चार दिन में तीन लाश, उठ गया पुलिस पर विश्वास
पर्यटन सीजन की शुरुआत के साथ हत्यारे पुलिस को लगातार चुनौती दे रहे हैं। चार दिन के भीतर तीन लाश मिलने से जनपद में हड़कंप मचा है। शव भी ऐसे मिले कि उनकी शिनाख्त तक नहीं हो सकी।
संदीप मेवाड़ी, हल्द्वानी। पर्यटन सीजन की शुरुआत के साथ हत्यारे पुलिस को लगातार चुनौती दे रहे हैं। चार दिन के भीतर तीन लाश मिलने से जनपद में हड़कंप मचा है। शव भी ऐसे मिले कि उनकी शिनाख्त तक नहीं हो सकी। मरने वाले कौन थे, कहां के थे, इन राज से पर्दा उठने पर ही कातिलों का सुराग लग सकेगा। वहीं शांत वादियों में इस तरह की घटनाएं पुलिस पर से भी विश्वास उठा रही हैं। सलड़ी के पास जिस तरीके से शव की सिर्फ हड्डियां बची हैं, उससे साफ अनुमान लगाया जा सकता है कि यह मर्डर है। क्योंकि ड्राइवर सीट पर बैठे चालक के साथ हादसा होने पर एक बार के लिए लगता कि हादसा हुआ होगा। लेकिन बगल वाली सीट पर बैठे व्यक्ति की बाहर निकलने की पूरी गुंजाइश रहती है।
ऐसे में आशंका है कि मरने वाला बेहोशी की हालत में होगा या फिर गंभीर रूप से घायल रहा होगा। हालांकि शिनाख्त के साथ ही घटना के राज से पर्दा उठ सकेगा। इससे पूर्व सोमवार को ज्योलीकोट के पास खाई में एक युवती का शव मिला था। 25 साल की युवती के सिर पर पत्थर से कुचलने के निशान मिले थे। शव करीब 24 घंटे पुराना था। युवती के बारे में कुछ पता नहीं चल सका। वहीं मंगलवार को बैलपड़ाव चौकी क्षेत्र में एक महिला का जला हुआ शव मिला था। 15 दिन पुराने इस शव की शिनाख्त करना पुलिस के लिए चुनौती बन चुका है।
शांत वादियां हत्यारों के लिए मुफीद
पहाड़ में मारपीट की घटना को भी एक समय काफी गंभीर माना जाता था, पर यह वादियां अब लाशें उगल रही हैं। हत्यारे शव यहां लाकर फेंकना आसान मान रहे हैं। पहले से योजना बनाकर भी मर्डर किए जा रहे हैं। सलड़ी के पास डेढ़ साल पहले सड़क किनारे एक युवती को जिंदा जलाया गया था। कातिलों को पकडऩा तो दूर उसकी शिनाख्त तक नहीं हो सकी।
लपटें देख पीछे हटे लोग
रात करीब आठ बजे स्थानीय लोगों को पता चला कि कार में आग लगी है। पहले उन्होंने खुद उस पर काबू करने का सोचा। लेकिन दूर तक उठती लपटें देख किसी की हिम्मत नहीं हुई, जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। हालांकि इस एरिया में नेटवर्क नहीं होने की वजह से पुलिस को जानकारी देने में भी देरी हो गई।
देवनगर में दो दिन में तीन लाशें मिली थीं
जनवरी में भीमताल विधानसभा क्षेत्र का देवनगर एरिया काफी सुर्खियों में रहा। देवनगर के जंगल में पहले दिन महिला व किशोरी की लाश मिली। ठीक अगले दिन एक बच्ची का शव मिला, जिसके बाद और लाश मिलने की आशंका से पुलिस व राजस्व टीम ने पूरे जंगल को खंगाला था। तीन लोगों की हत्या से आसपास के लोग भी हिल गए। हालांकि बाद में शवों की शिनाख्त एक ही परिवार के सदस्यों के तौर पर हुई। कातिल भी पुलिस के हत्थे चढ़ गए थे।
आंकड़े शांत, पहाड़ अब अशांत
बड़े अपराध पहले प्रदेश के मैदानी जिलों में सामने आते थे। इस वजह अपराध नियंत्रण का जिम्मा पुलिस के साथ राजस्व पुलिस के हवाले भी हैं। लेकिन अब पहाड़ में हत्या, लूट, दुष्कर्म जैसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो 2016 से दिसंबर 2018 यानी तीन साल की अवधि के बीच अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर व चम्पावत जनपद में अपराध बढ़ा है। कुल 568 मुकदमें दर्ज हुए, जिसमें हत्या के 31, डकैती दो, लूट 18, बलवा 10, चोरी 94, दहेज हत्या 15, दुष्कर्म 15 व अपहरण के पांच मामले शामिल हैं।
सात साल में 181 शवों की शिनाख्त नहीं
पर्वतीय एरिया में हत्या कर बच निकलने की बड़ी वजह मरने वाली की शिनाख्त का न होना है। आंकड़ों पर गौर करें तो 2012 से 2018 के बीच नैनीताल जनपद में कुल 281 शव मिले। बड़ी मुश्किल से पुलिस सिर्फ सौ लोगों की शिनाख्त कर सकी। 181 लोग आज मरने के बाद भी दुनिया के लिए सिर्फ अज्ञात है।
पूनम हत्याकांड पहेली
गोरापड़ाव निवासी ट्रांसपोर्टर लक्ष्मीदत्त पांडे की पत्नी पूनम की बदमाशों ने अगस्त में बेरहमी से हत्या की थी। घर में घुसकर बेटी को भी अधमरा कर बदमाश फरार हो गए थे। हत्यारों का सुराग तलाशने के लिए पुलिस दस से अधिक राज्यों की खाक छानने के साथ सैकड़ों संदिग्धों को उठाकर पूछताछ कर चुकी है। पर कुछ नतीजा नहीं निकला।
नीरू शाह की गुत्थी उलझी
आरटीओ रोड रेशमबाग निवासी बुजर्ग नीरू नाथ साह उर्फ नीरू का शव 15 मई 2018 को दीवान बेड पर मिला था। साड़ी के फंदे से बुजुर्ग का गला घोंट हत्या को अंजाम दिया गया था। पुलिस ने कॉल डिटेल खंगालने के साथ नजदीकियों से भी पूछताछ की। लेकिन एक साल बाद भी एक अदद सुराग नहीं मिला।
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