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यहां पीठ और डोली ही एंबुलेंस है, क्‍योंकि सड़क अब तक इन गांवों में नहीं पहुंची nainital news

पहाड़ के गांवों के लोग कई किमी पैदल पहाड़ पर चढ़ते हैं फिर सड़क मिलती है। ऐसे में कोई बीमार हो जाएं तो पीठ और डोली को ही एंबुलेंस बनना पड़ता है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 06:09 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 06:09 PM (IST)
यहां पीठ और डोली ही एंबुलेंस है, क्‍योंकि सड़क अब तक इन गांवों में नहीं पहुंची nainital news
यहां पीठ और डोली ही एंबुलेंस है, क्‍योंकि सड़क अब तक इन गांवों में नहीं पहुंची nainital news

पिथौरागढ़, जेएनएन : 70 साल हो गए गांव में नहीं पहुंची बिजली.., 70 साल हो गए गांव तक नहीं पहुंची सड़क... 70 साल की ऐसी दुहाई देने वाली दलीलें आपने बहुत सुनी होंगी, ये खबर उन्‍हीं दलीलों का अक्‍स है। पहाड़ जहां जीवन की रोजमर्रा जरूरतों को पूरा करने के लिए लोगों को हर दिन संघर्ष करना पड़ता है, उनके लिए नेताओं के वादे सिर्फ भरम हैं। सुदूर के कई ऐसे गांव हैं जहां कभी सड़क पहुंचेगी भी यह लोग सोच तक नहीं सकते। पहला कारण है जनप्रतिनिधियों में राजनीतिक इच्‍छा शक्ति की कमी और दूसरा भौगोलिक स्थिति। इन गांवों के लोग कई किलोमीटर पैदल पहाड़ पर चढ़ते हैं फिर सड़क मिलती है। ऐसे में कोई बीमार हो जाए तो पीठ और डोली को ही एंबुलेंस बनना पड़ता है। जाहिर तौर पर यहां एंबुलेंस नहीं पहुंच सकती है।

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मरीज को डोली में लेकर सात किमी पैदल चले

पिथौरागढ़ सदर तहसील का एक गांव है क्वारबन। जिला मुख्यालय से इस गांव की दूरी 47 किमी है। गांव अभी भी सड़क से सात किमी की दूरी पर है। सड़क से गांव तक का पैदल मार्ग ऊबड़-खाबड़ है वहीं एक तरफ खाई है। यहां के बुजुर्ग देव सिंह बीमार पड़ गए। गांव में एंबुलेंस का आना तो संभव नहीं था ऐसे में उन्हें अस्पताल लाने के लिए दशकों पुराने ढर्रे यानी डोली पर बैठाकर सात किमी पैदल चढ़ाई पर लाना पड़ा। खाई के रास्‍ते ऊपर चढ़ना जानलेवा होता है। सड़क से पिथौरागढ़ आने तक वाहन से दो घंटे और लगे। गांव के शमशेर चंद बताते हैं कि सड़क की मांग करते-करते ग्रामीण थक चुके हैं। जनप्रतिनिधियों के झूठे आश्वासनों से तंग आ चुके हैं।

नौ किमी पीठ पर लेकर पहुंचे अस्‍पताल

पिथौरागढ़ जिले के ही तहसील गणाईगंगोली का पिथौरागढ़-अल्मोड़ा सीमा से लगा पभ्या गांव। यह गांव सड़क से चार किमी की चढ़ाई पर है। गांव से सड़क तक चार किमी का तीखा ढलान है। जिसमें रोगी को डोली से ला पाना संभव नहीं है। जिसके चलते उपचार के लिए रोगियों और गर्भवती महिलाओं को नौ किमी दूर गणाईगंगोली लाना पड़ता है। जहां से अल्मोड़ा रेफर किया जाता है। रोगी को 90 किमी दूर अल्मोड़ा जाकर उपचार मिल  पाता है। स्थानीय सीएचसी में तकरीबन सभी मरीज को रेफर कर दिया जाता है। पभ्या गांव के पूर्व ग्राम प्रधान पूर्व सैनिक कै. भूपाल सिंह डोबाल 81 वर्ष बीमार हैं। शुक्रवार को उनकी तबीयत गंभीर होने पर ग्रामीण उन्हें पीठ पर रख कर अस्पताल ले गए। इस गांव में कुछ वर्षों पूर्व तक 52 परिवार थे। सड़क और स्वास्थ्य की सुविधा नहीं होने से 18 परिवारों ने बीते पांच वर्षों में गांव छोड़ दिया है और अब गांव में केवल 34 परिवार रह चुके हैं।

जनप्रतिनिधियों का रश्‍मी जवाब भी सुन लीजिए

चंद्रा पंत, विधायक, पिथौरागढ़ ने बताया कि नेपाल सीमा से लगे क्वारबन के लिए सड़क का प्रस्ताव है। गांव के लिए शीघ्र सड़क का निर्माण होगा। विधानसभा के सभी गांवों को सड़क से जोड़ा जा रहा है। वहीं गंगोलीहाट की विधायक मीना गंगोला ने कहा कि पभ्या गांव के लिए सड़क स्वीकृत है, जिसके लिए सर्वे भी हो चुकी है। सड़क निर्माण में आ रही वन भूमि के निस्तारण की प्रक्रिया चल रही है। निस्तारण होते ही सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ हो जाएगा।

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