शेरवुड में पढ़ने वाले 11 साल के व्योम ने 'मून एंड दि ब्वॉय' नाम से लिखी किताब nainital news
चांद को हमसफर बनाने वाले 11 वर्षीय व्योम नैनीताल शेरवुड कॉलेज में 8वीं के छात्र हैं। करीब सौ पृष्ठ की किताब को व्योम ने तीन माह की मेहनत के बाद अक्टूबर में तैयार किया।
हल्द्वानी, गणेश पांडे : चांद की कहानियों से अमूमन सभी का बचपन वाकिफ है। किसी ने चांद के घटते-बढ़ते आकार को कविताओं में पढ़ा तो किसी की बाल स्मृति में चांद मामा बनकर उतर गए, मगर व्योम ने तो चांद से दोस्ती ही गांठ ली। दोनों के बीच खूब बातें होती हैं। कुछ अलग करने की मंशा से दोनों रोमांच के सफर पर निकल पड़ते हैं। व्योम और चांद का यह किस्सा 'मून एंड दि ब्वॉय' नामक पुस्तक के रूप में सामने है।
चांद पर व्योम ने लिखी किताब
चांद को हमसफर बनाने वाले 11 वर्षीय व्योम नैनीताल शेरवुड कॉलेज में 8वीं के छात्र हैं। करीब सौ पृष्ठ की किताब को व्योम ने तीन माह की मेहनत के बाद अक्टूबर में तैयार किया। मून एंड दि ब्वॉय में व्योम के किरदार का नाम सनी है। सनी सपने में चांद देखता है। चांद उसे जगाता है। नींद में कमरे से बाहर आ गया सनी चांद से खूब बतियाता है। दोनों रोमांचक सफर पर निकल पड़ते हैं। इसी यात्रा के रोचक अनुभव किताब में दर्ज हैं। किताब में एक कहानी व्योम के बड़े भाई सुजल ने लिखी है। जो टीन एज पर फोकस है।
छह साल की उम्र में लिखी पहली किताब
गुरुग्राम के रहने वाले व्योम ने छह साल की उम्र में पहली किताब 'फ्रीडम ऑफ ड्रीम्स' लिखी। इसमें व्योम ने अपने जीवन अनुभव के आधार पर आठ शॉर्ट स्टोरी संकलित की हैं। लोगों ने तब भी व्योम के प्रयास को काफी सराहा था। लोग कह रहे थे व्योम लेखक बनेगा।
भाई ने चिढ़ाया, उसे ही बनाया प्रेरणा
व्योम बताते हैं कि उनके बड़े भाई सुजल ने किताब लिखी थी। सुजल, व्योम को चिढ़ाते थे कि वह किताब नहीं लिख सकते। व्योम ने अपने भाई से प्रेरणा लेते हुए चुनौती के तौर पर किताब लिखना शुरू किया। व्योम अपनी मां सोना चौधरी से खुद को प्रेरित मानते हैं। सोना भारतीय महिला फुटबाल टीम की कैप्टन रही हैं। पिता नसीब बामल पायलट हैं। घर में मिले बेहतर माहौल ने भी व्योम को बेहतर करने की प्रेरणा दी।
आइपीएस बनने की चाह
व्योम को टेबल टेनिस, बैडमिंटन व तैराकी का भी शौक है। वह छोटे-छोटे प्रेरक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करते हैं। व्योम नैनीताल के मौसम को दिल्ली से काफी बेहतर बताते हैं। वह आइपीएस ऑफिसर बनकर देश सेवा करना चाहते हैं।
यह भी पढ़ें : रुद्रपुर में बनेगा प्रदेश का पहला ऑटोमेटिक वाहन फिटनेस सेंटर
यह भी पढ़ें : 'सिद्धार्थ' से पर्यावरण का संबंध सिद्ध करेगी वाटिका, रिसर्च से सामने आएगी हकीकत