Move to Jagran APP

लगातार घाटे में चल रहे उत्तराखंड बीएसएनएल को उत्तर प्रदेश सर्किल में मर्ज करने की तैयारी

लगातार घाटा झेल रहे बीएसएनएल के अल्मोड़ा मंडल और देहरादून मुख्यालय को यूपी सर्किल में मर्ज करने की योजना चल रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 10:39 AM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 11:17 AM (IST)
लगातार घाटे में चल रहे उत्तराखंड बीएसएनएल को उत्तर प्रदेश सर्किल में मर्ज करने की तैयारी
लगातार घाटे में चल रहे उत्तराखंड बीएसएनएल को उत्तर प्रदेश सर्किल में मर्ज करने की तैयारी

अल्मोड़ा, जेएनएन : आप लोगों को वह दौर याद होगा जब बीएसएनएल का एक सिम पाने के लिए लोग हजारों चुकाने के लिए तैयार होते थे। फिर भी मुश्किल से ही सिम मिल पाता था। वहीं एक दौर आज का है जब 'कनेक्टिंग इंडिया' के जरिये पूरे देश को अपना बनाने वाली कंपनी अपने सबसे बुरे दौरा से गुजर रही है। आलम यह है कि अन्य निजी कंपनियां जहां बाजार में मजबूती से खड़ी हैं, वहीं बीएसएनएल के पांव उखडऩे शुरू हो गए हैं। मुनाफे के बजाय घाटे के लिए उसकी अपनी खामियां भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। सूत्रों की मानें तो लगातार घाटा झेल रहे निगम के अल्मोड़ा मंडल व देहरादून मुख्यालय को यूपी सर्किल में मर्ज करने की योजना चल रही है। नतीजतन, पर्वतीय राज्य में बीएसएनएल का नेटवर्क ही टूटने के कगार पर आ गया है।

loksabha election banner

भारत संचार निगम अरसे से लोगों को लैंडलाइन और इंटरनेट की सेवाएं देती आ रही है। अपनी इन सेवाओं के जरिए भारत संचार निगम लिमिटेड ने काफी मुनाफा भी कमाया। वर्ष 2002 के आसपास बीएसएनएल ने अपनी आय बढ़ाने के लिए मोबाइल सेक्टर में प्रवेश किया। शुरूआती दौर में सब कुछ ठीक ठाक रहा, लेकिन कुछ सालों में बाजारों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा से बीएसएनएल पार नहीं पा पाया। प्रतिद्वंदी कंपनियों से निपटने के लिए बीएसएनएल ने लगातार अपने डाटा टेरिफ कम करने शुरू किए, लेकिन इसके बाद भी बीएसएनएल अन्य कंपनियों का मुकाबला करने में नाकाम ही साबित रहा। वर्तमान में बीएसएनएल की हालत इतनी खराब है कि जहां कुमाऊं रीजन में सैकड़ों कैजुअल कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। वहीं निगम के पास बिजली के बिल समेत अन्य खर्चें उठाने तक का बजट नहीं है।

लगातार बढ़ रही है वीआरएस आवेदनों की संख्या

लगातार घाटे से जूझ रहे भारत संचार निगम से वीआरएस लेने वाले काॢमकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। वीआरएस पोर्टल पर प्रतिदिन आवेदनों की संख्या में इजाफा देखा जा रहा है। बुधवार की शाम तक उत्तरांचल टेलीकॉम सर्किल में वीआरएस के लिए पात्र 852 पदों के सापेक्ष 685 पदों पर आवेदन किए जा चुके हैं। सबसे अधिक 195 आवेदन देहरादून और 176 आवेदन नैनीताल से हुए हैं। जबकि श्रीनगर और हरिद्वार से 72-72, अल्मोड़ा से 71, सर्किल ऑफिस देहरादून से 56 और टिहरी से 43 आवेदन निगम को प्राप्त हो चुके हैं।

घाटे के ग्राफ पर भी नहीं अंकुश

बीएसएनएल का घाटे का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्ष 2017 के आंकड़ों पर गौर करें तो बीएसएनएल को करीब 4,786 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था जो 2018 में बढ़कर आठ हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया। जबकि वर्ष 2019 में भी तमाम प्रयासों के बाद भी बीएसएनएल की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं आ पाया है।

यूएसओ फंड से लगे टावरों से भी खींचा हाथ

भारत सरकार के संचार मंत्रालय से यूएसओ फंड के लिए लगाए गए टावरों से भी कोई फायदा नहीं मिलने के कारण अब बीएसएनएल ने भी इन टावरों से हाथ खींच लिया है। दरअसल संचार मंत्रालय ने अपने इस फंड की राशि से बीएसएनएल, रिलायंस और वोडाफोन कंपनियों के लिए टावरों का निर्माण किया था। योजना के तहत एक ही टावर से तीनों कंपनियों को अपना अपना नेटवर्क संचालित करना था। रिलायंस ने इन टावरों से अपना नेटवर्क संचालित नहीं किया, लेकिन वोडाफोन और बीएसएनएल भी इन टावरों से कोई लाभ नहीं उठा पाई और दोनों कंपनियों ने यहां से भी हाथ खींच लिए।

घाटे से उबारने की हो रही कोशिश

एके गुप्ता, महाप्रबंधक, बीएसएनएल, अल्मोड़ा ने बताया कि कुमाऊं मंडल में घाटे से निपटने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। कोशिश है लोगों को बेहतर सेवाएं दी जा सकें। जहां तक आगे की रणनीति का सवाल है उस पर निर्णय निगम कार्यालय को ही लेना है। जैसे निर्देश मिलेंगे वैसे ही कार्य किया जाएगा।

यह भी पढ़ें : उत्‍तराखंड टी बोर्ड चाय उत्‍पादन कर लाखों कमा रहा, लेकिन लीज पर जमीन देने वाले किसानों को नहीं दे रहा उनका हक

यह भी पढ़ें : जिम कॉर्बेट से लेकर बर्फीले मुक्तेश्वर तक किंग कोबरा का वास, फिर भी आज तक किसी इंसान को नहीं डसा


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.