Uttarakhand Nikay Chunav Voting: हल्द्वानी का चुनाव रोमांचक, दांव पर बंशीधर और सुमित हृदयेश की प्रतिष्ठा
Uttarakhand Nikay Chunav Voting उत्तराखंड निकाय चुनाव में हल्द्वानी की मेयर सीट पर भाजपा के गजराज बिष्ट और कांग्रेस के ललित जोशी के बीच कड़ा मुकाबला ह ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी । Uttarakhand Nikay Chunav Voting: नगर निगम हल्द्वानी का चुनाव रोमांचक दौर में पहुंच गया है। मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय दल भाजपा व कांग्रेस के बीच ही दिख रहा है। दोनों प्रत्याशियों ने प्रचार के अंतिम दिन तक मुकाबले को रोचक बनाए रखा।
माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। वहीं, इस चुनाव में मुख्य रूप से दो विधायकों की प्रतिष्ठा भी दांव में लगी है। इसमें कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत और हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश शामिल हैं।
10 वर्षों से निगम में भाजपा के ही मेयर रहे गजराज
भाजपा के मेयर प्रत्याशी गजराज सिंह बिष्ट हैं। पिछले 10 वर्षों से निगम में भाजपा के ही मेयर रहे हैं। पिछले निगम चुनाव में मेयर के टिकट से लेकर चुनाव में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व विधायक बंशीधर भगत की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

निवर्तमान मेयर डा. जोगेंद्र रौतेला उनके करीबी माने जाते हैं। अगर जिला स्तर पर भी देखें तो भगत का राजनीतिक लिहाज से बड़ा कद है। पूर्व में वह कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं।
भगत चतुर राजनीतिक खिलाड़ी
चुनावी रणनीति की दृष्टि से भी वह चतुर राजनीतिक खिलाड़ी माने जाते हैं। यही कारण है कि कुमाऊं के सबसे प्रमुख शहर हल्द्वानी में मेयर की सीट को लेकर उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा भी दांव पर रहेगी। उनकी राजनीतिक कौशल की भी यह परीक्षा होगी। वहीं कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी ललित जोशी हैं। इस सीट पर देखें या जिला स्तर पर भी विधायक के रूप में सुमित हृदयेश का भी बड़ा राजनीतिक कद है। वह जिले की छह विधानसभा सीटों में एकमात्र कांग्रेस के विधायक हैं।
हल्द्वानी को माना जाता रहा कांग्रेस का गढ़
वैसे भी देखा जाए तो हल्द्वानी को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है। सुमित की माता स्वर्गीय डा. इंदिरा हृदयेश की शहर में मजबूत स्थिति रही है। राजनीति में भी वह कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार रहीं। इसी वजह से भी सुमित हृदयेश के लिए भी यह सीट राजनीतिक रूप से भी प्रतिष्ठा की रहेगी।
दरअसल, दोनों प्रत्याशी छात्रनेता रहे हैं। पहली बार मुख्य धारा के चुनाव में उनकी भी राजनीतिक कौशल की परीक्षा है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस परीक्षा में किसे सफलता मिलती है।

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