'सिद्धार्थ' से पर्यावरण का संबंध सिद्ध करेगी वाटिका, रिसर्च से सामने आएगी हकीकत Nainital News
भगवान बुद्ध के जीवन का पर्यावरण से जुड़ाव समझने के लिए वन विभाग शोध करने जा रहा है। इसके जरिये बुद्ध का पर्यावरण के प्रति लगाव से जुड़े कई अहम जानकारी सामने आएगी।
हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : भगवान बुद्ध के जीवन दर्शन को वृक्ष समझाएंगे। उनका सिद्धांत बताएंगे। पर्यावरण के प्रति उनके लगाव को भी जताएंगे। यह सब होगा वन विभाग के शोध से। इसके लिए विशेष बुद्ध वाटिका तैयार की जाएगी, जिसमें शाल, बरगद, पीपल, बांस, ताड़, आम, नागकेशर, आंवले को लगाया जाएगा। इन सभी का भगवान बुद्ध के जीवन से लेकर निर्वाण तक का जुड़ाव रहा है।
बुद्ध के जीवन से जुड़ी वनस्पति खोजेंगे
पहाड़ और वन क्षेत्र पूरे प्रदेश को खास बनाते हैं। खासकर कुमाऊं को, लेकिन हाल के दिनों में इनका अवैध दोहन चिंतित करने वाला रहा। इस पर वन विभाग ने गंभीरता दिखाई। वनों के पर्यावरणीय व धार्मिक महत्व को समझाने के साथ ही इन्हें भगवान बुद्ध से भी जोडऩे की पहल की। इसके लिए दस सदस्यीय टीम का गठन किया गया। जिम्मेदारी दी गई बुद्ध के जीवन से जुड़े वृक्षों और वनस्पतियों का पता लगाने की। प्रयास रंग लाया। 14 वृक्ष ऐसे मिले जिनसे बुद्ध का विशेष जुड़ाव रहा।
कई पेड़ों का बुद्ध के जीवन से जुड़ाव
वन अनुसंधान केंद्र के संरक्षक संजीव चतुर्वेदी के मुताबिक बुद्ध के जीवन में पर्यावरण व वृक्षों का अलग-अलग महत्व रहा है। लुंबिनी में उनका जन्म अशोक के वृक्ष के नीचे हुआ था जबकि कुशीनगर में निर्वाण से ठीक पहले उन्होंने अपने शिष्य से कहा था कि उनका शरीर शाल के दो वृक्षों के बीच में रख जाए। वहीं, पीपल के नीचे तप करते हुए उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ। शीशम के वृक्ष के नीचे खड़े होकर उन्होंने चार आर्य सत्य बताए थे।
इनसे रहा भगवान बुद्ध का जुड़ाव
पीपल : इस वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए भगवान बुद्ध को बैशाख पूर्णिमा की रात्रि में बोधि की प्राप्त हुई थी।
शाल : भगवान बुद्ध का अधिकांश समय साल वनों के सानिध्य में बीता। निर्वाण के बाद उन्हें शाल वृक्षों के बीच में रखा गया था।
बरगद : भगवान बुद्ध ने अपने साधना काल में निवास के लिए अधिकतर इसी वृक्ष की छाया चुनी।
खिरनी : बोधि प्राप्ति के बाद का सातवां सप्ताह भगवान ने इस वृक्ष के नीचे ध्यान में बिताया था।
पाकड़ : भगवान बुद्ध की ओर से इस वृक्ष के नीचे बैठकर उपदेश देने के दृष्टांत मिलते हैं।
आम : वैशाली पहुंचने पर बुद्ध को आम का पौधे भेंट के तौर पर मिले।
नागकेसर : श्रीलंका राष्ट्रीय वृक्ष नागकेसर के नीचे वार बुद्धों मंगल, सुमन, रेवत और शोभित ने ज्ञान प्राप्त किया।
आंवला: बौद्ध रचनाओं के अनुसार सम्राट अशोक ने बौद्ध भिक्षु संघ को आंवले का दान किया था।
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