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    उत्तराखंड में छह साल में महज 21 हजार युवाओं को मिल सका रोजगार NAINITAL NEWS

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 13 Sep 2019 06:34 PM (IST)

    युवाओं को रोजगार देने में राज्य की सरकारी मशीनरी पूरी तरह हांफ गई है। सरकार के पास युवाओं के लिए न तो सरकारी नौकरियां हैं और न ही प्राइवेट।

    उत्तराखंड में छह साल में महज 21 हजार युवाओं को मिल सका रोजगार NAINITAL NEWS

    हल्द्वानी, भानु जोशी : युवाओं को रोजगार देने में राज्य की सरकारी मशीनरी पूरी तरह हांफ गई है। सरकार के पास युवाओं के लिए न तो सरकारी नौकरियां हैं और न ही प्राइवेट। सेवायोजन विभाग भी अब बेरोजगारी का आंकड़ा गिनने भर तक सीमित रह गया है। विभाग की ओर से पिछले छह साल में लगाए गए 624 रोजगार मेलों में शामिल 84 हजार युवाओं में से केवल 21 हजार (25.42 फीसद) को ही रोजगार मिल सका। जबकि वर्तमान में राज्य में बेरोजगारों की संख्या आठ लाख से अधिक पहुंच चुकी है।

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    उत्तराखंड में सेवायोजन विभाग की ओर से हर साल बड़ी संख्या में अलग-अलग जिलों में रोजगार मेलों का आयोजन किया जाता है। जिनके माध्यम से युवाओं को उनकी योग्यता के आधार पर प्राइवेट कंपनियां नौकरी देती हैं। सरकारी नौकरियां सीमित होने के बाद से युवाओं की आखिरी उम्मीद यही रोजगार मेले हैं। मगर, राज्यभर से प्राप्त बीते छह साल के आंकड़े इन रोजगार मेलों की हकीकत बयां करने के लिए काफी हैं। वर्ष 2014-15 में राज्यभर में 32.58 व वर्ष 2015-16 में 36 फीसद युवाओं को रोजगार मेलों से रोजगार प्राप्त हुआ, मगर इसके बाद से रोजगार मेलों में भाग लेने वाले युवाओं की संख्या तो बढ़ी, लेकिन रोजगार कम हो गया। आलम यह रहा कि वर्ष 2016-17 में केवल 21 व 2017 से 2019 तक हर साल 23 फीसद युवा ही रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। 

    आंकड़ों की जुबानी

    वर्ष              मेले      प्रतिभागी युवा     चयनित युवा 

    2014-15     72        5,027            1,638

    2015-16     150       9,328             3,421

    2016-17     106       12,915           2,773

    2017-18     172       31,481           7,515

    2018-19     105       23,827           5,678

    2019-20     18        1,799             428

    प्लेसमेंट ट्रैकिंग की भी नहीं है कोई व्यवस्था

    रोजगार मेलों के माध्यम से जिन युवाओं को रोजगार दिया जाता है उनकी प्लेसमेंट ट्रैकिंग की भी कोई व्यवस्था नहीं नहीं है। यह तक जानने की कभी कोशिश नहीं की गई कि क्या उन युवाओं को कंपनियां वादे के अनुसार वेतन या काम दे भी रही हैं या नहीं। कई युवाओं को ट्रेनिंग पीरियड के बाद कंपनियां वापस घर भेज देती हैं। ऐसे में इन रोजगार मेलों का क्या उद्देश्य रह जाता है। 

    रोजगार मेले के सहारे संबंधित विभाग  

    जेएस नगन्याल, निदेशक, सेवायोजन उत्तराखंड ने बताया कि रोजगार मेलों के माध्यम से अधिक से अधिक युवाओं को रोजगार मिल सके, इसके लिए प्रत्येक जिले में सितंबर से फरवरी तक हर माह मेले लगाए जाएंगे। साथ ही कुमाऊं व गढ़वाल में मेगा रोजगार मेले भी लगाए जाएंगे। जिनमें किसी भी जिले का युवा भाग ले सकता है।

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