Russia Ukraine News : यूक्रेन पर हमले के बाद भारतीय छात्रों का यह है हाल, वीडियो काॅल से बताई आपबीती
Russia Ukraine Latest News यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां पढ़ने गए छात्रों के परिजन चिंतित हैं। वह लगातार टीवी पर आंखें गड़ाए हैं। उत्तराखंड के ऊ ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, रुद्रपुर : Russia Ukraine Latest News यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ट्रेन व हवाई सेवा ठप कर दी गई है। इससे यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए उत्तराखंड के छात्रों के स्वजन काफी परेशान हैं। बेटों को सुरक्षित भारत लाने के लिए स्वजनों ने केंद्र सरकार से गुजारिश की है। छात्र भी समझ नहीं पा रहे हैं कि उनकी घर वापसी कैसे होगी। वह लगातार वहां के हालात व अपने सुरक्षित होने की वीडियो काल से जानकारी दे रहे हैं।

पिछले कई दिनों की तनातनी 24 फरवरी को हमले के रूप में बदल गई। गुरुवार को रूस ने यूक्रेन (Ukraine) पर हमला कर दिया। उत्तराखंड के रुद्रपुर, किच्छा सहित ऊधम सिंह नगर के सात छात्र यूक्रेन में टर्नोपिल नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। यूक्रेन सरकार ने पहले कक्षाएं आनलाइन संचालित करने से मना कर दिया था। अवकाश पर सिर्फ 15 दिन देने की अनुमति थी। यहीं नहीं एयर टिकट का किराया भी कई गुना बढ़ गया था।
यूक्रेन की हालात खराब होने के बीच रुद्रपुर निवासी जावेद अंसारी व उनके दोस्तों ने 27 फरवरी को भारत आने के लिए एयर टिकट बुक कराया है। किच्छा निवासी उनके एक दोस्त अफसान 20 फरवरी को भारत के लिए चला, मगर वह सऊदी अरब में ही रुक गया है।
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प्रीत विहार रुद्रपुर निवासी जावेद अंसारी ने दैनिक जागरण को बताया कि यूएस नगर के अर्श मलिक, अफसान मलिक, एजाज खान, ओसामा व दो और साथ ही है। अर्श ने 20 फरवरी को भारत जाने के लिए फ्लाइट टिकट लेकर गया। पर वह सऊदी अरब में ही रह गया। हवाई सेवा व ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया है। ऐसे में फिलहाल भारत जाना मुश्किल हो गया है। 27 फरवरी को एयर टिकट बुक किया गया है। जब ट्रेन व हवाई सेवा बंद कर दी गई तो फिर भारत कैसे पहुंचेंगे। यह समझ में नहीं आ रहा है।
जावेद के परिवार ने भारत सरकार से गुजारिश की कि सरकार कोई रास्ता निकाल कर यूक्रेन में फंसे छात्रों को सुरक्षित भारत लाए। जावेद की मां हज्जन जरीफा का कहना है कि हम लोग गरीब है, उनका बेटा यूक्रेन में फंसा है। मोबाइल पर बात होती है, पर वह सुरक्षित भारत कैसे आएगा, इसे लेकर बहुत चिंता है। इसी कालोनी निवासी अर्श मलिक के पिता अकील अहमद का कहना है कि भारत सरकार ही छात्रों को यहां लाने का रास्ता निकाल सकती है। अर्श का बड़ा भाई शोएब जर्मनी में नौकरी करता है।

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