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पलायन करने की बजाए हरगोविंद ने खेती करने की ठानी, दूसरों के लिए बने प्रेरणा nainital news

पर्वतीय गांवाें में मूलभाूत सुवि‍धओं की कमी के चलते लोग पलायन करने को मजबूर हैं। वहीं पिथौरागढ़ के चौबाटी में हरगोविंद ने 30 वर्ष पूर्व गांव में ही कुछ करने का मन बनाया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 16 Feb 2020 07:11 PM (IST)Updated: Sun, 16 Feb 2020 08:05 PM (IST)
पलायन करने की बजाए हरगोविंद ने खेती करने की ठानी, दूसरों के लिए बने प्रेरणा nainital news
पलायन करने की बजाए हरगोविंद ने खेती करने की ठानी, दूसरों के लिए बने प्रेरणा nainital news

डीडीहाट (पिथौरागढ़), जेएनएन : पहाड़ पलायन का दंश झेल रहा है। गांव वीरान हो रहे हैं तो खेत बंजर पड़ रहे हैं। सरकारी योजनाएं गांवों से पलायन रोकने में तमाम खामियों के चलते सक्षम नहीं हैं। सारी स्थिति प्रतिकूल होने के बाद भी कुछ ग्रामीण मिसाल बने हैं। ऐसी ही मिसाल पेश की चौबाटी क्षेत्र के खैतोली गांव निवासी हरगोविंद भट्ट ने। जिला तहसील मुख्यालय से लगभग दस किमी की दूरी पर एक सुंदर स्थल है चौबाटी। जहां पर प्रकृति ने अपनी कृपा बरसाई है। इसी चौबाटी क्षेत्र का गांव है खैतोली। आम पर्वतीय क्षेत्र की तरह यहां पर भी सुविधाओं की कमी के चलते पलायन हुआ है। पर्यावरण के प्रति लगाव और पलायन के दर्द से आहत हरगोविंद ने 30 वर्ष पूर्व गांव में ही कुछ करने का मन बनाया।

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हरगोविंद की बगिया में 23 प्रजाति की वनस्पति

पर्यावरण प्रेम और वन्य जीवों के प्रति सहिष्णु 76 वर्षीय हरगोंविद ने वर्ष 1990 से गांव को ही अपनी कर्मस्थली बनाया और अपनी साठ नाली जमीन को जैव विविधता से लेकर लुप्त हो रही प्रजातियों को उगाना प्रारंभ किया। वर्तमान में हरगोविंद की बगिया में 23 प्रजाति की वनस्पति है। जिसमें जड़ी बूटी से लेकर नींबू प्रजाति के अलावा अखरोट, सुरई, शिलिंग, पीपल, बांज व रामबांस का पौधरोपण किया। देखते ही देखते साठ नाली जमीन को एक जंगल बना दिया। जिस जंगल में जड़ी-बूटी की खुशबू है तो पर्याप्त मात्रा में रामबांस है जिससे आसपास के लोग रस्सी बना कर आजीविका चला रहे हैं।

मानसून काल में पौधरोपण के लिए पौधे खरीदता है वन विभाग

मानसून काल में पौधरोपण के लिए हरगोविंद से वन विभाग से लेकर अन्य लोग पौध खरीदते हैं। वहीं हरगोविंद अपनी स्वेच्छा से मंदिर परिसरों, विद्यालय परिसरों व सरकारी अस्पतालों के परिसर में शुद्ध हवा के लिए पौधरोपण करता है। जिसके चलते लोगों को शुद्ध हवा मिल रही है। पर्यावरण के प्रति लोगों को प्रोत्साहित कर अपने गांव, खेतों को बंजर नहीं रहने देने के लिए प्रेरित करता है। हरगोंविद ने यह सब बिना किसी सरकारी मदद के अपने बूते किया है।

दो बार सम्मानित हो चुके हैं हरगोविंद

पर्यावरण संरक्षण के प्रति समर्पित हरगोविंद भट्ट दो बार सम्मानित हो चुके हैं। लगभग पांच वर्ष पूर्व तत्कालीन जिलाधिकारी एचसी सेमवाल ने हरगोविंद को सम्मानित किया था। इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर तहसील मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में एसडीएम केएन गोस्वामी ने उन्हें सम्मानित किया ।

युवा अपने खेतों को बनाएं रोजगार का जरिया

हरगोविंद भट्ट ने बताया कि पहाड़ से पलायन और बंजर होते खेत अभिशाप है। खेतों में हमेशा हरियाली रहनी चाहिए तभी पर्यावरण बचा रहेगा। खेतों से ही गांव में रह कर आजीविका की जा सकती है। गांव, घर से दूर जाकर नौकरी करने के स्थान पर यदि युवा अपने खेतों को ही रोजगार का माध्यम बनाए तो पहाड़ की सबसे बड़ी समस्या पलायन पर अंकुश लग सकता है।

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