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    पांच सालों 40 रुपये प्रतिक्विंटल महंगी हुई रेत, सीमेंट ने भी मकान बनाने का बजट बिगाड़ा

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Tue, 11 Jun 2019 09:53 AM (IST)

    निर्माण सामग्री की बढ़ती कीमतों से आशियाना बनाने का ख्वाब देखने वाले लोगों का बजट बिगड़ रहा है। पिछले पांच साल में सीमेंट के दाम में पांच फीसद की बढ़ो ...और पढ़ें

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    पांच सालों 40 रुपये प्रतिक्विंटल महंगी हुई रेत, सीमेंट ने भी मकान बनाने का बजट बिगाड़ा

    हल्द्वानी, जेएनएन : निर्माण सामग्री की बढ़ती कीमतों से आशियाना बनाने का ख्वाब देखने वाले लोगों का बजट बिगड़ रहा है। पिछले पांच साल में सीमेंट के दाम में पांच फीसद की बढ़ोतरी हुई है। जबकि रेत-बजरी के दाम प्रतिक्विंटल 40-50 रुपये तक बढ़ गए। इसके अलावा भवन निर्माण से जुड़ी अन्य सामग्री के दामों में भी बढ़ोतरी हुई है। जबकि लोहा व ईट की कीमतों में लगातार उतार चढ़ाव है। जिससे लोगों को कभी निर्माण सामग्री महंगी मिल रही है तो कभी कीमतों में मामूली राहत है। निर्माण से जुड़ी एजेंसियों की मानें तो बरसात के दिनों में भवन निर्माण की कुल लागत में पांच से दस फीसद की बढ़ोतरी होगी।

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    सात हजार में मिल रही लंढौर की एक हजार ईंट
    भवन निर्माण सामग्री बेचने वाली एजेंसियों में इन दिनों उत्तर प्रदेश के संभल, शीशगढ़ व शामली से ईंट की सप्लाई हो रही है। जिनकी कीमत प्रति एक हजार ईंट 4500 से 4800 रुपये है। जबकि लंढौर से आने वाली ईंट के दाम 7000 हजार रुपये प्रति एक हजार ईंट हैं। लंढौर ईंट के दाम ज्यादा होने से भवन निर्माण के लिए ज्यादातर लोग शीशगढ़ की ईंट ही खरीद रहे हैं।

    बरसात में बढ़ जाएंगे रेत, बजरी के दाम
    गौला नदी में खनन बंद होने और बरसात का मौसम करीब होने के बाद रेत-बजरी के दामों में उछाल आने का अनुमान है। फिलहाल निर्माण एजेंसियों के पास रेत-बजरी का पर्याप्त स्टॉक है। सर्दियों में ईंट के दाम ज्यादा थे, लेकिन गर्मी में ईंट निर्माण शुरू होने के बाद इसमें थोड़ी कमी आई थी। ईट व्यवसायी राजकुमार चौहान का कहना है कि अब बरसात में ईंट भट्टे बंद होने के बाद दामों में इजाफा हो सकता है। जिससे ईंट के दाम पांच से छह हजार प्रति एक हजार ईंट तक जा सकते हैं। 

    जीएसटी के दायरे में सीमेंट, रेत-बजरी
    सीमेंट पर 28 प्रतिशत, लोहे पर 18 और रेत-बजरी पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है। व्यावसायियों की मानें तो जीएसटी की वजह से दाम बहुत ज्यादा नहीं बढ़े हैं और कीमतें नियंत्रण में हैं। बाजार में इस समय लोहे की कीमत 4500 रुपये प्रति क्ंिवटल है। जबकि रेत-बजरी के दाम 125 से 130 रुपये प्रति क्ंिवटल चल रहे हैं।

    लागत में कमी के लिए अपनाई जा रही तकनीक
    कम बजट में भवन निर्माण करवाने के लिए लोग बिना किसी गुणवत्ता से समझौता किए लागत में कमी लाने के टिप्स अपना रहे हैं। इसमें मकान में सागौन व शीशम की लकड़ी की चौखट की बजाय लोहे की चौखट व प्लाई बोर्ड के दरवाजे लगाए जा रहे हैं। फर्श पर मार्बल बिछाने के स्थान पर टायल्स लगवाई जा रही है। इसके अलावा हाई स्ट्रैंथ क्वालिटी का सरिया इस्तेमाल किया जा रहा है, जो वजन में हल्का होता है, लेकिन उसकी मजबूती सामान्य लोहे के जैसी ही होती है। 

    सीमेंट और रेत-बजरी के दाम बढ़े
    गोपाल पिमोली, व्यवसायी ने बताया कि सीमेंट और रेत-बजरी के दाम पिछले कुछ सालों में बढ़े हैं। जबकि लोहे की कीमतें फिलहाल स्थिर बनी हुई है। इनमें ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को नहीं मिला।

    विकल्‍प भी बाजार में मौजूद  
    विनीत त्रिपाठी, सिविल इंजीनियर ने बताया कि भवन निर्माण की लागत बढ़ी हैं, लेकिन तकनीक के इस दौर में बाजार में तमाम तरह की ऐसी चीजें भी मौजूद हैं, जिन्हें अपनाकर लागत में थोड़ी कमी लाई जा सकती है। लोग इन तरीकों को अपनाने भी लगे हैं। 

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