Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्‍तराखंड में यहां इस लखिया भूत को देखने हजारों बने गवाह

    By gaurav kalaEdited By:
    Updated: Fri, 02 Sep 2016 09:53 PM (IST)

    उत्‍तराखंड में लखिया भूत को देखने हजारों लोग पहुंचे। लोगों का मानना है कि यह भगवान शिव का अतिप्रिय गण है, लेकिन जब इसे गुस्‍सा अाता है तो बेकाबू हो जाता है।

    पिथौरागढ़, [जेएनएन]: उत्तराखंड में लखिया भूत को देखने हजारों लोग पहुंचे। जब ये उग्र रुप में आकर नाचा तो लोगों ने इसे शांत करने की भी कोशिश की। यहां लोगों की मान्यता है कि भगवान शिव का परमप्रिय गण वीरभद्र जब लखिया रुप में आता है तो वह उग्र होकर भूत की तरह नाचने लगता है।
    पिथौरागढ़ जनपद के सोर क्षेत्र में पिछले चार सौ सालों से आधा दर्जन स्थानों पर हिलजात्रा का मंचन होता आया है। इसमें कुमौड़ की हिलजात्रा सबसे चर्चित है। अन्य स्थानों पर इकोलिया बैल, हिरणचित्तल का प्रदर्शन होता है, परंतु कुमौड़ में लखिया पात्र के चलते यह विशेष हो जाती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पढ़ें: केदारनाथ में भरने लगा मंदिर समिति का खजाना, आय पहुंची पांच करोड़ के पार
    कुमौड़ के महर उपजाति के लोग इसे मनाते हैं। हिलजात्रा तात्पर्य कीचड़ और कृषि से है। कीचड़ को ही हिल कहते हैं। रोपाई के दौरान खेतों में कीचड़ होता है।
    इस कारण इसका नाम हिलजात्रा पड़ा है। इसे उत्तर भारत के प्रमुख मुखौटा नृत्य का दर्जा मिल चुका है। इसका मंचन देश के विभिन्न शहरों में हो चुका है।

    भगवान शिव के परमभक्त लखिया भूत ने दिखाए तेवर, देखिए तस्वीरें
    लखिया भूत नहीं शिवगण हैं
    हिलजात्रा के प्रमुख पात्र लखिया के तेवरों को देखते हुए इसे लखिया भूत कहा जाता है परंतु ग्रामीण इसे भगवान शिव का सबसे प्रिय और बलवान गण वीरभद्र बताते हैं। उनका कहना है कि वीरभद्र अति बलवान गण था। उसकी शक्ति को देखते हुए दो गण उसके साथ चल कर उसे दोनों तरफ से रस्सियों से बांधे रहते थे। इसी कारण मंचन में यह मंचित किया जाता है।

    पढ़ें:-केदारनाथ में हिम तेंदुओं के इलाकों में मिले बाघ के प्रमाण
    नेपाल का भी आता है जिक्र
    हिलजात्रा में नेपाल का भी जिक्र आता है। मंचन के दौरान पुतारियों द्वारा गाए जाने वाले गीतों में नेपाल का जिक्र होता है।
    शुक्रवार की शाम पिथौरागढ़ के नगर में ही समाहित कुमौड़ गांव का मैदान लोगों की जुबान पर था। हिलजात्रा को लेकर नगरवासियों के पांव कुमौड़ को मुड़ रहे थे। सायं चार बजते-बजते कुमौड़ गांव में 15 से 20 हजार के आसपास लोग जुट गए। हिलजात्रा के परंपरागत मैदान के चारों तरफ के अलावा कुमौड़ क्षेत्र के मकानों की छतें, छज्जे जिसे जहां जगह मिली वहां से हिलजात्रा देखने रम गए।
    रंग-बिरंगे मुखौटों के सहारे मंचित होने वाले इस उत्सव का शुभारंभ परंपरा के तहत नाटिका के सूत्रधार ने की। सूत्रधार जिसे स्थानीय स्तर पर घोड़िया कहा जाता है उसने मैदान में आकर मंचन शुरू होने का संदेश दिया।

    पढ़ें:-केदारनाथ धाम में धूमधाम से मनाया अन्नकूट मेला
    और लखिया पहुंचा सबके बीच
    इसी के साथ पुतारियों ने लोकगीत गाकर धान के पौधे रोपे। लगभग तीन घंटे तक चले मंचन के अंत में उत्सव ने आस्था का रूप ले लिया। कुमौड़ स्थित पुरातन किले से उत्सव का मुख्य पात्र शिवगण वीरभद्र रूपी लखिया मैदान में पहुंचा। दो गणों के दोनों तरफ रस्सियों के सहारे बंधे लखिया को गांव के वयोवृद्ध व्यक्ति ने अक्षत डालकर शांत किया गया।
    हाथों में चौंरगाय की पूंछ लिए अति पराक्रमी रूप में मैदान में आशीर्वाद की मुद्रा में पहुंचे भगवान शिव के परम प्रिय गण लखिया के मैदान में आते ही हजारों दर्शकों ने नतमस्तक होकर आशीर्वाद लिया। सभी को आशीर्वाद देते लखिया के मैदान से जाते ही उत्सव का समापन हो गया।

    पढ़ें: केदारनाथ धाम के लिए हवाई सेवाएं 12 सितंबर से