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बीटेक-एमटेक करने के बावजूद कंपनी ज्‍वाइन करने की बजाए नौजवानों ने चुना जंगल nainital news

इंजीनियरिंग करने के बाद भी किसी नामी कंपनी में नौकरी करने के बजाय युवा जंगल से जुडऩा चाहता है। फॉरेस्ट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट का वर्तमान ट्रेनिंग बैच इस बात की तस्‍दीक करता है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 10:41 AM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 10:55 AM (IST)
बीटेक-एमटेक करने के बावजूद कंपनी ज्‍वाइन करने की बजाए नौजवानों ने चुना जंगल nainital news
बीटेक-एमटेक करने के बावजूद कंपनी ज्‍वाइन करने की बजाए नौजवानों ने चुना जंगल nainital news

हल्द्वानी, जेएनएन : इंजीनियरिंग का कोर्स करने के बाद भी किसी नामी कंपनी में नौकरी करने के बजाय युवा जंगल से जुडऩा चाहता है। हल्द्वानी के फॉरेस्ट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट का वर्तमान ट्रेनिंग बैच के आंकड़े यही कहते हैं। एफटीआइ में वर्तमान में रेंजर यानी वनक्षेत्राधिकारी पद चुने गए 81 लोगों का बैच प्रशिक्षण कर रहा है। इसमें से 61 लोग बीटेक-एमटेक डिग्रीधारी है। कुछ ने नामी इंजीनियरिंग की नौकरी दौरान ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर इस पद को हासिल किया। डेढ़ साल के प्रशिक्षण के बाद इन्हें जंगल बचाने और संवारने की जिम्मेदारी दी जाएगी।

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जंगल को रोमांच खींच लाया प्रकृति के करीब

रामपुर रोड स्थित वानिकी प्रशिक्षण अकादमी फॉरेस्ट गार्ड से लेकर रेंजर तक की ट्रेनिंग करवाने को लेकर देशभर में प्रसिद्ध है। एफटीआइ के निदेशक आइपी सिंह ने बताया कि वर्तमान रेंजर बैच में 61 लोग पूर्व में इंजीनियरिंग कोर्स कर चुके हैं। उसके बाद इन्होंने बतौर प्रोफेशन जंगल को चुना। फॉरेस्ट की नौकरी की बात करें तो यह अन्य महकमों के मुकाबले इसके साथ रोमांच भी जुड़ा। दुर्लभ वनस्पति, बाघ-तेंदुआ जैसे खूंखार वन्यजीवों को बचाने के साथ तस्करों से निपटाने की चुनौती का सामना भी करना पड़ता है।

शिक्षक की नौकरी छोड़ जंगल में एंट्री

अधिकांश महिलाएं शिक्षक की नौकरी करना ज्यादा पसंद करती हैं। लेकिन, उत्तराखंड वन विभाग में चार ऐसी महिला अफसर भी हैं जो जिन्होंने शिक्षक की नौकरी छोड़ जंगल के रहस्य को समझने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। तराई केंद्रीय वन प्रभाग की पूर्व डीएफओ कल्याणी नेगी, नंधौर की रेंजर शालिनी जोशी, हल्द्वानी की रेंजर सावित्री गिरी और नैनीताल डिवीजन में तैनात ममता चंद इस श्रेणी में शामिल हैं।

उत्तराखंड के रेंजरों को नहीं मिलता प्रशिक्षण

एफटीआइ के मुताबिक देश भर के अलग-अलग राज्यों से चयनित रेंजरों को ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन उत्तराखंड के रेंजरों को यहां प्रशिक्षण नहीं मिलता। उन्हें अन्य राज्यों में भेजा जाता है। ऐसे में यहां देशभर से सेलेक्‍टड युवक और युवतियां प्रशिक्षण लेने के लिए पहुंचते हैं।

राज्‍य लोक सेवा आयोग निकालता है भर्तियां

वन रेंजर के लिए राज्‍य लोक सेवा आयोग भर्तियों का आयोजन करता है। इसके लिए भर्तियां दो-तीन साल के अंतराल पर निकाली जाती हैं। साइंस ग्रेजुएट और एग्रीकल्‍चर में स्‍नातक ही इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए फिजिकल भी होता है। जिसके मानक पूरे करने जरूरी होते हैं।

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