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चेक बाउंस में हार्डवेयर कारोबारी को छह माह कारावास व जुर्माने की सुनाई सजा

चेक बाउंस के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट/सिविल जज सीनियर डिवीजन हल्द्वानी ने हार्डवेयर कारोबारी को दोषी करार देकर छह माह कारावास और दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 12:47 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 12:47 PM (IST)
चेक बाउंस में हार्डवेयर कारोबारी को छह माह कारावास व जुर्माने की सुनाई सजा
चेक बाउंस में हार्डवेयर कारोबारी को छह माह कारावास व जुर्माने की सुनाई सजा

हल्द्वानी, जेएनएन : चेक बाउंस के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट/सिविल जज सीनियर डिवीजन हल्द्वानी ने हार्डवेयर कारोबारी को दोषी करार देकर छह माह कारावास और दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। हार्डवेयर कारोबारी को 63 हजार रुपये मूल रकम के साथ पीडि़त को 12 हजार रुपये मुआवजा भी एक माह के भीतर देना होगा। मुआवजा नहीं देने पर हार्डवेयर कारोबारी को छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

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वरिष्ठ अधिवक्ता बसंत जोशी ने बताया कि आरटीओ रोड पर ग्राम जयदेवपुर स्थित मै. फौजी ट्रेडर्स के स्वामी हरेंद्र सिंह से कालाढूंगी रोड स्थित मै. मंसा ट्रेडर्स के स्वामी मनोज सिंह बिष्ट ने वर्ष 2012-13 में 238 बैग सीमेंट 63210 रुपये में खरीदा था। मनोज बिष्ट ने हरेंद्र को 210 रुपये नकद व 63 हजार रुपये का कूर्मांचल नगर सहकारी बैंक लि. शाखा मुखानी का चेक दिया। हरेंद्र ने भुगतान प्राप्त करने के लिए चेक बैंक में प्रस्तुत किया, जो 15 अप्रैल 2013 व 23 अप्रैल 2013 को बाउंस हो गया। इस पर हरेंद्र ने अपने अधिवक्ता की ओर से मनोज को नोटिस भेजा, लेकिन भुगतान नहीं किया गया। 29 जून 2013 को हरेंद्र ने न्यायिक मजिस्ट्रेट/सिविल जज सीनियर डिवीजन हल्द्वानी में मनोज सिंह बिष्ट के विरुद्ध 138 एनआइ एक्ट का वाद दायर किया।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने अपना आदेश सुनाया है।

न्यायिक मजिस्ट्रेट/सिविल जज सीनियर डिवीजन हल्द्वानी संगीता आर्य ने मनोज को धारा 138 एनआइ एक्ट का दोषी ठहराया है। इस अपराध के लिए मनोज को छह माह का साधारण कारावास व दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। जुर्माना अदा नहीं करने पर एक माह का अतिरिक्त कारावास होगा। इसके अलावा मनोज को हरेंद्र के 63 हजार रुपये के साथ ही धारा 357 (1)(ख) के तहत 12 हजार रुपये एक माह में देने होंगे। नहीं देने पर मनोज को छह माह का अतिरिक्त कारावास होगा।

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