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तीन दिन से श्रीनगर मेडिकल कालेज में आतंक का पर्याय बने गुलदार को मारी गोली, ढेर

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में आतंक का पर्याय बन गुलदार मेडिकल कॉलेज कैंपस में मार गिराया गया। इससे पहले गुलदार ने टीम पर हमला किया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Tue, 02 Jul 2019 01:46 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2019 09:17 PM (IST)
तीन दिन से श्रीनगर मेडिकल कालेज में आतंक का पर्याय बने गुलदार को मारी गोली, ढेर
तीन दिन से श्रीनगर मेडिकल कालेज में आतंक का पर्याय बने गुलदार को मारी गोली, ढेर

श्रीनगर गढ़वाल, जेएनएन। राजकीय मेडिकल कालेज में पचास घंटे तक दहशत का पर्याय रहे गुलदार आखिरकार शिकारियों की गोली का निशाना बना। गुलदार कालेज के मुख्य भवन से सटे मेडिसन विभाग की दूसरी मंजिल के टॉयलेट में छिपा हुआ था। तलाशी के दौरान उसका रेस्क्यू टीम से सामना हुआ, तभी दो शिकारियों ने उस पर निशाना साधकर ढेर कर दिया। गुलदार के मारे जाने का पता चलने पर कालेज स्टाफ और छात्र-छात्राओं की सांस में सांस आई। गुलदार रविवार सुबह करीब दस बजे यहां मुख्य भवन में घुस गया था। उसने दो घंटे के अंतराल में दो सुरक्षा गार्ड समेत तीन कर्मचारियों पर हमला करके घायल कर दिया था। इसके बाद से कालेज में मेडिकल की कक्षाएं भी नहीं हो पा रही थी।

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रविवार से ही वन विभाग और पुलिस की टीम दो शिकारियों के साथ गुलदार को तलाशने में जुटी हुई थी। इसके लिए मेडिकल कालेज के मुख्य भवन के सभी निकास द्वारों पर पिंजरे और कैमरे लगाए गए थे। उसका मूवमेंट पता लगाने के लिए कॉरिडोर में प्लास्टर ऑफ पेरिस भी बिखेरा गया था। मुख्य भवन के साथ मेडिकल कालेज की दो अन्य इमारतें भी इंटर कनेक्ट थी, इसलिए इनके निकास द्वार भी बंद कर दिए गए थे। तीन भवनों में डेढ़ सौ से ज्यादा कमरे होने की वजह से गुलदार का मूवमेंट पता नहीं चल पा रहा था। रविवार रात उसकी मौजूदगी मुख्य भवन में होने के प्रमाण मिले थे, लेकिन उसके बाद से गुलदार का कुछ पता नहीं चल पा रहा था। निकास द्वारों पर लगाए गए पिंजरों की तरफ भी वह नहीं फटका। यही नहीं, कैमरों में भी उसकी कोई गतिविधि कैद नहीं हुई।

इस पर रेस्क्यू दल ने मंगलवार सुबह रणनीति बदली। तय हुआ कि मुख्य भवन के साथ ही इससे कनेक्ट अन्य दो भवनों के प्रत्येक कमरे में गुलदार को तलाश कर उसे काबू करने का प्रयास किया जाएगा। फॉरेंसिक विभाग की चार मंजिला इमारत से दो शिकारियों को साथ लेकर रेस्क्यू दल ने गुलदार खोजने के अभियान की शुरुआत की। यहां प्रत्येक कमरे को खंगाला गया, लेकिन गुलदार कहीं भी नजर नहीं आया। 

इसके बाद टीम इससे सटे कम्युनिटी मेडिसन विभाग की इमारत में पहुंची। दोपहर करीब पौने बारह बजे यहां दूसरी मंजिल पर कॉरिडोर से गुजरते वक्त रेस्क्यू टीम को गुलदार के होने का आभास हुआ, कॉरिडोर में दुर्गंध भी आ रही थी, इस पर टीम सतर्कता के साथ आगे बढ़ी। सबसे आगे कुछ कर्मचारी जाल लेकर चल रहे थे। यहां टॉयलेट के पास भीतर छिपे गुलदार से टीम का आमना-सामना हो गया। वह टीम की तरफ झपट्टा मारने को दौड़ रहा था, तभी रेस्क्यू दल में शामिल शिकारी अजहर खान ने उस पर निशाना साध दिया, जो गुलदार के गले पर लगा। इससे पहले गुलदार हमला करता, दूसरे शिकारी जॉय हुकिल ने भी निशाना साध कर गुलदार को वहीं ढेर कर दिया। गोली उसके जबड़े में लगी। 

गुलदार के मारे जाने की खबर मिलते ही मेडिकल कालेज प्रबंधन, स्टाफ और छात्र-छात्राओं ने राहत की सांस ली। चूंकि इस परसिर में ही इनके हॉस्टल और आवास भी हैं। गुलदार की मौजूदगी के कारण इनका बाहर निकलना मुश्किल हो रखा था। कालेज में कक्षाएं भी नहीं चल पा रही थी।

भूखा भी था गुलदार 

मारे गए गुलदार का पौड़ी में नागदेव वन विभाग परिसर में पशु चिकित्सकों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। डाक्टरों के अनुसार गुलदार का पेट खाली था। इससे लगता है कि वह पिछले कई दिनों से भूखा था। वन क्षेत्राधिकारी एके भट्ट ने बताया कि इस नर गुलदार की उम्र लगभग नौ साल थी। उसके गले में तार का फंदा भी लगा मिला। इसके चलते उसके गले में घाव बने हुए थे। अनुमान लगाया जा रहा है कि खेतों में फसल को सुअरों से बचाने के लिए किसानों द्वारा लगाए गए जाल में वह फंस गया होगा। 

शिकारी बोले, मजबूरी में मारना पड़ा

शिकारी जॉय हुकिल का कहना था कि आत्मरक्षा के चलते मजबूरी में गुलदार पर निशाना साधना पड़ा। प्रयास तो यही था कि उसे जीवित पकड़ा जाए, लेकिन रेस्क्यू दल के सदस्यों की ओर झपट्टा मारते देख पहले अजहर खान फिर उन्हें समय गंवाए बिना गुलदार पर गोली चलानी पड़ी। दोनों शिकारी बोले, उन्हें गुलदार को मारने का अफसोस भी है, लेकिन वह विवश थे। 

इन परिस्थितियों में गुलदार पर चलाई जा सकती है गोली

सामान्य तौर पर शारीरिक अशक्तता, घायल अथवा बीमारी के कारण गुलदार आसान भोजन के लिए मनुष्यों पर हमला करने वाले गुलदारों को आदमखोर घोषित किया जाता है। आदमखोर गुलदार को मार डालने के लिए उस पर गोली चलाई जाती है। अलबत्ता, इससे पहले यह सुनिश्चित कर लिया जाता है कि जिस गुलदार पर गोली चलाई जा रही है वही वास्तव में मानवभक्षी ही है। इसके अलावा किसी रेसक्यू अभियान के दौरान यदि गुलदार रेसक्यू टीम पर हमला करता है तो आत्मरक्षा में उस पर गोली चलाई जा सकती है।

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