Move to Jagran APP

घायल को कंधे पर लादकर 20 किमी तक पैदल चलीं महिलाएं, अस्‍पताल में एनेस्‍थीसिया तक नहीं

महिलाएं पहाड़ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ ही नहीं बल्कि हर विपरीत परिस्थितियों में चट्टान की तरह ही खड़ी रहती हैं। उनकी एक ऐसी ही तस्‍वीर फिर सामने आई है ।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 06:22 PM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 06:22 PM (IST)
घायल को कंधे पर लादकर 20 किमी तक पैदल चलीं महिलाएं, अस्‍पताल में एनेस्‍थीसिया तक नहीं

बागेश्वर, जेएनएन : महिलाएं पहाड़ की अर्थव्यवस्था की रीढ़ ही नहीं बल्कि हर विपरीत परिस्थितियों में चट्टान की तरह ही खड़ी रहती हैं। उनकी एक ऐसी ही तस्‍वीर फिर सामने आई है सुविधाओं से वंचित बागेश्‍वर जिले के बोरबलड़ा गांव से। गावं की महिलाओं ने हादसे में घायल हुए ग्रामीण को कंधों पर उठाकर 20 किमी पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाया। जहां भर्ती कर घायल का इलाज किया जा रहा है।

loksabha election banner

चारा काटते समय पेड़ से गिरकर टूटा पैर

बागेश्वर जिले के कपकोट ब्लाॅक के दूरस्थ गांव बोरबलड़ा गांव के समडर तोक में चारा पत्ती काटते समय 38 वर्षीय खिलाफ सिंह पेड़ से गिर गए। हादसे में उनका पांव टूट गया और शरीर में अन्य हिस्सों में भी चोट आई। गांव में किसी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधा न होने के कारण ग्रामीणों के समक्ष घायल के उपचार की चुनौती खड़ी हुई। सड़क सुविधा न होने के कारण खिलाफ सिंह को अस्पताल अस्पताल पहुंचाना भी बड़ी समस्या थी। निकटवर्ती बधियाकोट कस्बे में एक अस्पताल है वहां तक पहुंचने के लिए 20 किमी दुर्गम पहाड़ी रास्ता पार करना पड़ता है। गांव में पलायन की वजह से पुरुषों की संख्या भी बहुत कम है।

महिलाओं ने डोली में बिठाकर अस्‍पताल पहुंचाया

ऐसे में एकबार फिर मातृशक्ति ने यह कठिन जिम्मेदारी उठायी। गांव की महिलाओं ने डोली के जरिये घायल खिलाफ सिंह को कंधों पर उठाकर बदियाकोट तक पहुंचाया। इसमें कुछ पुरुषों ने भी सहयोग दिया। बदियाकोट स्वास्थ्य केंद्र एक फार्मासिस्ट के हवाले है, इसलिए घायल ग्रामीण को यहां भी इलाज नहीं मिल सका। इसके बाद घायल को वाहन के जरिये 70 किमी दूरी पर स्थित जिला अस्पताल भेजा गया। ग्रामीण को अस्पताल पहुंचाने में गांव की महिला प्रीति देवी, चंद्रा देवी, सावित्री देवी, बबीता आदि के साहस को सभी ग्रामीण सलाम कर रहे हैं।

अस्पताल में एनेस्थिसियन तक नहीं

जिला अस्पताल में भी घायल खिलाफ सिंह को इलाज मिलने की उम्मीद कम ही है। यहां एनेस्थिसियन तक नहीं है। ऐसे में घायल का यहां इलाज होना मुश्किल है। चिकित्‍सकों के सामाने मरीज को रेफर करने के अलावा कोई विकल्‍प नहीं है। गरीबी, तंगहाली में घायल ग्रामीण को अब और दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। पहाड़ में चिकित्‍सा सुविधा बेहतर करने का दावा करने वाली सरकार की हकीकत एक बार फिर सामने आई है।

यह भी पढ़ें : शेरवुड में पढ़ने वाले 11 साल के व्‍योम ने 'मून एंड दि ब्वॉय' नाम से लिखी किताब

यह भी पढ़ें : बीटेक-एमटेक करने के बावजूद कंपनी ज्‍वाइन करने की बजाए नौजवानों ने चुना जंगल 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.