पीसीबी कुमाऊं में सिर्फ 400 होटलों की कर रहा निगरानी, बाकियों का कहां जा रहा गंदा पानी
पर्यावरण संरक्षण के नियमों का पालन कराने के लिए बने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नजर में कुमाऊं के पांच जिलों में सिर्फ चार सौ होटल व रिसॉर्ट हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : पर्यावरण संरक्षण के नियमों का पालन कराने के लिए बने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नजर में कुमाऊं के पांच जिलों में सिर्फ चार सौ होटल व रिसॉर्ट हैं। यह आंकड़ा चौंकाने वाला है क्योंकि जितने होटलों का पीसीबी में रजिस्टे्रशन है, उतने सिर्फ नैनीताल शहर में ही संचालित होते हैं। ऐसे में पीसीबी को पता ही नहीं है कि बाकि होटल व रिसॉर्ट संचालक अपने होटल का गंदा पानी कहां छोड़ते हैं और इनके किचन से निकलने वाला धुआं कहां जाता है। गंदा पानी नदी, नहर व गूल में छोडऩे से प्रदूषण बढ़ रहा है।
पीसीबी में उद्वयोगों का कराना होता है रजिस्ट्रेशन
कुमाऊं में ऊधमसिंह नगर जनपद को छोड़कर पांच पर्वतीय जिलों में पर्यटन रोजगार का बड़ा साधन होने के कारण बड़ी संख्या में यहां होटल व रिसॉर्ट स्थापित हैं। नियमानुसार इन उद्योगों के संचालन के लिए पीसीबी में रजिस्ट्रेशन कराना होता है, ताकि बोर्ड के पास पूरा डाटा रहे, जिससे समय-समय पर चेकिंग करने में भी आसानी होती है, मगर ताज्जुब वाली बात यह है कि तीन माह पहले तक पंजीकृत होटलों की संख्या सिर्फ 250 थी। ऑनलाइन आवेदन कर 150 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया। ऐसे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े होते हैं।
रामनगर में 150 होटल-रिसॉर्ट
जिम कॉर्बेट पार्क की वजह से रामनगर में होटल कारोबार लगातार बढ़ रहा है। रामनगर में होटल व रिसॉर्ट की संख्या करीब 150 है। ढिकुली, ढेला, क्यारी, कुमेरिया, सांवल्दे, छोई एरिया में यह मौजूद है।
कुमाऊं में 1500 से ज्यादा होंगे होटल
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हल्द्वानी के अधिकार क्षेत्र में नैनीताल, अल्मोड़ा, चंपावत व पिथौरागढ़ क्षेत्र आता है। होटल उद्योग नैनीताल, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ जनपद में ज्यादा है। इन इलाकों में करीब 1500 छोटे-बड़े होटल होंगे।
धर्मशालाओं के बारे में भी नहीं पता
होटल-रिसॉर्ट के अलावा धर्मशालाओं का रजिस्ट्रेशन भी पीसीबी में जरूरी है। कमरों के हिसाब से शुल्क जमा कर लाइसेंस मिल जाता है, मगर बोर्ड के पास धर्मशाला का डाटा भी नहीं है। डॉ. आरके चतुर्वेदी, क्षेत्रीय प्रबंधक पीसीबी ने बताया कि होटल व रिसॉर्ट मालिक लगातार आवेदन कर रहे हैं, जिसके बाद टीम निरीक्षण कर रजिस्टे्रशन भी कर रही है।
यह है प्रक्रिया
शासन ने ऑनलाइन आवेदन की सुविधा दे रखी है। आवेदन मिलने पर पीसीबी की टीम मौके पर जाकर गंदे पानी के निस्तारण का जायजा लेती है। किचन में चिमनी आदि का निरीक्षण करने के बाद ओके रिपोर्ट दी जाती है। लिस्ट में शामिल होने पर औचक छापामारी करने में भी आसानी होती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।