Leopard terror In Haldwani : शरीरिक रूप से कमजोर लोगों को अपना शिकार बना रहा है बूढ़ा तेंदुआ
नैनीताल जिले के सोनकोट में 23 जुलाई को जब तेंदुआ ने भगवती देवी पर हमला किया तो वहां पर अन्य महिलाएं भी थी लेकिन टारगेट शरीर से कमजोर भगवती को बनाया गया।
हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : नैनीताल जिले के सोनकोट में 23 जुलाई को जब तेंदुआ ने भगवती देवी पर हमला किया तो वहां पर अन्य महिलाएं भी थी लेकिन टारगेट शरीर से कमजोर भगवती को बनाया गया। काठगोदाम में जंगल के अंदर जब बीते शनिवार को तेंदुए का अटैक हुआ तब भी बुजुर्ग पुष्पा देवी ही गुलदार के निशाने में रहीं। दोनों घटनाओं में तेंदुए ने आसपास मौजूद किसी दूसरे शख्स पर हमला नहीं किया। सोमवार सुबह तेंदुए ने एक और युवक पर झपटने की कोशिश की मगर साथियों के शोर मचाने पर भाग गया। वन विभाग इन तीन घटनाओं को अनुमान लगा रहा है कि आदमखोर तेंदुआ बूढ़ा हो चुका है। शारीरिक तौर पर अक्षम होने के कयास भी लग रहे हैं।
एचएमटी से अंदर को निकलने वाली सड़क पर इन दिनों प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत काम चल रहा। सोमवार सुबह ठेकेदार का कर्मचारी अपने साथियों संग सड़क पर टहल रहा था। इस बीच तेंदुए ने पीछे से हमला कर दिया। शोर मचाते ही वह फरार हो गया। हमले में घायल कृष्णा को बेस में प्राथमिक उपचार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। मनोरा रेंज के रेंजर भूपाल सिंह मेहता व फतेहपुर रेंजर अमित ग्वासीकोटी ने बताया कि जंगल में हुई दो घटनाओं से पता चलता है कि तेंदुआ आसान टारगेट को तलाशने के बाद हमला करता है।
वहीं, कृष्णा पर हमले के बाद साथियों के हल्ला मचाते हैं वो भाग गया। जबकि आमतौर पर व्यस्क तेंदुआ दूसरों पर भी झपट पड़ता है। और हमले के दौरान असफल भी कम ही रहता है। वहीं, तेंदुए की तलाश में दो रेंजर और दो डिप्टी रेंजर समेत वन विभाग के कुल 51 कर्मचारी जुटे हैं। इसमें मनोरा रेंज के 16 व फतेहपुर रेंज के 36 वनकर्मी शामिल है। इस बात की भी चर्चा है कि पंजे या दांत टूटने की वजह से वह आदमखोर की भूमिका में आ चुका है।
मुआवजे का चेक बना
पुष्पा सांगुड़ी की मौत के बाद वन विभाग ने एक लाख रुपये परिवार को सौंपे थे। जबकि रेंजर बीएस मेहता ने अपनी और से अंतिम संस्कार को दस हजार दिए थे। रेंजर के मुताबिक दो लाख का चेक डीएफओ दफ्तर से बन चुका है। आज पीडि़त परिवार परिवार को यह रकम भी दी जाएगी।
फतेहपुर में चार और मनोरा में एक असलहा
शिकारियों को छोड़ दिया जाए तो वन विभाग की टीम के पास हथियारों की कमी भी है। ऐेसे में किसी हादसे के दौरान खुद की जान बचाना भारी पड़ जाएगा। फतेहपुर रेंज की टीम के पास फिर भी चार असलहे हैं लेकिन मनोरा रेंज सिर्फ एक 315 बोर की राइफल है। जबकि इस रेंज के डिप्टी रेंजर के पास एक टैंकुलाइज गन है।

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