यह छात्रा चाय बेच कर रही पढ़ाई, परिवार का उठा रही बोझ
पिता की मौत के बाद श्रीनगर की छात्रा अंजना रावत ने हार नहीं मानी। चाय की दुकान खोली और खुद की पढ़ाई के साथ ही परिवार का बोझ उठाने लगी।
श्रीनगर गढ़वाल, [जेएनएन]: छह साल पहले परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा। मुफलिसी के दौर से गुजर रहे परिवार पर पहाड़ जैसी मुसीबत आने के बावजूद उस समय बिड़ला परिसर श्रीनगर की छात्रा अंजना रावत ने हौसला और साहस बनाए रखा और पिता के अचानक निधन के 15 दिनों बाद ही छोटी सी चाय की दुकान को संचालित करते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखने के साथ ही भाई, बहन और बुजुर्ग मां के भरण पोषण का भी जिम्मा उठा लिया।
तड़के श्रीनगर के पीएनबी रोड पर छोटी सी चाय की दुकान खोलकर हर रोज 11 बजे तक चाय की बिक्री करने के बाद दिन में कॉलेज जाकर अध्ययन करने और उसके बाद पुन: दुकान में आकर चाय बनाने में जुट जाना उसकी दिनचर्या का अंग बना।
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पिछले छह सालों में कई कठिनाइयों और परेशानियों का दौर झेला, लेकिन अपना साहस नहीं खोया। अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए अंजना अब समाजशास्त्र से एमए करने के साथ ही एमएसडब्ल्यू भी कर चुकी है। उसकी बहन भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर प्रतियोगी परीक्षा तैयारियों में जुटी है। भाई भी दिल्ली में नौकरी पर लग चुका है, लेकिन अंजना की दिनचर्या आज भी चाय की उसी छोटी सी दुकान से ही शुरू होती है। शिक्षा विभाग में उच्चाधिकारी बनना उसका विशेष सपना भी है।
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सुबह-शाम चाय की छोटी सी गुमटी में कार्य करने के साथ ही दोपहर में वह विभिन्न प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों को लेकर वह कोचिंग भी ले रही है। कुछ कर गुजरने की तमन्ना को लेकर वह जीवन में और आगे बढऩे का लक्ष्य लिए हुए है।
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अंजना रावत ने बताया कि 23 दिसम्बर 2010 को अचानक उसके पिता गणेश रावत का निधन हो जाने से परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ सा टूट पड़ा लेकिन उसने हौसला नहीं खोया और 15 दिनों बाद ही पीएनबी रोड पर चाय की दुकान संभालने लगी थी। उस समय एक लड़की को चाय की दुकान चलाते हर कोई हैरत में भी देखता था लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।
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