एनजीटी ने कोसी और दाबका में नए स्टोन क्रशर के लाइसेंस पर लगाई रोक
सक्खनपुर के ग्रामीणों द्वारा याचिका पर बड़ा फैसला सुनाते हुए एनजीटी द्वारा कोसी और दाबका क्षेत्र में नए स्टोन क्रशर के लाइसेंस जारी करने पर तत्काल रोक लगा दी है।
रामनगर, जेएनएन : सक्खनपुर के ग्रामीणों द्वारा याचिका पर बड़ा फैसला सुनाते हुए एनजीटी द्वारा कोसी और दाबका क्षेत्र में नए स्टोन क्रशर के लाइसेंस जारी करने पर तत्काल रोक लगा दी है। बता दें कि सक्खनपुर निवासी अनिलपुरी, शीतल सरीन और पवनपुरी ग्रामीणों द्वारा एनजीटी में याचिका दायर कर कहा गया था कि क्षेत्र में अधाधुंध नए क्रशरों के लाइसेंस बांटे जा रहे हैं, जिससे आम और लीची के लिए प्रसिद्ध इस क्षेत्र का पर्यावरण दूषित हो रहा है। साथ ही कॉर्बेट का पर्यावरण भी दूषित हो रहा है।
गांव में लग रहे मनराल स्टोन क्रशर और आरके स्टोन क्रशर के निर्माण के विरुद्ध ग्रामीणों की सुनवाई न होने पर उन्होंने एनजीटी का रूख किया। एनजीटी द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर सख्ती की गई और जुर्माना लगाया गया तो बोर्ड ने मनराल स्टोन क्रशर की स्थापना का लाइसेंस निरस्त कर दिया, जिसके विरुद्ध फि र मनराल स्टोन क्रशर द्वारा एनजीटी में पुनर्विचार प्रार्थना पत्र डाला गया, जिसे 15 मई को एनजीटी ने निरस्त करते हुए कोसी और दाबका क्षेत्र में इन नदियों की वैज्ञानिक दोहन क्षमता का निर्धारण न होने तक सभी नए स्टोन क्रशर लगाने व लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दी है।
ग्रामीणों का कहना था कि कोसी और दाबका नदियों खनन की क्षमता से कहीं अधिक स्टोन क्रशर लगने से क्षेत्र में अवैध खनन को बढ़वा मिल रहा है। याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे उच्च न्यायालय के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि एनजीटी ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि जिन स्टोन क्रशर को पिछले साल इस क्षेत्र में स्थापना या संचालन लाइसेंस मिले हैं, वे भी निरस्त किए जाते हैं।
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