Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कॉर्बेट आइगर रिजर्व में आपसी संघर्ष में मारे जा रहे बाघ, हाथी और गुलदार, जानिए कारण

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 07 Jun 2019 09:23 PM (IST)

    कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वन्य जीव एक दूसरे की जान के दुश्मन बन रहे हैं। इन तीन सालों में सबसे ज्यादा 28 वन्य जीवों ने आपसी संघर्ष की वजह से अपनी जान गंवाई हुई है।

    कॉर्बेट आइगर रिजर्व में आपसी संघर्ष में मारे जा रहे बाघ, हाथी और गुलदार, जानिए कारण

    रामनगर, जेएनएन : कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में वन्य जीव एक दूसरे की जान के दुश्मन बन रहे हैं। इन तीन सालों में सबसे ज्यादा 28 वन्य जीवों ने आपसी संघर्ष की वजह से अपनी जान गंवाई हुई है। वन्य जीव विशेषज्ञ इसके लिए जंगल में केयरिंग कैपेसिटी भी कम होना एक वजह मान रहे हैं। वन्य जीवों का जंगल से आबादी में रूख करने से भी मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ रही है। 
    कॉर्बेट में जितने भी वन्य जीवों की मौत होती है। उनमें अधिकतर की मौत मौके पर मिले साक्ष्यों के आधार पर अधिकारियों द्वारा आपसी संघर्ष से होना बताई जाती है। वर्ष 2016 से इस साल मार्च तक की विभागीय आंकड़ों की बात करें तो कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में आठ बाघ, 16 हाथी व चार गुलदार आपसी संघर्ष में मारे गए हैं। आपसी संघर्ष से हो रही इन मौतों को रोकने के लिए यदि कॉर्बेट प्रशासन व इसकी मॉनिटरिंग कर रही सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं ने इसका अध्ययन नहीं किया गया तो भविष्य में स्थिति और भी भयावह होगी। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वन्य जीवों के आबादी में आने की घटनाएं

    • 11 सितंबर को कठियापुल में शावक पकड़ा
    • 29 नवंबर को गैबुआ में घुसे गुलदार को पकड़ा
    • 01 फरवरी को ढेला में बाघिन घुसी
    • 13 अप्रैल को सक्खनपुर में तीन शावक मिले
    • 22 अप्रैल को ढेला में बाघ घुसा
    • 11 मई को गैबुआ में गुलदार के शावक मिले
    • 14 मई को लूटाबड़ में गुलदार खेत में दिखा
    • 26 मई को बाघ हाथीडंगर गांव में घुसा

    जानिए बढ़ते संघर्ष के कारण 
    एजी अंसारी, वन्य जीव विशेषज्ञ रामनगर ने बताया कि वन्य जीवों में आपसी संघर्ष जगह कम होने व प्रजनन के कारण होता है। मेरा मानना है कि कॉर्बेट में स्पेस केयङ्क्षरग कैपेसिटी के हिसाब से बचा नही है। क्योंकि पहले से ही कॉर्बेट में घनत्व 18 टाइगर प्रति सौ स्क्वायर किलोमीटर हो गया है। 

    संघर्ष का कोई प्रमाणिक अध्‍ययन नहीं 
    चंद्रशेखर जोशी, उपनिदेशक सीटीआर ने कहा कि वन्य जीवों में आपसी संघर्ष क्षेत्र को कब्जाने व प्रजनन के लिए होता है। जो ताकतवर होता है वहीं सर्वाइव कर पाता है। ऐसा कोई अध्ययन नहीं हुआ है कि वन्य जीव जंगल में जगह कम होने पर लड़ रहे हैं। 

    जो फिट होगा वही बचेगा 
    सुरेंद्र महरा, डीआइजी, एटीसीए दिल्ली ने बताया कि कॉर्बेट में आपसी संघर्ष की कोई खास वजह नहीं है। यह तो प्रकृति का स्वभाव है कि जो सबसे फिट होगा वही रह पाएगा। यदि कमजोर व बीमार वन्य जीव रहेगा तो पीछे की पीढ़ी भी उसी तरह की होगी। 

    यह भी पढ़ें : कुमाऊं भर में एंटी रैबीज खत्म, सरकारी आपूर्ति ठप, मेडिकल स्टोरों में भी नहीं मिल रही दवा
    यह भी पढ़ें : कॉर्बेट में भ्रमण के लिए नहीं मिल पा रही जिप्सियां, हाथ में परमिट लेकर भटक रहे पर्यटक

    लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

    comedy show banner
    comedy show banner