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    Study in Ukraine-Russia : मेडिकल की सस्ती पढ़ाई के चलते यूक्रेन बना भारतीय छात्रों की पहली पसंद

    By Prashant MishraEdited By:
    Updated: Sat, 26 Feb 2022 10:09 AM (IST)

    Study in Ukraine-Russia भारत नीट में अच्छे अंक लाने के बावजूद देश के सरकारी मेडिकल कालेजों में प्रवेश नहीं मिल पाता है। निजी मेडिकल कालेजों में एक करो ...और पढ़ें

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    भारत में भी एमबीबीएस की पढ़ाई सस्ती होनी चाहिए, जिससे कि विद्यार्थियों को मजबूरी में विदेश न जाना पड़े।

    जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : भारत के निजी मेडिकल कालेजों में महंगी पढ़ाई है। सरकारी मेडिकल कालेजों में प्रवेश न होने के कारण ही भारतीय विद्यार्थी विदेश में पढऩे जाते हैं। यूक्रेन में ही जहां देश भर के करीब 20 हजार विद्यार्थी हैं, वहीं कुमाऊं के भी 60 से अधिक छात्र- छात्राएं फंसे हुए हैं। डाक्टर बनने के लिए सस्ती पढ़ाई के चलते विद्यार्थी विदेश का रुख करते हैं। जानकार कहते हैं कि रूस के अलावा यूक्रेन अधिकांश विद्यार्थियों की पसंद में है।

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    शाइबेन मेडिकल एंड हायर एजुकेशन कंसलटेंसी के निदेशक डा. संदीप गौड़ का कहना है कि नीट में अच्छे अंक लाने के बावजूद देश के सरकारी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस के लिए प्रवेश संभव नहीं हो पाता है। निजी मेडिकल कालेजों में एक करोड़ रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं, जबकि रूस, यूक्रेन के अलावा बांग्लादेश समेत तमाम देशों में एमबीबीएस की पढ़ाई 15 से 20 लाख रुपये में हो जाती है। यही कारण है कि अभिभावक अपने बच्चों को डाक्टर बनाने के लिए विदेश भेजते हैं।

    सस्ती फीस होना ही बड़ा कारण : डा. खुराना

    इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डा. जेएस खुराना ने बताया कि भारत में निजी मेडिकल कालेेजों में महंगा शुल्क होने की वजह से विद्यार्थी विदेश में पढ़ाई के लिए जाते हैं। हालांकि पढ़ाई के बाद जब भारत आते हैं तो उन्हें प्रैक्टिस के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन की परीक्षा क्वालिफाई करनी होती है। भारत में भी एमबीबीएस की पढ़ाई सस्ती होनी चाहिए, जिससे कि विद्यार्थियों को मजबूरी में विदेश न जाना पड़े।

    देश में मेडिकल की करीब एक लाख सीटेें

    देश में मेडिकल की करीब एक लाख सीटें हैं, जबकि 16 लाख से अधिक बच्चे परीक्षा में बैठते हैं। सीटें सीमित होने की वजह से विद्यार्थी प्रवेश पाने से भी वंचित रह जाते हैं। इस वजह से वह कम पैसे में विदेश की डिग्री लेने के लिए अधिकांश छात्र यूक्रेन व रूस का रुख करते हैं। यही वजह है कि यूक्रेन से भारतीय छात्रों की जो भी जानकारी सामने आ रही है वे सभी मेडिकल स्टूडेंट हैं।

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