Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Sanskaarshala: डिजिटल गैजेट्स की आदत बन रही बुरी लत, बच्चों के लिए यह बेहद घातक, करें जागरूक

    By Jagran NewsEdited By: Rajesh Verma
    Updated: Fri, 21 Oct 2022 06:37 PM (IST)

    Sanskaarshala एकल परिवार माता पिता की व्यस्तता के कारण बालक अपने दोस्तों की ओर रुख कर लेता है डिजिटल दुनिया के मकडज़ाल में मित्र बनाना उनसे बातें करना गेम खेलना या अन्य अच्छी बुरी आदतें सीखना काफी सरल और सुलभ साधन हैं।

    Hero Image
    इंटरनेट मीडिया की दुनिया में मनुष्य भी प्रायोगिक जीव बन कर रह गया है।

    हल्द्वानी : Sanskaarshala: कोई भी आदत तब तक बुरी नहीं है, जब तक कि उसकी वजह से आपका सामाजिक जीवन और स्वास्थ्य प्रभावित न हो। डिजिटल गैजेट्स की बदौलत हमारी अभिव्यक्ति और रचनात्मकता को बढ़ावा मिल रहा है। साथ ही मनोरंजन भी होता है। पर चिंता की बात यह है कि इनका प्रयोग करने की आदत बढ़ते हुए लत में बदल जा रही है। जिससे सबसे अधिक प्रभावित बच्चे और युवा हो रहे हैं। इसलिए उन्हें जागरूक करने के साथ गैजेट्स के अति प्रयोग से दूर रखना जरूरी है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बाल मन को संभालना बेहद जरूरी

    बाल मन बहुत चंचल होता है, वे स्वयं के जीवन में उपयोग किए जाने वाले कौशल और तकनीकों को जानने के लिए हमेशा अपने आसपास के व्यवहार और दृष्टिकोण की खोज करते हैं। एकल परिवार, माता पिता की व्यस्तता के कारण बालक अपने दोस्तों की ओर रुख कर लेता है, डिजिटल दुनिया के मकडज़ाल में मित्र बनाना, उनसे बातें करना, गेम खेलना या अन्य अच्छी बुरी आदतें सीखना काफी सरल और सुलभ साधन हैं।

    डिजिटल माध्यम की लत घातक, आत्म अनुशासन से मिलेगी मुक्ति

    किशोरावस्था का जीवन पर गहरा प्रभाव

    किशोरावस्था नई पहचान और अनुभवों के साथ प्रयोग का समय होता है, इस समय वह साथियों के प्रति बहुत संवेदनशील होता है। इस अवस्था में साथियों के व्यवहार का उसके जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। एक बार डिजिटल मीडिया की खिड़की खुलते ही हमें एहसास ही नहीं होता कि हम बाकी दुनिया से कब दूर हो गए।

    लाइक, शेयर और कमेंट की प्रतिस्पर्धा में उलझ रहे

    बच्चे हों या युवा, सभी आभासी दुनिया में अपने होने का एहसास दिलाने के लिए लाइक, शेयर, मैसेज, कमेंट के बीच बिना मतलब की प्रतिस्पर्धा में उलझ रहे हैं। ऐसे में मनचाहा प्रत्युत्तर न मिलने पर चिड़चिड़े हो जाते हैं और अनुचित व्यवहार करने लगते हैं। इसके साथ ही दोस्तों का भी अक्सर दबाव रहता है कि उसके कितने फालोवर्स हैं? उसके पास कौन से गैजेट्स हैं? कौन से गेम खेलना उसे आता है? यदि बालक किसी बात में खुद को साथियों से पिछड़ा समझ लेता है तब उसे अपने अस्तित्व का खतरा, सामूहिक बहिष्कार का खतरा, टारगेट पूरा न होने का संकट, विज्ञापनों में दिखने वाली चीजें प्राप्त करने के लिए चोरी, झूठ बोलना या फिर थक हार कर आत्मघाती कदम उठाने जैसे कार्य करने पड़ते हैं।

    संस्कार, सामाजिक एकता को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा

    इंटरनेट मीडिया के जमाने में संस्कार, सामाजिक एकता, पारिवारिक जीवन और सौहार्दता को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। इंटरनेट मीडिया साइट्स पर गुस्से वाली चर्चा से हमारे घरों के संस्कार गायब हो रहे हैं। जैसे जानवरों के साथ लैब में तरह तरह के प्रयोग किए जाते हैंं, उसी प्रकार इंटरनेट मीडिया की दुनिया में मनुष्य भी प्रायोगिक जीव बन कर रह गया है।

    बच्चों ने सीखे इंटरनेट मीडिया पर बहस के संस्कार, बोले- गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ने की जरूरत

    कठपुतली की तरह प्रयोग कर रही इंटरनेट साइट्स

    हमारे स्क्रीन की दूसरी तरफ संचालित हो रही मशीनें हम पर हर पल नजरें रखें हुए हैं। जिससे हमारी भावनाओं और प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित किया जा चुका है। बच्चे हो युवा सभी इन साइट्स की कठपुतली से बढ़कर कुछ भी नहीं है, पैसा कमाने के खातिर हमारी सोच को नियंत्रित कर दिया है। बच्चे दबाव में आकर इनके नापाक इरादों का हिस्सा बनते जा रहे हैं।

    बच्चों का विश्वास जीतकर समस्या जानना जरूरी

    अभिभावकों को सबसे पहले यह समझना होगा कि इंटरनेट आज मनुष्य का इस्तेमाल टूल की तरह कर रहा है। डिजिटल दुनिया युवा पीढ़ी के उज्ज्वल भविष्य में बाधक बन रही है। उन्हें चाहिए कि बच्चे के मन में अपने प्यार व संबंधों के प्रति इतना विश्वास भर दें कि वह बिना हिचक अपनी सभी समस्याएं आपसे साझा कर सकें।

    जागरण संस्कारशाला के लिए यह लेख मुन्नी पंत, प्रवक्ता गणित, डीएवी स्कूल हल्द्वानी ने उपलब्ध कराया है।

    comedy show banner
    comedy show banner