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    हल्‍द्वानी के इन लोगों से सीखें घर के कचरे का इस्तेमाल, तैयार कर रहे जैविक खाद nainital news

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Mon, 17 Feb 2020 05:13 PM (IST)

    शहर में आबादी के साथ ही कचरे का पहाड़ भी ऊंचा होता जा रहा है। इससे निजात के लिए केवल प्रधिकरण ही नहीं बल्कि देश के हर नागरिक का कर्तव्य है।

    हल्‍द्वानी के इन लोगों से सीखें घर के कचरे का इस्तेमाल, तैयार कर रहे जैविक खाद nainital news

    हल्द्वानी, शहबाज अहमद : शहर में आबादी के साथ ही कचरे का पहाड़ भी ऊंचा होता जा रहा है। इससे निजात के लिए केवल प्रधिकरण ही नहीं बल्कि देश के हर नागरिक का कर्तव्य है। लोगों को यह जानना होगा कि घर से निकलने वाला कचरा जैविक खेती के लिए वरदान साबित हो रहा है। साथ ही कृत्रिम खाद की तुलना में काफी सस्ता और लाभकारी भी है। इससे खेती व फसल को कोई नुकसान नहीं है। ऐसे ही हल्द्वानी के कुछ लोग यह पहल कर रहे हैं। शुरुआत अपने घरों से की है। घर के कचरे का इस्तेमाल कर उससे जैविक खाद तैयार कर रहे हैं।

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    कचरे के सदुपयोग से फैलाई हरियाली

    पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए फूलों से घर को सजाने तक ही नहीं बल्कि अपने घर के कचरे को कचरा की तरह इस्तेमाल करने के  बजाए घर में जैविक खाद बनाकर किचन गार्डन बनाने का प्रयास किया जा सकता है। कुसुखेड़ा निवासी रेवती कांडपाल ने यह कदम उठाया है, पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए पिछले सात साल से लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक कर रही है। उन्होंने अपने घर से निकलने वाले रोजाना के वेस्ट मटेरियल को एक गड्ढे में एकत्रित करती है। जहां करीब तीन माह बाद जैविक खाद के तैयार हो जाता है। उसी खाद का इस्तेमाल से घर के गमलों में फल व सब्जियों का उत्पादन करती है।

    जैविक खेती पर्यावरण के लिए है सुरक्षित

    गौरा पड़ाव के किसान अनिल काफी लंबे समय से जैविक खेती करते है। जिसमें उन्हें काफी उपलब्धि भी हासिल हुई है। ऐसे में खेती किसानी का शौक रखने के अलावा विभिन्न फूलों का उत्पादन करना भी पसंद करते है। उसके लिए खुद से तैयार की गई जैविक का इस्तेमाल करते है। घर का सारा कचरे को एक डर्म में एकत्रित करने के बाद उसमें जैविक खाद तैयार करते है। खेती को सौ फीसद जैविक बनाने के साथ ही फूल और सब्जियों का उत्पादन भी जैविक करते है। इसके अलावा अनिल जैविक खेती के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण भी देते है।

    ऐसे तैयार होता है जैविक खाद

    रेवती व अनिल ने बताया कि हमारे सामने पर्यावरण को बचाए रखने का महात्वपूर्ण दायित्व है। जैविक खाद तीन प्रकार से तैयार किया जाता है। सिटी कुपोस्ट विधि के जरिये वे खाद बनती है। इसमें सबसे पहले गीला और सूखा कचरा को अलग किया जाता है। फल सब्जियों का छिलका और वेस्ट जैसी गीले कचरे को डर्म में डाला जाता है। इसमें सबसे नीचे नीम के पत्ते डाले जाते है। इसके अलावा गाय का मल, गुड़, नीम आदि भी का इस्तेमाल किया जाता है। डर्म को बंद रख देते है। करीब 25 दिनों के बाद यह कचरा कंपोस्ट खाद के रूप में तैयार हो जाता है। इसको तैयार होने में करीब एक महीने लग जाता है। इसका इस्तेमाल गार्डेनिंग में कर सकते है।

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