मौसम चक्र में आए परिवर्तन को सुधारेगा पश्चिमी विक्षोभ, गर्मी-बारिश होगी समय पर nainital news
शीतकाल में पश्चिमी विक्षोभ का मेहरबान रहना आने वाले मौसम के लिए फायदेमंद साबित होगा। ग्रीष्म ऋतु समय पर शुरू होगी जो मानसून को निर्धारित वक्त पर लाने में मददगार साबित होगी।
नैनीताल, जेएनएन : शीतकाल में पश्चिमी विक्षोभ का मेहरबान रहना आने वाले मौसम के लिए फायदेमंद साबित होगा। ग्रीष्म ऋतु समय पर शुरू होगी जो मानसून को निर्धारित वक्त पर लाने में मददगार साबित होगी। इस बार प्रभावशाली रहे पश्चिमी विक्षोभों के चलते वैज्ञानिक यह संभावना जता रहे हैं। जिसका कृषि व ग्रीष्मकालीन जलस्रोतों को लाभ मिलेगा।
मौसम के चक्र में आए परिवर्तन में होगा सुधार
आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह का कहना है कि पिछले कुछ सालों से मौसम चक्र में काफी बदलाव देखने को मिले हैं। जिसके चलते शीत, शरद व ग्रीष्म ऋतु के चक्र पर असर पड़ा है, लेकिन इस बार अभी तक जिस तरह से पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय रहे हैं, उससे संभावना जताई जा सकती है कि मौसम के चक्र में आए परिवर्तन में सुधार आ जाएगा। इस बार शीतकाल में अभी तक पांच बार पश्चिमी विक्षोभ प्रभावशाली रूप से सक्रिय रहे हैं, जिससे न केवल अच्छा पानी बरसा है, बल्कि हिमपात अपेक्षा से कहीं अच्छा हुआ है।
दो से तीन बार पश्चिमी विक्षोभ के आने की संभावना
शीतकाल का समय मध्य फरवरी तक रहता है। इस बीच दो से तीन बार पश्चिमी विक्षोभ के आने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। जिसके चलते फरवरी मध्य से मैदानी भागों में तापमान बढऩे शुरू हो जाएंगे और मार्च तक पारा समय के अनुसार सामान्य रहने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। इसका असर मानसून पर पड़ेगा। जिसके निर्धारित समय पर पहुंचने की संभावना जताई जा सकती है। फिलहाल इस शीत में अधिक सक्रिय रहे पश्चिमी विक्षोभ आने वाले वाले दिनों में इनकी सक्रियता कमी आ जाएगी। गत वर्ष पश्चिमी विक्षोभ मार्च तक सक्रिय रहे थे।
पिछले शीत ऋतु की तुलना में 142 मिमी अधिक बरसा पानी
पिछला मानसून देर तक टिके रहने का असर इस शीत ऋतु में देखने को मिल रहा है। इसकी तुलना पिछले ठंड से करें तो पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय तो रहे, लेकिन पानी बरसाने में नाकाम रहे। जीआइसी मौसम विज्ञान केंद्र के प्रभारी प्रताप सिंह बिष्ट के अनुसार पिछले शीत में दिसंबर में बारिश बूंदाबांदी तक ही सिमट कर रह गई, जबकि पूरे जनवरी में सिर्फ 41 मिमी बारिश हुई। इसकी तुलना में इस बार पश्चिमी विक्षोभ प्रभावशाली ढंग से पांच बार सक्रिय रहे और दिसंबर व 19 जनवरी के बीच 183 मिमी पानी बरस चुका है। साथ ही कई बार हिम की बरसा कर चुके हैं।
21 दिसंबर से शुरू पश्चिमी विक्षोभ अब तक पांच बार आ चुका है
इस शीतकाल में पहला पश्चिमी विक्षोभ 21 दिसंबर को बरसा, जो 22 दिसंबर तक सक्रिय रहा। इसके बाद दूसरा दो व तीन जनवरी के बीच सक्रिय रहा। तीसरा छह से आठ के बीच रहा। चौथा 12 से 14 जनवरी तक रहा और पांचवा 16 से 19 जनवरी के बीच प्रभावी रहा।
जानिए क्या है पश्चिमी विक्षोभ
पश्चिमी विक्षोभ एक तरह का तूफान है जो विभिन्न समुद्रों से नमी लेकर बारिश और बर्फ के रूप में भारत पाकिस्तान और नेपाल के मौसम को प्रभावित करती है। बता दें कि भारतीय किसानों को गेहूं की खेती के लिए इसका इंतजार रहता है।
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