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भारत से होकर न जाना पड़े उच्च हिमालय के ग्रामीणों को इसलिए नेपाल बना रहा पैदल मार्ग

भारतीय भू भाग को अपना बता कर नए नक्शे के प्रस्ताव को संसद में पारित कराने वाला नेपाल अब भारतीय सीमा से सटे संपर्क मार्गों को दुरुस्त करने में जुट गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 14 Jun 2020 09:31 PM (IST)Updated: Mon, 15 Jun 2020 09:23 AM (IST)
भारत से होकर न जाना पड़े उच्च हिमालय के ग्रामीणों को इसलिए नेपाल बना रहा पैदल मार्ग
भारत से होकर न जाना पड़े उच्च हिमालय के ग्रामीणों को इसलिए नेपाल बना रहा पैदल मार्ग

पिथौरागढ़, ओपी अवस्थी : भारतीय भू भाग को अपना बता कर नए नक्शे के प्रस्ताव को संसद में पारित कराने वाला नेपाल अब भारतीय सीमा से सटे संपर्क मार्गों को दुरुस्त करने में जुट गया है। कालीनदी पार मालपा के पास नेपाल ने मार्ग सही करने का काम शुरू भी कर दिया है। इस मार्ग के दुरुस्त होने के बाद नेपाल के उच्च हिमालयी क्षेत्रों के लोगों को भारत होकर अपने गांव नहीं जाना पड़ेगा। वहीं धारचूला एसडीएम एके शुक्ला ने इस बात की तस्दीक करते हुए बताया कि नेपाल भारतीय सीमा से सटे पैदल मार्गों को दुरुस्त कर रहा है। यह उसी के रास्ते हैं, लिहाजा कुछ ज्यादा नहीं कहा जा सकता। भारतीय प्रशासन व सीमा पर तैनात जवान हर गतिविधि पर नजर रखे हैं।

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तीन साल पहले भारी बारिश में ध्वस्त हो गए थे दोनों के रास्ते

भारत और नेपाल में काली नदी किनारे उच्च हिमालय जाने के लिए पैदल मार्ग थे। तीन वर्ष पूर्व क्षेत्र में भारी बारिश और आकाशीय बिजली गिरने से भारत और नेपाल दोनों के ही सीमावर्ती क्षेत्र में भारी नुकसान हुआ था। इससे दोनों देशों में सीमावर्ती क्षेत्र के पैदल मार्ग ध्वस्त हो गए थे। भारतीय क्षेत्र में नजंग से लेकर लामारी तक मार्ग ध्वस्त हो गए थे। ऐसे में दोनों देशों की सरकारों के सामूहिक निर्णय पर दो स्थान पर अस्थाई पुल बना कर भारत-नेपाल के बीच ग्रामीणों ने आवाजाही शुरू की थी।

गत महीनों भारत के रास्ते ग्रामीणों ने किया था माइग्रेशन

मार्च-अप्रैल में नेपाल के उच्च हिमालयी गांव छांगरु और टिंकर के ग्रामीणों ने माइग्रेशन भारत के रास्ते ही किया था। नेपाल प्रशासन द्वारा भारतीय प्रशासन से बात की गई थी और बाद में दोनों देशों की सरकारों की अनुमति मिलने के बाद नेपाल के ग्रामीण भारत के रास्ते अपने गांव पहुंचे थे।

नेपाल ने उतारीं मशीनें, मार्ग दुरुस्त करने का काम शुरू

इस वर्ष कोरोना के चलते दोनों देशों में लॉकडाउन है। भारत नेपाल सीमा सील है। आगामी तीस जून तक दोनों देशों ने सीमा सील कर रखी है। भारत सरकार ने तो चीन सीमा और नेपाल सीमा तक सड़क तैयार कर ली है, इससे सीमावर्ती गांवों के लोगों को आवागमन में अब दिक्कत नहीं हो रही है। परंतु नेपाल में पैदल मार्ग आज भी ध्वस्त हैं। अब चूंकि कुछ समय से नेपाल सरकार का नजरिया भारत के प्रति बदला हुआ है, लिहाजा मालपा के सामने से ध्वस्त पड़े पैदल मार्ग को खोलने की कार्यवाही नेपाल ने प्रारंभ कर दी है।

मालपा के निकट काली नदी पार नेपाल में मजदूरों के लिए टेंट लगे हैं। तीन दिन पूर्व नेपाल में हेलीकॉप्टर से टेंट लगे संकरे स्थल पर मशीन पहुंचाई गई है। जिस खतरनाक स्थल पर भारी खतरा उठाते हुए हेलीकॉप्टर उतारा गया, काली नदी से अपनी ओर के रास्ते को दुरुस्त करना शुरू कर दिया है। इस मार्ग के तैयार हो जाने से नेपाल के उच्च हिमालयी क्षेत्र छांगरू और टिंकर के ग्र्रामीणों को भारत में होकर जाना बच जाएगा। यह मार्ग सीधे चीन सीमा से जुड़ता है।

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