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    'गौरी' स्वयं सहायता समूह के पसीने से लहलहाई बंजर भूमि

    By Sunil NegiEdited By:
    Updated: Mon, 10 Apr 2017 05:00 AM (IST)

    पौड़ी जिले के ग्राम पंचायत वजली के गौरीकोट गांव में महिलाओं ने वर्ष 2014 में एक समूह का गठन किया। उसे नाम दिया 'गौरी' स्वयं सहायता समूह। इन्‍होंने बंजर भूमि को उपजाऊ बना दिया।

    'गौरी' स्वयं सहायता समूह के पसीने से लहलहाई बंजर भूमि

    पौड़ी, [गुरुवेंद्र नेगी]: पहाड़ में पलायन जब सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता जा रहा हो, तब गौरीकोट गांव की महिलाओं ने गांव के बंजर खेतों में जान फूंककर न सिर्फ स्वरोजगार का माध्यम खड़ा किया, बल्कि अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं। आज स्थिति यह है कि जो भी गौरीकोट की महिलाओं के इस उद्यम को देखते हैं, इस पहल की सराहना किए बगैर नहीं रह पाते।

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    जिला मुख्यालय पौड़ी से सात किमी की दूरी पर स्थित है ग्राम पंचायत वजली का गौरीकोट गांव। रोजगार की खातिर पलायन से खाली हो रहे गांव की स्थिति देख इस गांव की महिलाओं ने वर्ष 2014 में एक समूह का गठन किया। उसे नाम दिया 'गौरी' स्वयं सहायता समूह। इससे 16 महिलाओं को जोड़ा गया और फिर बैठक में गांव के पास बंजर पड़ी भूमि को आबाद कर स्वरोजगार खड़ा करने का निर्णय लिया। इसके लिए सभी ने आपस में धनराशि एकत्रित की। 

    गांव के युवा अनिल रावत ने महिलाओं के इस प्रयास हरसंभव सहयोग किया। कुछ समय बाद समूह ने को-ऑपरेटिव के माध्यम से पांच लाख का ऋण भी ले लिया। मुहिम रंग लाई और आज गौरीकोट में महिलाएं इस बंजर भूमि पर सब्जी और दालों का उत्पादन कर किस्मत संवार रही हैं। इसके अलावा कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन व मधुमक्खी पालन से भी वे अच्छा-खासा कमा लेती हैं। खास बात यह कि स्वरोजगार के क्षेत्र में महिलाओं की यह पहल तब देखने को मिल रही है, जबकि सुविधाओं और रोजगार के अभाव में गांव के गांव या तो खाली हो गए हैं अथवा खाली होने के कगार पर हैं।

     

    बाजार मूल्य से कम है दर

    गौरी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा उत्पादित सब्जियां बाजार मूल्य से कम दर पर उपलब्ध हैं। यहां आपको दस रुपये किलो प्याज तो 25 रुपये किलो मटर मिल जाएगी।

    सारी कमाई उद्यम भी पर ही लगाई

    समूह की महिलाओं को सहयोग करने वाले युवा अनिल रावत बताते हैं कि जब से यहां उद्यम स्थापित किया गया, तब से पांच से छह लाख रुपये का फायदा समूह को हो चुका है। साथ ही सभी को रोजगार भी मिला। लाभ की धनराशि उद्यम पर ही खर्च की गई, ताकि आगे अन्य लोगों के लिए भी रोजगार का जरिया विकसित हो सके।

    खुद चलाते हैं पावर व्रीडर

    खेतों में सब्जी उत्पादन के लिए महिलाएं न केवल कुदाल, बल्कि पावर व्रीडर जैसी मशीन भी खुद ही चलाती हैं। शायद यही कारण है कि खेतों में सब्जी के अलावा समय-समय पर मौसमी दालें भी बहुतायत में उगाई जाती हैं। लोग यहां से पहाड़ी दालें भी क्रय करते हैं।

    पौड़ी गढ़वाल के ग्रामसभा वजली में 'गौरी' स्वयं सहायता समूह की अध्‍यक्ष लक्ष्मी देवी का कहना है कि अपना रोजगार खड़ा करने के लिए हमने समूह बनाया। आज समूह के माध्यम से सभी को रोजगार मिल रहा है। सभी महिलाएं इसी उद्यम को और बेहतर बनाने की दिशा में कार्य कर रही हैं। सभी अपने-अपने गांव में समूह बनाकर कार्य करें तो पलायन जैसी समस्या पर काफी हद तक अंकुश लग सकता है।

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