बसंत का श्रृंगार करने के लिए आ गए टेसू के फूल, इतनी जल्दी आने का कारण भी जान लीजिए
पहली बार मौसम के करवट लेने के चलते टेसू के फूल जल्द खिल उठे हैं। तापमान वृद्धि से इस बार दिसंबर में ही फूल आने लगे। होल्यारों ने भी पहले से तैयारी शुरू कर दी है।
हल्द्वानी, रजत श्रीवास्तव : टेसू के फूल...। इसे बसंत का श्रृंगार कह सकते हैं और होली के महकते रंग भी। फूल मार्च माह के बीच आते हैं तो होली के करीब आने की दस्तक भी देते हैं। मगर पहली बार मौसम के करवट लेने के चलते टेसू के फूल जल्द खिल उठे हैं। तापमान वृद्धि से इस बार दिसंबर में ही फूल आने लगे। होल्यारों ने भी पहले से तैयारी शुरू कर दी है। टेसू के फूल की होली लंबे समय से चलती आ रही है जो आज भी लोगों को खूब भाती है।
नए बीजाणु बनने में हो रही दिक्कत
इस बार मौसम में काफी तेजी के साथ परिवर्तन हुआ। धूप-छांव के इस मौसम से तापमान वृद्धि हुई जिससे दिसंबर में ही फूल आ गए। खास बात यह है कि अब नए बीजाणु बनने में भी दिक्कत हो रही है।
त्वचा के लिए है बेहतर
बाजार में बिकने वाले रंगों की अपेक्षा टेसू के फूल से बनने वाले रंग का अलग मजा है। खासतौर पर त्वचा को ध्यान में रखते हुए बेहद जरूरी है। पुराने लोग टेसू के फूल से ही होली खेलते थे। जो आज भी यादों में है।
ऐसे बनता है टेसू का रंग
होली में सबसे अधिक लाल रंग के अलावा केसरिया एवं सिंदूरी रंग का इस्तेमाल किया जाता है। टेसू के फूल से रंग बनाने के लिए एक किलो टेसू यानी पलाश को छाया में सुखा लेते हैं। इसके बाद सूखे फूलों को दो-तीन लीटर पानी में डालकर छोड़ देते हैं। इसे मिलाने पर एक रंग तैयार होता है जिससे लोग होली खेलते हैं।
इस टेसू में बडे-बड़े गुण
टेसू का फूल काफी गुणकारी है। चर्म रोग के लिए यह बेहद कारगर है। गुनगुने पानी में डालकर सूजन वाली जगह पर लगाने से बीमारी दूर हो जाती है। वहीं फूलों को पीसकर चेहरे पर लगाने से चमक बढ़ती है।
अपनाई जा रही वानस्पतिक पद्धति
बीजाणु न पनपने से इस बार वन विभाग को चिंता सताने लगी है। इसलिए इस बार वानस्पतिक पद्धति अपनाई जा रही है। जिसमें कटिंग के साथ ही कई चीजों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
तापमान वृद्धि के कारण जल्दी आ गए फूल
मदन सिंह बिष्ट, प्रभारी वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी ने बताया कि इस बार तापमान वृद्धि के चलते दिसंबर में ही टेसू का फूल आ गया। जबकि अब तक मार्च में होली से कुछ समय पहले ही फूल आता है। अब नए बीजाणु बनने में भी दिक्कत आ रही है। इसका तरीका निकाला जा रहा है।
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