पुलिस इन दिनों हिस्ट्रीशीटरों व बदमाशों की कमाई का जरिया पता करने में जुटी
पुलिस इन दिनों हिस्शीटट्रीर व बदमाशों की कमाई का जरिया पता करने में जुटी है। सीओ ने इस बाबत थाना-चौकी प्रभारियों से रिपोर्ट मांगी है।
हल्द्वानी, जेएनएन : पुलिस इन दिनों हिस्ट्रीशीटर व बदमाशों की कमाई का जरिया पता करने में जुटी है। सीओ ने इस बाबत थाना-चौकी प्रभारियों से रिपोर्ट मांगी है। जिसके बाद से सभी अपने एरिया के हिस्ट्रीशीटरों के वर्तमान रोजगार व धंधों की कुंडली खंगाल रहे हैं। पुलिस का दावा है कि अगर कोई भी बदमाश खौफ के जरिये पैसा कमाता पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
कोतवाली हल्द्वानी व तीन थाना क्षेत्रों में कुल 63 हिस्ट्रीशीटर है। इनके खिलाफ कई मामले न्यायालय में विचाराधीन में है। वहीं बात अगर इनके रहन-सहन की करे तो अधिकांश ऐशोआराम से जिंदगी काट रहे हैं। जबकि कोई स्थायी काम इनके पास हल्द्वानी में रहते हैं और रोजगार से जुड़ा कोई नियमित साधन इनके पास नहीं है। वहीं सूत्रों की माने तो ऐश से रहने वाले ज्यादातर एचएस प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर प्रापर्टी के कारोबार से जुड़े हैं। शहर के कई नामी प्रापर्टी डीलरों ने इन्हें अपने साथ रखा है। क्योंकि अगर जमीन की खरीद-बिक्री से जुड़ा मामला लफड़े वाला है तो इनका खौफ दिखाकर काम आसानी से हो जाता है। वहीं राजनीतिक सरपरस्ती हासिल होने की वजह से आम लोग इनके खिलाफ शिकायत करने तक नहीं आते। अब पुलिस अंदरखाने इनके रिहायशी ठाठ का जरिया पता करने में जुटी है।
शहर में रहने वाले हिस्ट्रीशीटर व बदमाशों की इनकम का जरिया पता करने के निर्देश दिए गए हैं। अगर कोई भी गलत काम के जरिये पैसा कमाते मिला तो उसके खिलाफ पुलिस कार्रवाई करेगी। सभी के काम-ध्ंाधों की पूरी सूची तैयार करवाई जा रही है।
- दिनेश चंद्र ढौंडियाल, सीओ हल्द्वानी
बनभूलपुरा में सबसे ज्यादा बदमाश
कोतवाली हल्द्वानी व तीन थाने की संख्या जोड़कर कुल 63 हिस्ट्रीशीटर है। इनमें सबसे अधिक थाना बनभूलपुरा में 24 है। कोतवाली की लिस्ट में 22, काठगोदाम थाना क्षेत्र में नौ व मुखानी में आठ हिस्ट्रीशीटर है। सात लोग सालों से लापता होने की वजह से पहेली बने हैं। वर्तमान में आठ एचएस सक्रिय सूची में शामिल है।
अधिकारियों तक पहुंची शिकायत
पिछले दिनों जमीन से जुड़े कुछ मामलों में आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों के दखल देने की बात सामने आई थी। वहीं सूत्रों की माने संबंधित थाने की बजाय अधिकारियों को शिकायती पत्र भेज कार्रवाई करने की मांग उठी थी।
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