Move to Jagran APP

विश्‍व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्‍ट फतह कर लौटी टैक्‍सी चालक की बेटी शीतल राज

सबसे कम उम्र में विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा फतह करने वाली पर्वतारोही शीतल ने विश्व की सबसे ऊंची पर्वतचोटी एवरेस्ट भी फतह कर ली है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 08 Jun 2019 08:24 PM (IST)Updated: Sun, 09 Jun 2019 09:36 AM (IST)
विश्‍व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्‍ट फतह कर लौटी टैक्‍सी चालक की बेटी शीतल राज
विश्‍व की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्‍ट फतह कर लौटी टैक्‍सी चालक की बेटी शीतल राज

हल्द्वानी, जेएनएन : सबसे कम उम्र में विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा फतह करने वाली पर्वतारोही शीतल ने विश्व की सबसे ऊंची पर्वतचोटी एवरेस्ट भी फतह कर ली है। 18 पर्वतारोहियों के ग्रुप के साथ शीतल पांच अप्रैल से 28 मई तक एवरेस्ट अभियान में शामिल हुई थीं। ग्रुप में उनके साथ यूके व अमेरिका के पर्वतारोही थे। 
शनिवार को कुमाऊं मंडल विकास निगम के काठगोदाम स्थित गेस्ट हाउस पहुंचीं शीतल ने बताया कि एवरेस्ट फतह करने का उनका अनुभव शानदार रहा। मूलरूप से पिथौरागढ़ जिले के सल्लोड़ा गांव निवासी शीतल केएमवीएन के साहसिक पर्यटन अनुभाग में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया उनके दल ने नेपाल के काठमांडू से एवरेस्ट अभियान की शुरुआत की थी। 16 मई की सुबह छह बजे दल के सदस्य एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचे। 28 मई को दल वापस काठमांडू पहुंचा। इससे पहले 2018 में उन्होंने कंचनजंगा चोटी चढऩे में फतह हासिल की थी। शीतल ने बताया कि पर्वतारोहण के क्षेत्र में उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में रहने वाले लोगों को आगे आना चाहिए, खासकर महिलाओं को। भौगोलिक परिस्थिति व अन्य कारण से यहां की महिलाएं पर्वतारोहण में ज्यादा सक्षम हैं। उन्होंने बताया कि वह अब पहाड़ की युवतियों को पर्वतारोहण के लिए प्रेरित करेंगी।

loksabha election banner

टैक्‍सी चालक हैं शीतल के पिता
शीतल एक बेहद गरीब परिवार से हैं। उनके पिता उमाशंकर राज टैक्सी चलाकर परिवार का पालन पोषण करते हैं। वह टैक्सी चलाकर महीने में किसी तरह छह-सात हजार रुपए कमा पाते हैं, लेकिन बेटी के सपनों को पूरा करने में उन्होंने लाख तंगी के बावजूद खुद को कभी आड़े नहीं आने दिया। उस समय जिलाधिकारी सी. रविशंकर और सीडीओ वंदना ने शीतल की समस्या को देखते हुए प्रायोजक खोजने में खुद पहल की। हंस फाउंडेशन, आइआइएलसी, खनिज फाउंडेशन के सहयोग से उनके लिए धनराशि का इंतजाम किया गया। आस्ट्रेलिया में रहने वाले प्रवासी भारतीयों से भी उन्हें मदद मिली। उसके बाद शीतल की उम्मीदों को पंख लग गए।

पिछले साल शुरू किया था अभियान 
शीतल एवरेस्ट फतह के लिए दो अप्रैल 2018 को काठमांडू के लिए रवाना हो गई थीं। वहीं से उन्होंने अपना एवरेस्ट अभियान शुरू किया। गत 5 अप्रैल को काठमांडू से एवरेस्ट के बेसकैंप के लिए वह रवाना हुई थीं और 15 अप्रैल को बेस कैंप पहुंची। इसी सप्ताह 12 मई तक शीतल ने बेस कैंप में दूसरे पर्वतारोहियों के साथ रॉक क्लाइंबिंग की प्रैक्टिस की। इससे पहले एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए उन्होंने कड़ी मशक्कत की।

इन पर्वतारोहियों का मिला मार्गदर्शन 
तीन महीने तक वह उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्वतारोही योगेश गर्ब्‍याल की देखरेख में पंचाचूली चोटी क्षेत्र में नियमित अभ्यास करती रहीं। उस दौरान एवरेस्ट विजेता लवराज धर्मशक्तू सहित उत्तराखंड के तमाम लोग उन्हें एवरेस्ट फतह के लिए प्रोत्साहित करते रहे। शीतल ने पांच सदस्यीय अभियान दल 'क्लाइमबिंग बियॉन्ड द समिट: एवरेस्ट एक्सपेडिशन 2019' का हिस्सा बनकर एवरेस्ट पर विजय पाई है।

समाजशास्‍त्र में स्‍नातक हैं शीतल राज
एवरेस्ट फतह कर चुके कोच योगेश गर्ब्याल के मुताबिक, शीतल गुरुवार, 16 मई की सुबह छह बजे एवरेस्ट शिखर पर पहुंच गई थीं। सुबह जैसे ही शीतल के एवरेस्ट फतह की खबर सोर घाटी में पहुंची, लोगों के चेहरे खिल उठे। समाजशास्त्र से ग्रैजुएट शीतल कहती हैं कि वह स्कूल के टाइम से ही पर्वतारोहण के लिए काफी उत्साहित रहा करती थीं। आज वह एवरेस्ट शिखर पर पहुंचने के बाद से बहुत खुश और उत्साहित हैं। इस कामयाबी का श्रेय वह अपने माता-पिता को देती हैं।

बचपन से रहा है शिखर पर जाने का जुनून 
शीतल के माता-पिता बताते हैं कि पर्वत शिखरों तक पहुंचने का उसमें बचपन से ही जुनून सा रहा है। इसी से वे भी बेटी की इस तरह की बड़ी कामयाबी के सपने देखने लगे थे, जो अब जाकर पूरा हुआ है। राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल  भी शीतल को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई दे चुके हैं। 

यह भी पढ़ें : नैनीताल घूमने आ रहे हैं तो पढ़ लें ये खबर, वरना सुकून की चाहत बन सकती है मुसीबतों का कारण

यह भी पढ़ें : कॉर्बेट आइगर रिजर्व में आपसी संघर्ष में मारे जा रहे बाघ, हाथी और गुलदार, जानिए कारण

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.