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खाड़ी देशों में आडू से साफ हो रहा पानी, काश्‍तकारों नहीं बिचौलियों को मिल रहा इसका लाभ

जिले के रामगढ़ ब्लॉक के उद्यानों के आड़ू की बाहरी परत तेल उत्पादक खाड़ी के देशों के खारे पानी को साफ कर रही है। मुंबई के रास्ते यह आड़ू खाड़ी के देशों में भेजा जा रहा है

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 10 Jun 2019 06:24 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jun 2019 07:34 PM (IST)
खाड़ी देशों में आडू से साफ हो रहा पानी, काश्‍तकारों नहीं बिचौलियों को मिल रहा इसका लाभ
खाड़ी देशों में आडू से साफ हो रहा पानी, काश्‍तकारों नहीं बिचौलियों को मिल रहा इसका लाभ

नैनीताल, किशोर जोशी : जिले के रामगढ़ ब्लॉक के उद्यानों के आड़ू की बाहरी परत तेल उत्पादक खाड़ी के देशों के खारे पानी को साफ कर रही है। मुंबई के रास्ते यह आड़ू खाड़ी के देशों में भेजा जा रहा है, लेकिन आश्चर्यनजक यह है कि इसका लाभ काश्तकार नहीं बल्कि बिचौलिए उठा रहे हैं। 

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तल्ला रामगढ़ क्षेत्र के हरतोला, सतपुरी, लोश्ज्ञानी, नैकाना, बसगांव, ताड़ीखेत, रूप सिंह धूरा समेत अन्य गांवों के करीब दो हजार परिवारों की आजीविका का मुख्य साधन आडू, पुलम, खुमानी बिक्री है। हरतोला के काश्तकार गोपाल भट्ट बताते हैं कि आड़ू का बाहरी आवरण या झूस खारे पानी की सफाई करता है, इसी वजह से रामगढ़ का आडू मुंबई के रास्ते बिना साफ किए खाड़ी के देशों में भेजा जाता है। धुला हुआ आड़ू भी मुंबई नहीं भेजा जाता। भट्ट के अनुसार आड़ू की परत में विद्यमान आयुर्वेदिक तत्व पानी को साफ करता है। 

तल्ला रामगढ़ में थोक व्यवसाई हरीश साह बताते हैं कि क्षेत्र से रोज 15 कैंटर-पिकअप आड़ू, पुलम, खुमानी पेटियों में पैक कर हल्द्वानी मंडी भेजा जा रहा है। अफसोस जताया कि घाटे का सौदा होने की वजह से काश्तकार इस धंधे को छोड़ रहे हैं। वह बताते हैं कि यदि सरकार को वास्तव में स्वरोजगार को बढ़ावा देना है तो फलोत्पादन को बढ़ावा देना होगा। काश्तकारों को बिचौलियों के मकडज़ाल से निकालना होगा।

120 रुपये जाल बिक रहा है पिरूल

जिस पिरूल की बिजली बनाने के सरकार दावे कर रही है, वह रामगढ़ क्षेत्र में फलों की पैकिंग के लिए बमुश्किल मिल रहा है। साह बताते हैं कि पीरूल का एक जाल 120 रुपये में जबकि पांच रुपये किलो मिल रहा है। एक पिकअप पिरूल मंगाने पर ढाई हजार देने पड़ रहे हैं। 

बिचौलियों की हो रही कमाई

क्षेत्र के काश्तकार मोहित भट्ट, कैलाश सिंह, भुवन पांडे बताते हैं कि फलोत्पादन का फायदा काश्तकारों को नहीं बल्कि बिचौलियों को हो रहा है। रामगढ़ से हल्द्वानी भेजी गई 15-16 किलो आड़ू की पेटी के चार-पांच सौ रुपये मिल रहे हैं। एक पेटी का किराया 25 रुपये, आठ रुपये कमीशन एजेंट को, गांव से सड़क तक प्रति पेटी घोड़े में 25 रुपए किराया, मंडी में न्यूनतम पल्लेदारी पांच रुपये, मंडी द्वारा धर्मशाला टैक्स प्रति किलो एक रुपया, मंडी शुल्क पांच रुपया, आढ़ती कमीशन आठ रुपये, लेबर चार्ज अतिरिक्त, आदि सब काश्तकार को वहन करना पड़ता है। एक लकड़ी की पेटी की कीमत 70 रुपये है। हल्द्वानी में थोक रेट में 25-30 रुपये आडू खरीदा जा रहा है, जबकि बाजार में ग्राहक 80-100 रुपये प्रति किलो खरीद रहे हैं। तमाम शुल्क चुकाने के बाद एक पेटी के काश्तकार को ढाई-तीन सौ मात्र मिलते हैं।

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