाइडिंग जोन चिह्नित किए गए हैं, उनका ट्रीटमेंट किया जाना प्रस्तावित है। हालांकि, निर्माण के दौरान भी ट्रीटमेंट की कार्रवाई की जाती है।

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