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    पिथौरागढ़ और चमोली में बादल फटा, घरों में घुसा पानी; मलबे में दबकर महिला की मौत

    By BhanuEdited By:
    Updated: Tue, 03 Jul 2018 05:18 PM (IST)

    मुनस्यारी बंगापानी और धारचूला तहसील में बादल फटने से भारी बारिश ने तबाही मचाई। दानी बगड़ में हिमालया हाइड्रो का डैम टूट गया। गैला गांव में एक महिला की मलबे में दबने से मौत हो गई।

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    पिथौरागढ़ और चमोली में बादल फटा, घरों में घुसा पानी; मलबे में दबकर महिला की मौत

    पिथौरागढ़, [जेएनएन]: विगत तीन दिनों से हो रही बारिश का कहर सोमवार की रात्रि को मुनस्यारी, बंगापानी और धारचूला तहसीलों में टूटा। भारी वर्षा से हिमनगरी मुनस्यारी का हुलिया बदल गया। गैला गांव में एक महिला की मलबे में दबने से मौत हो गई। रात भर 256 एमएम वर्षा के बाद खलिया से निकलने वाले नाले ने हिमनगरी में कहर बरपाया तो ऊफान पर आई गोरी नदी ने पांच करोड़ की लागत से निर्माणाधीन पुल को बहा दिया।

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    सुरिंग में झूला पुल बह गया और एक माइक्रो हाइडिल निर्माणाधीन प्रोजेक्ट क्षतिग्रस्त हो गया। सेराघाट के पास दानीबगड़ का पैदल पुल भी बह गया। तहसील बंगापानी के सेराघाट क्षेत्र में हिमालयन हाइड्रो की एक बिजली परियोजना का बांध टूट गया। वहीं, चमोली जिले के जोशीमठ के पुलना गांव में बादल फटने से घरों में मलबा घुस गया। मौके पर कई वाहन भी भूस्खलन से मलबे में दब गए। गौरतलब है कि पुलना गांव हेमकुंड साहिब जाने के मार्ग पर स्थित है। यह जानकरी एसडीएम योगेंद्र सिंह ने दी है।

    बांध क्षतिग्रस्त होने से ऊफान पर आई सेरा नदी अपने साथ दो वाहन, निर्माण सामग्री और एक पुल को बहा ले गई। कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में नजंग और मालपा के पुल भी तेज बहाव की भेंट चढ़ गए। धारचूला तहसील के तहत टनकपुर-तवाघाट हाइवे में दोबाट के पास पहाड़ी से लगातार पत्थर गिर रहे। जिसकी वजह से उच्च हिमालय क्षेत्र के लिए आवाजाही रोक दी गई है। 

    मुनस्यारी के तल्ला जोहार से लेकर बंगापानी के बरम तक वर्षा ने अपना रौद्र रू प दिखाया। पूरे क्षेत्र में रात्रि एक बजे से लोग घरों से बाहर हो गए और तेज बारिश में खुले आसमान के नीचे मौसम के शांत होने की प्रार्थना करते रहे। लोगों के सजग रहने से जनहानि तो नहीं हुई, परंतु निवास करने वाले स्थान रहने योग्य नहीं रह चुके हैं। लोग घरों से बाहर खड़े रहे और उनके आशियाने टूटते और क्षतिग्रस्त होते रहे। मौसम के आगे वह लाचार नजर आए। मुनस्यारी, मदकोट, गिरगांव, सेराघाट, जाराजिबली, बरम, कनार, देवीबगड़ सहित अन्य स्थानों पर प्रकृति ने अपना तांडव दिखाया। मदकोट के देवीबगड़ स्थित पुलिस चौकी और पर्यटक आवास गृह मलबे से पट गए।

    मुनस्यारी को जोड़ने वाले थल -मुनस्यारी मार्ग और जौलजीवी-मुनस्यारी मार्ग यातायात के लिए बंद हो गए हैं। थल-मुनस्यारी मार्ग नाचनी से आगे रातीगाड़ के पास बह गया है। बिर्थी से बला के मध्य जाकुर नदी में बना एक पैदल पुल बह गया है। गिरगांव और भंडारी गांव के 132 परिवार खतरे में आ चुके हैं। सिरमौला गांव खतरे में आ चुका है। जाकुर नदी गांव तक पहुंच चुकी है। राजस्व दल गांव तक पहुंच चुका है।

    बंगापानी के जाराजिबली गांव के मध्य नाले बह रहे हैं। मकानों के पास तक नाले आने से ग्रामीणों ने मकान छोड़ दिए हैं। पूरा गांव मलबे से पट चुका है। ग्रामीण दहशत में हैं। मुनस्यारी महाविद्यालय में चल रही कुमाऊं विश्वविद्यालय की परीक्षा विद्यार्थियों के नहीं पहुंच पाने से स्थगित कर दी गई है। सेराघाट से फर्वेकोट को जाने वाली सड़क बहने से दर्जनों गांवों का शेष जगत से सम्पर्क भंग है।

    मलबे से निकाला नारायणी का शव 

    मदकोट के गैला पत्थरकोट में नारायणी देवी (50) पत्नी स्व. नंदन सिंह की मलबे में दब कर मौत हो गई है। नारयणी अपने घर को लौट रही थी इसी दौरान पहाड़ की तरफ से मलबा गिरा और संभलने तक का मौका न मिला सका। मलबे की चपेट में आकर महिला कई मीटर नीचे मलबे में दब गई। महिला के शव को घंटों बाद निकाला जा चुका है।

    विद्यालय कराए बंद

    मुनस्यारी, बंगापानी और धारचूला क्षेत्र में मौसम को देखते हुए जिलाधिकारी सी रविशंकर ने ग्रीष्मावकाश के बाद सोमवार को खुले विद्यालय एक दिन के बंद कर दिए हैं। उन्होंने आपदा प्रबंधन सहित राजस्व दल को क्षेत्र में भेज दिया है। क्षेत्र में सोमवार दिन में बारह बजे से वर्षा का वेग थमा है। 

    गोरी और काली नदी खतरे के निशान पर पहुंची

    भारी वर्षा से काली , गोरी, रामगंगा नदियां खतरे के निशान तक पहुंच चुकी हैं। काली और गोरी नदी के संगम स्थल जौलजीवी में खतरा बना हुआ है। गोरी नदी का पानी बस्ती तक पहुंच चुका है। गोरी नदी 607 मीटर पर बह रही है। यह खतरे का निशान है। काली नदी 889 मीटर पर बह रही है, खतरे का निशान 890 मीटर है। सरयू नदी 452 मीटर पर बह रही है इसका खतरे का निशान 453 मीटर है। मंदाकिनी, सेरा, गोसी सहित अन्य नदियां और नाले ऊफान पर हैं। बरम में गोसी नदी का पानी मकानों  और दुकानों में घुस गया। लोगों ने रात एक बजे घरों से बाहर दौड़ लगाकर जान बचाई।

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