रिमोट सेंसिंग का उपयोग न हो तो व्यर्थ है इसरो का सेटेलाइट लांच करना : प्रो. मीनाक्षी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मीनाक्षी कुमार ने कहा कि रिमोट सेंसिंग का उपयोग होना शिक्षा में जरूरी हो गया है।
नैनीताल, जेएनएन : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मीनाक्षी कुमार का कहना है कि रिमोट सेसिंग का उपयोग शिक्षा व शोध में नहीं हो सका तो इसरो को सेटेलाइट लांचिंग में अरबों रुपये का बजट खर्च करना व्यर्थ है। उन्होंने रिमोट सेसिंग के माध्यम से आपदा, दावानल, आतंकी घटना, समुद्र भूकंप, ग्लेशियर, जलवायु परितर्वन जैसे ज्वलंत विषयों पर शोध कर योजनाएं तैयार करने पर जोर दिया। कहा कि सुदूर संवेदन को कुमाऊं विवि के समस्त पाठ्यक्रमों में शामिल करने को भी जरूरी करार दिया।
डीएसबी परिसर में इसरो के सहयोग से भू विज्ञान तथा हिमालयी क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधन, प्रबंधन में रिमोट सेंसिंग और जीआइसी के प्रयोग विषयक आउटरीच कार्यक्रम हुआ। विभागाध्यक्ष प्रो. पीसी तिवारी ने अतिथियों का स्वागत करने के साथ ही आपदा प्रबंधन, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में रिमोट सेंसिंग की उपयोगिता बताई। इसरो कोर्डिनेटर डॉ. प्रकाश चन्याल ने बताया कि इसरो की ओर से नोडिल सेंटर में मुफ्त सर्टिफिकेट कोर्स संचालित किया जाता है। एक सेंटर 2016 से भूगोल विभाग में संचालित है, जिसमें 48 कोर्स पूरे हो चुके हैं। मुख्य अतिथि प्रो. मीनाक्षी ने कहा कि वर्तमान में कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिसमें रिमोट सेंसिंग का प्रयोग नहीं हो रहा हो। कहा कि जहां मानव पहुंच नहीं हो पाती, वहां रिमोट सेंसिंग से सेटेलाइट इमेज प्राप्त कर शोध किया जा सकता है। धन्यवाद ज्ञापित प्रो. आरके पाण्डे ने किया। इस अवसर पर प्रो. एचसी चंदोला, प्रो. एससी सती, प्रो. आरएस जलाल, प्रो. ललित तिवारी, प्रो. एमसी जोशी, डॉ. रमेश चंद्रा, डॉ. विजय कुमार, प्रो. आरसी जोशी, डॉ. राजकुमार, डॉ. दीपक, डॉ. कपिल खुल्बे आदि मौजूद थे। संचालन डॉ. संतोष कुमार ने किया।
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