Road Safety: अभियान से नैनीताल डीएम भी जुड़े, छात्र-छात्राओं संग अभिभावकों को भी पढ़ाएंगे सड़क सुरक्षा की ABCD
Road Safety with Jagran सड़क सुरक्षा से जुड़े ऐसे तमाम बिंदुओं पर डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने जागरण संवाददाता गणेश जोशी से बातचीत की। उन्होंने खुद को इस मुहिम से जोड़ते हुए स्कूल स्तर पर व्यापक अभियान चलाने की बात कही है। पेश है बाचतीत पर आधारित संक्षिप्त रिपोर्टI
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : Road Safety with Jagran: जिस गति से वाहनों की संख्या बढ़ रही है, उसी रफ्तार से सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ भी बढ़ रहा है। इन दुर्घटनाओं का मुख्य कारण कभी चालक की लापरवाही तो कभी सरकारी सिस्टम की अनदेखी है। हादसों में कोई अनाथ होता है तो किसी का सुहाग उजड़ जाता है। किसी का परिवार तबाह तो कोई आजीवन दिव्यांग सी जिंदगी जीने को मजबूर रहता है। हृदय को द्रवित कर देने वाली आए दिन की घटनाओं के बावजूद सरकारी सिस्टम हो या लोग, जागरूक नहीं होते।
सड़क सुरक्षा से जुड़े ऐसे तमाम बिंदुओं पर डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने जागरण संवाददाता गणेश जोशी से बातचीत की। उन्होंने खुद को इस मुहिम से जोड़ते हुए स्कूल स्तर पर व्यापक अभियान चलाने की बात कही है। पेश है बाचतीत पर आधारित संक्षिप्त रिपोर्ट-
सवाल : आप सड़क सुरक्षा समिति के अध्यक्ष हैं। समिति की बैठक में आपका फोकस किन बिंदुओं पर रहता है?
जवाब : बैठक में यह देखा जाता है कि कहां-कहां अधिक दुर्घटनाएं हो रही हैं। जैसे कि ब्लैक स्पाट, बाटल नेक सड़कों के अतिरिक्त डिवाइडर की कमी और चौराहे आदि। इन्हीं बिंदुओं पर फोकस करते हुए इस समस्या को जल्दी से जल्दी दुरुस्त करने का प्रयास रहता है, जिससे दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।
सवाल : ब्लैक स्पॉट हो या फिर सड़क से जुड़ी अन्य कमियां। इन खामियों को दूर करने के लिए संबंधित विभागीय अधिकारियों की ओर से अक्सर बजट का रोना रोया जाता है। ऐसा क्यों?
जवाब : शहरी क्षेत्रों में हमें बजट की दिक्कत नहीं होती है। यहां पर प्राधिकरण आदि मदों से सड़क सुरक्षा से जुड़े कार्य करवा लिए जाते हैं। सड़क सुरक्षा समिति के पास जो भी मामले आते हैं, उनका प्रस्ताव शासन को भेजा जाता है। शासन स्तर से समय रहते बजट स्वीकृत हो जाता है। बजट की कमी का मामला कभी-कभी ही आता है।
सवाल : अधिकारियों के स्तर पर वादे बहुत किए जाते हैं, लेकिन जहां पर निगरानी का सवाल है, वहां पर अक्सर चूक नजर आती है। इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब : सड़क सुरक्षा के लिए निगरानी बहुत जरूरी है। यह महत्वपूर्ण विषय है। इसके लिए अधिकारियों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। परिवहन, पुलिस आदि संबंधित विभागों को लगातार निगरानी करनी होगी। वाहन कहां से आ रहे हैं और कहां जा रहे हैं? ट्रांसपोर्ट विभाग की जिम्मेदारी है कि ओवरलोडिंग और उम्र पूरी कर चुके वाहनों की चेकिंग कर कार्रवाई को लेकर और सख्ती बरती जाए। जिम्मेदार अधिकारियों का मकसद दुर्घटनाएं कम करना होना चाहिए।
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सवाल : सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन कैसे करवाया जाए? इसके लिए आपके पास क्या कोई ठोस योजना है?
जवाब : बच्चे ही नहीं, युवा व बुजुर्ग भी बिना हेलमेट के फर्राटा भरते हैं। यातायात के नियमों का पालन नहीं करते हैं। इसके लिए सबसे पहले जरूरी है जागरूकता। खासकर जब स्कूलों में पैरेंट्स टीचर बैठक होती है, उन्हें यातायात के नियमों की जानकारी अवश्य देनी होगी। वैसे भी लोगों को जितना अधिक जागरूक किया जाए उतना अच्छा है। स्कूल-कालेजों में छात्र-छात्राओं को यातायात के नियमों पाठ पढ़ाया जाएगा। बुजुर्गों व महिलाओं को भी अलग-अलग स्तर पर यातायात के नियमों की जानकारी दी जाएगी। इस पर मेरी अधिकारियों के स्तर पर विस्तृत चर्चा हो चुकी है। इस अभियान को जल्द लागू कर दिया जाएगा। वैसे भी दैनिक जागरण का यह अभियान सराहनीय है। निश्चित तौर पर इससे लोगों में और अधिक जागरूकता आएगी।
डीएम के कुछ और सुझाव
- दोपहिया वाहन चलाते समय अनिवार्य रूप से हेलमेट पहनें
- कार चालते समय सीट बेल्ट का अवश्य उपयोग करें
- सड़क सुरक्षा से जुड़े नियमों का पालन करें
- नींद आने पर कभी भी वाहन न चलाएं
- जिम्मेदार अधिकारी लगातार चेकिंग करते रहें
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