Move to Jagran APP

धार्मिक व औषधीय गुणों से भरपूर मानी जानी वाली तुलसी देश में सबसे ज्यादा उत्तराखंड में संरक्षित

धार्मिक व औषधीय गुणों से भरपूर माने जाने वाली तुलसी की सबसे ज्यादा प्रजातियों का संरक्षण करने में उत्तराखंड वन विभाग को कामयाबी मिली है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 01:18 PM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 11:17 AM (IST)
धार्मिक व औषधीय गुणों से भरपूर मानी जानी वाली तुलसी देश में सबसे ज्यादा उत्तराखंड में संरक्षित
धार्मिक व औषधीय गुणों से भरपूर मानी जानी वाली तुलसी देश में सबसे ज्यादा उत्तराखंड में संरक्षित

हल्द्वानी, जेएनएन : धार्मिक व औषधीय गुणों से भरपूर माने जाने वाली तुलसी की सबसे ज्यादा प्रजातियों का संरक्षण करने में उत्तराखंड वन विभाग को कामयाबी मिली है। लालकुआं व हरिद्वार में रिसर्च के बाद वन अनुसंधान केंद्र ने इसकी 19 प्रजातियों का संरक्षण कर लिया, जिसमें थाईलैंड में मिलने वाली प्रजाति भी शामिल है। अन्य किसी भी राज्य में 10 प्रजातियां भी एक साथ संरक्षित नहीं हो सकी। बड़ी उपलब्धि यह है कि हिमालयी व दक्षिण भारत की जलवायु में पनपने वाली तुलसी भी संरक्षण सूची में शामिल है।

loksabha election banner

वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि शोध टीम लंबे समय से लालकुआं व हरिद्वार में काम कर रही थी। दोनों जगह पर 0.5 हेक्टेयर एरिया में तुलसी के प्लांट लगाए गए। लालकुआं में बद्री तुलसी के सफल संरक्षण से महकमा भी उत्साहित है। क्योंकि यह अब तक हिमालयी क्षेत्र में ही पाई जाती थी। भगवान बद्रीनाथ को इसे चढ़ाया जाता है। हिंदू धर्म में घर के आंगन में तुलसी का पेड़ होना शुभ माना जाता है।

इन प्रजातियों का संरक्षण

देश में मुख्यत रामा और श्यामा को तुलसी की अहम प्रजाति माना जाता है। लालकुआं व हरिद्वार में वन तुलसी, राधा, श्यामा, कपूर, राम तुलसी, बबुई, मरूवा, सौम्या, कंचन, अंगना, नींबू, जनोवेस बसिल, रेड स्वीट बसिल, गार्डन सेज, बन तुलसी, मीठी, अमृता, परपल रफ्फल और थाई (थाईलैंड) तुलसी की प्रजातियां तैयार की गई है।

प्रदूषण कम करने और कीड़े भगाने में असरदार

रिसर्च के मुताबिक तुलसी एक नेचुरल प्यूरीफायर है। इसमे यूजेनॉल नाम का कार्बनिक योगिक होता है। जिससे मच्छर, कीड़े और अन्य कीट दूर रहते हैं। धार्मिक के साथ-साथ इसका वैज्ञानिक महत्व भी है।

भारत, चीन व तिब्बत में मेडिकल में इस्तेमाल

वन अनुसंधान के मुताबिक कैंसर से लडऩे वाले गुण होने के कारण बद्री तुलसी पर रिसर्च भी हो रहा है। कफ, पेट संबंधित रोग, रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने, भूख बढ़ाने और त्वचा संबंधी रोग में इसका इस्तेमाल होता है। भारत के अलावा चीन और तिब्बत तमाम तरह की मेडिसीन में इसका इस्तेमाल करता है।

वनस्पतियों के मामले में पहले भी रिकॉर्ड

इससे पूर्व 29 वनस्पतियों के समूह का संरक्षण कर उत्तराखंड रिकॉर्ड बना चुका है। अब अनुसंधान का फोकस इस बात भी है कि देश के अलग-अलग हिमालयी राज्यों में मिलने वाली प्रजाति यहां भी विकसित हो।

वन अनुसंधान टीम के लिए बड़ी उपलब्धि

वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि वन अनुसंधान की टीम के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। लंबे रिसर्च के बाद अलग-अलग भौगोलिक परिस्थितियों में होने वाली प्रजातियों को एक जगह संरक्षित किया गया है। तुलसी में धार्मिक व औषधीय दोनों गुण है।

यह भी पढ़ें : हिमालय में जहरीली हवा घोलने वाले कारणों पर जीबी पंत शोध संस्थान रिसर्च शुरू

यह भी पढ़ें : लगातार घाटे में चल रहे उत्तराखंड बीएसएनएल को उत्तर प्रदेश सर्किल में मर्ज करने की तैयारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.