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    दीदियां तो बन रहीं लखपति, बस लाख टके की है एक बात; उन्हें सुरक्षा भी दे दो हाथोंहाथ

    Updated: Sat, 08 Nov 2025 03:56 PM (IST)

    नैनीताल जिले में महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा है। लखपति दीदी योजना के तहत महिलाओं की आय में वृद्धि हुई है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन रही हैं। जिले में 5300 महिला स्वयं सहायता समूह हैं, जिनसे लगभग 38700 महिलाएं जुड़ी हैं। हालाँकि, महिला सुरक्षा एक बड़ी चुनौती है, जिस पर ध्यान देना आवश्यक है।

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    दीदियां तो बन रहीं लखपति, बस लाख टके की है एक बात, उन्हें सुरक्षा भी दे दो हाथोंहाथ
    दीदियां तो बन रहीं लखपति, बस लाख टके की है एक बात, उन्हें सुरक्षा भी दे दो हाथोंहाथ जिले में महिला रोजगार के लिए कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन बिना सुरक्षा कैसे सशक्त बनेंगी दीदियां
    - 168.3 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से जिले में बढ़ रही है लखपति दीदी की संख्या
    - 5300 महिला स्वयं सहायता समूह हैं जिले में, जिनसे करीब 38700 महिलाएं जुड़ी हैं
    - 20 लाख रुपये से अधिक की है कुछ समूहों की आय, महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर

    ललित मोहन बेलवाल, हल्द्वानी। उत्तराखंड राज्य अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूरे कर चुका है। यह अब युवावस्था में पहुंच गया है और अब राज्य के बाशिंदों की उम्मीदों के बोझ को उठाने के लिए इसके कंधे भी मजबूत हो चुके हैं। युवा जोश, नई सोच के साथ राज्य अपनी कहानी लिखने के लिए तैयार है, जिसके माथे का परचम बनने का माद्दा रखती हैं यहां की महिलाएं और युवा। इस पर राज्य के नैनीताल जैसे अहम जिले में यह देखना अहम हो जाता है कि बीते 25 वर्षों में यहां इनकी जिंदगी में कैसे बदलाव आए हैं और क्या ये काफी हैं?

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    नौ नवंबर 2000 को अस्तित्व में आने के बाद उत्तराखंड में काफी सकारात्मक बदलाव आए हैं। नैनीताल जिले में महिलाओं की स्थिति में पहले से काफी सुधार हुआ है। आज वे आर्थिक रूप से संबल हुई हैं। तमाम योजनाओं की मदद से वे स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं। वर्तमान में जिले के अंदर 5300 महिला स्वयं सहायता समूह हैं, जिनसे करीब 38700 महिलाएं जुड़ी हैं, जबकि 2014 में इसकी शुरुआत महज 50 समूहों से हुई थी। आज इन समूहों से महिलाओं की आजीविका चल रही है। खास बात यह है कि इनमें से कुछ समूहों की आय सालभर में 20 लाख रुपये से अधिक की है।

    ये समूह ऐपण, रेशम, जैम, जूस, अचार, मोमबत्ती, पिछौड़े, तैयार करते हैं। यही नहीं समूहों की ओर से जिले में 23 मोबाइल आउटलेट, 11 वुडन स्टोर, आठ हिलांस किचन, छह ग्रोथ सेंटर और पांच इंदिरा अम्मा कैंटीन आदि भी संचालित किए जा रहे हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत संचालित ये महिला स्वयं सहायता समूह तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। एक दौर वो भी था, जब महिलाएं इन समूहों से जुड़ने में डरती थीं। उन्हें धोखा मिलने का भय सताता था, लेकिन अब वे इन पर भरोसा कर रही हैं।

    जिला थिमेटिक एक्सपर्ट, एनआरएलएम रविंद्र बजेठा बताते हैं कि आज नैनीताल जिले में 18 हजार से अधिक लखपति दीदी हैं, यानी ऐसी महिलाएं जो अपने दम पर साल में एक लाख रुपये से अधिक कमा रही हैं। यही नहीं इस वित्त वर्ष के अंत में लखपति दीदी की संख्या 23 हजार करने का लक्ष्य है। ध्यान देने वाली बात यह है कि साल 2023 में जिले में महज 2500 लखपति दीदी थीं, यानी प्रतिवर्ष 168.3 प्रतिशत की दर से लखपति दीदी की संख्या जिले में बढ़ रही है।

    महिला सुरक्षा पर ध्यान देने की जरूरत

    इस उजली तस्वीर का स्याह पहलू यह है कि महिला सशक्तीकरण के लाख दावों के बावजूद जिले में महिलाएं पूरी तरह महफूज नहीं हैं। जहां एक ओर देवभूमि में महिलाओं को देवी की तरह पूजन का दंभ भरा जाता है, वहीं दूसरी ओर हल्द्वानी में मासूम नन्ही कली की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी जाती है। राष्ट्रीय क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की हालिया रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई है कि पर्वतीय राज्यों में महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध उत्तराखंड में हुए हैं। ऐसे में महिला सुरक्षा न सिर्फ जिले बल्कि पूरे राज्य के लिए अहम मुद्दा है। सशक्त महिला का सपना सुरक्षित माहौल में ही पूरा हो पाएगा।

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