चीन सीमा पर बन रही सड़क की चट्टान खिसकी, दो मजदूरों की हुई मौत
पिथौरागढ़ जिले के तहसील धारचूला में गर्बाधार से चीन सीमा तक बीआरओ के तहत निर्माणाधीन सड़क में कार्य के दौरान भूस्खलन हो गया। हादसे में दो मजदूरों की मौत हो गई।
पिथौरागढ़, जेएनएन। गर्बाधार से चीन सीमा लिपूलेख तक निर्माणाधीन सड़क पर राक के पास कार्य के दौरान चट्टान खिसक गई। इसकी चपेट में आने से एक भारतीय महिला मजदूर और एक नेपाली मजदूर की मौत हो गई। अन्य मजदूरों ने भाग कर जान बचाई।
लखनपुर और नजंग के मध्य गर्बाधार से लगभग डेढ़ किमी आगे राक के पास बीआरओ के निर्देशन में निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी कार्य कर रही है। गुरुवार को यहां पर पहाड़ तोडऩे के लिए विस्फोट किया गया। विस्फोट के बाद आए पत्थरों को हटाने का कार्य किया जा रहा था। पत्थर हटाने के लिए मजदूर लगे थे।
इसी दौरान पहाड़ के तरफ से चट्टान खिसक गई। इसके मलबे में दो मजदूरों दुर्गा देवी (45) पत्नी नर सिंह निवासी पांगला, तहसील धारचूला जिला पिथौरागढ़ और भगवान दत्त (55) निवासी सुनसेना जिला दार्चुला, पश्चिमी अंचल नेपाल मलबे में दब गए और उनकी मौत हो गई। अन्य मजदूरों ने भाग कर जान बचाई।
घटना की सूचना थाना पांगला को दी गई। पांगला से पुलिस दल और धारचूला से एसडीआरएफ, राजस्व दल मौके को रवाना हुआ। तहसील मुख्यालय से लगभग 41 किमी की दूरी पर स्थित घटनास्थल पर पहुंच कर मलबे में दबे शव निकाले गए। अन्य मजदूर सुरक्षित हैं। दोनों के शव धारचूला लाए जा रहे हैं।
मृतक महिला मजदूर के बच्चे हुए अनाथ
हादसे में मृत पांगला निवासी महिला मजदूर दुर्गा देवी के बच्चे अनाथ हो गए हैं। मृतका के पति की पूर्व में ही मौत हो गई है। उसके तीन बच्चे हैं, जिसमें दो पुत्र बालिग हैं। जिसमें एक पुत्र तो खुद इसी स्थान पर कार्य करता है। मृतका की पुत्री मात्र 11 वर्ष की है। दुर्गा देवी को कंस्ट्रक्शन कंपनी ने मजदूरों का भोजन बनाने को रखा था, जबकि उससे कार्य मलबा हटाए जाने का कराया जा रहा था।
बीते वर्ष फरवरी में हुआ था भूस्खलन
गर्बाधार से चीन सीमा लिपूलेख तक निर्माणाधीन सड़क में घटनास्थल से कुछ मीटर आगे बीते वर्ष फरवरी में भारी भूस्खलन हो गया था। मलबे में मशीनें दब गई थी। मार्ग ऐसा बंद हुआ कि वर्ष 2018 की कैलास मानसरोवर यात्रा पिथौरागढ़ से गुंजी तक हैलीकॉप्टर से करानी पड़ी। वहीं व्यास घाटी से माइग्रेशन करने वाले ग्रामीणों को आने जाने के लिए नेपाल के सहयोग से काली नदी पर लखनपुर और नजंग के पास दो अस्थाई पुल बना कर आना जाना पड़ा था।
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