Banbhulpura Railway Encroachment: बदली सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख, अब करना होगा दो माह का इंतजार
बनभूलपुरा रेलवे अतिक्रमण मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की तारीख बदल गई है, जिसके कारण अब दो महीने का इंतजार करना होगा। यह मामला नैनीताल जिले के ब ...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट से हुई पुष्टि। आर्काइव
जागरण संवाददाता, नैनीताल। सुप्रीम कोर्ट में हल्द्वानी के बनभूलपुरा-गफूरबस्ती क्षेत्र में रेलवे की 31.87 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण हटाने के आदेश के विरुद्ध विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई अब तीन फरवरी को होगी, इससे पहले दस दिसंबर को समयाभाव के बाद अगली सुनवाई को 16 दिसंबर की तिथि बताई जा रही थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट में अब तक इसको लेकर आधिकारिक जानकारी हुई है। दो दिसंबर को भी समयाभाव के कारण सुनवाई टल गई थी।
रेलवे की ओर से चिह्नित बनभूलपुरा क्षेत्र में 4365 घर हैं। इसमें करीब 50 हजार की आबादी निवास करती है। 20 दिसंबर 2022 को नैनीताल हाई कोर्ट ने गौलापार हल्द्वानी के समाजसेवी रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर 31.87 हेक्टेयर रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था।
दरअसल 2021 में बरेली में एनईआर इज्जतनगर मंडल के राज्य संपदा अधिकारी ने रेलवे भूमि पर कब्जा करने वालों को नोटिस जारी किया था। इसपर बनभूलपुरा के लोगों ने दावा किया कि रेलवे की ओर से जारी नोटिस कानून के विरुद्ध है और विवादित भूमि नगरपालिका बोर्ड की सीमा में आती है। इसपर रेलवे ने कहा कि भूमि खाली करने की प्रक्रिया सार्वजनिक परिसर (बेदखली) अधिनियम के तहत शुरू की गई थी। अवैध रूप से कब्जा की गई रेलवे भूमि के लेआउट के साथ कब्जेदारों को नोटिस जारी किए गए थे।
न्यायालय ने माना कि जब यह स्पष्ट है कि भूमि रेलवे की है, तो कब्जा अब अतिक्रमण है। इसपर रेलवे की कार्रवाई वैध है। गौलापार के सामाजिक कार्यकर्ता रविशंकर जोशी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर गौला पुल पर अवैध खनन का मामला उठाया था। सुनवाई के दौरान रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण का मामला भी उठा। हाई कोर्ट ने भी अतिक्रमण हटाने के आदेश पारित किए तो इस निर्णय के विरुद्ध अब्दुल मतीन सिद्दीकी सहित अन्य की ओर से विशेष अनुमति याचिका दायर की गई।

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