Move to Jagran APP

कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ हाेंगे उत्तराखंड हाईकोर्ट के जज nainital news

कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ अब उत्तराखंड हाईकोर्ट के जज होंगे। 12 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय की कोलेजियम ने सरकार काे प्रस्‍ताव भेजा था।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 11:39 AM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 11:39 AM (IST)
कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ हाेंगे उत्तराखंड हाईकोर्ट के जज nainital news
कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ हाेंगे उत्तराखंड हाईकोर्ट के जज nainital news

नैनीताल, जेएनएन : कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ अब उत्तराखंड हाईकोर्ट के जज होंगे। 12 फरवरी को  सर्वोच्च न्यायालय की कोलेजियम ने दिल्ली, महाराष्ट्र और कर्नाटक के न्यायाधीशों को हरियाणा, मेघालय और उत्तराखंड में तबादले की सिफारिश करते हुए सरकार को संस्‍तुति भेजी थी।

loksabha election banner

कोलेजियम ने भेजा था सरकार को प्रस्‍ताव

कोलेजियम ने कर्नाटक के न्यायधीश रवि विजयकुमार मलिमथ को उत्तराखंड उच्च न्यायालय, दिल्ली के न्यायाधीश डॉ.एस मुरलीधर को हरियाणा उच्च न्यायालय और महाराष्ट्र उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रंजीत वी. मोरे को मेघालय उच्च न्यायालय में भेजने का प्रस्ताव दिया था । अब भारत सरकार के विधि एवं न्याय मंत्रालय द्वारा इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। उत्तराखंड उच्‍च न्‍यायालय में मुख्य न्यायाधीश समेत 11 जज तय हैं। न्‍यायाधीशों की संख्‍या बढ़ने से लंबित पड़े मामलों में सुनवाई तेज हो सकेगी।

क्‍या है कोलेजियम, कैसे करती है काम

उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया के सम्बन्ध में संविधान में कोई व्यवस्था नहीं दी गई है। यह कार्य शुरू में सरकार द्वारा ही अपने विवेक से किया जाया करता था। 1990 के दशक में सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप करना शुरू किया और एक के बाद एक कानूनी व्यवस्थाएँ दीं। इन व्यवस्थाओं के आलोक में धीरे-धीरे नियुक्ति की एक नई व्यवस्था उभर के सामने आईं। इसके अंतर्गत जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की अवधारणा सामने आई।

सीजेआई व वरिष्ठतम न्यायाधीश होते हैं कॉलेजियम के सदस्य

सर्वोच्च न्यायालय में भारत के मुख्य न्यायाधीश तथा वरिष्ठतम न्यायाधीश कॉलेजियम के सदस्य होते हैं। ये कॉलेजियम ही उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के जजों की नियुक्ति के लिए नाम चुनती है और फिर अपनी अनुशंसा सरकार को भेजती है। सरकार इन नामों से ही न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए कार्रवाई करती है। कॉलेजियम की अनुशंसा राष्‍ट्रपति के लिए बाध्‍यकारी नहीं है। यदि राष्ट्रपति किसी अनुशंसा को निरस्त करते हैं तो वह वापस कॉलेजियम के पास लौट जाती है। परन्तु यदि कॉलेजियम अपनी अनुशंसा को दुहराते हुए उसे फिर से राष्ट्रपति को भेज देती है तो राष्ट्रपति को उस अनुशंसा को मानना पड़ता है।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंडी गीत की धुन से अमेरिका की फर्स्‍ट लेडी का संतूर बजाकर गौरी बनर्जी ने किया स्वागत

यह भी पढ़ें : गुटबाजी दरकिनार कर साथ आए कांग्रेसी, हरदा बोले-आपकी लालटेन के लिए तेल लेकर खड़ा रहूंगा 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.