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India-Nepal Border Dispute: सरहद पर बिगड़ी नेपाल की नीयत, लांघ रहा सीमा

भारत के साथ संबंधों को लेकर नेपाल की गतिविधियां परेशानी में डालने वाली हैं। नो मैंस लैंड की भूमि पर नेपाल की ओर से अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 07:51 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 09:07 AM (IST)
India-Nepal Border Dispute: सरहद पर बिगड़ी नेपाल की नीयत, लांघ रहा सीमा
India-Nepal Border Dispute: सरहद पर बिगड़ी नेपाल की नीयत, लांघ रहा सीमा

खटीमा (ऊधमसिंह नगर), जेएनएन : भारत के साथ संबंधों को लेकर नेपाल की गतिविधियां परेशानी में डालने वाली हैं। अब नो मैंस लैंड पर भी नेपाल की नीयत बिगड़ी नजर आ रही है। वन विभाग की ओर से अभी तक हुए चिन्हीकरण में नेपाल की ओर से 500 से अधिक लोगों ने नो मैंस लैंड पर अतिक्रमण की जड़ें जमा ली हैं। वहीं इसका दायरा बढ़ता जा रहा है।

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नेपाल ने गर्बाधार-लिपुलेख सड़क को अतिक्रमण कहते हुए रोटी-बेटी के संबंधों में खटास पैदा करने का काम किया है। नेपाल और भारत की सीमाएं खुली हुई हैं। यहां न कोई हदबंदी (तार-बाड़) है और न ही कोई दीवार खड़ी है। केवल पिलर के आधार सीमांकन है, लेकिन भारत और नेपाल के बीच बनी ये सरहद वक्त के साथ मिटती जा रही है। दोनों देशों की सीमा के बीच में स्थित नो मैंस लैंड पर सैकड़ों लोगों ने कब्जा कर लिया है, जो लिपुलेख-गर्बाधार की तरह भविष्य में दोनों देशों के बीच विवाद पैदा कर सकता है। हालांकि अतिक्रमण की जानकारी दोनों देशों के जिम्मेदार अधिकारियों के पास है।

बार्डर के कई पिलर हो गए गायब

भारत-नेपाल की अंतरराष्ट्रीय संवदेनशील सीमा के निर्धारण के लिए लगाए गए कई पिलर गायब हैं। सीमा निर्धारण के लिए उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले की नो मैंस लैंड पर 24 पिलर लगाए हैं, जो सीमा निर्धारित करने का एकमात्र माध्यम है। जिसमें पांच मेन पिलर हैं जबकि 19 सब-पिलर लगाए गए थे। इनमें से 6 पिलर मिसिंग हैं और 2 क्षतिग्रस्त हैं। जिससे नो मैंस लैंड की स्थिति स्पष्टï नहीं हो पा रही है। जिस वजह से खुली सीमा पर अतिक्रमण और भविष्य के विवाद की जड़ें गहरी होती जा रही हैं। एक वर्ष पहले दोनों देशों की बैठक में तय हुआ था कि भारत सम व नेपाल विषम संख्या के पिलरों को स्थापित करेगा लेकिन अतिक्रमण के चलते मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

दस साल पहले हुआ था अतिक्रमण चिह्नित

भारत-नेपाल की नो मैंस लैंड पर अतिक्रमणकारियों का चिह्नीकरण लगभग दस वर्ष पूर्व किया गया था। जिसमें पाया गया कि भारत की ओर से पिलर नंबर 16-17 पर 39 व पिलर 15-16 पर 20 अतिक्रमणकारी बस गए हैं। जबकि नेपाल की ओर से पांच सौ से अधिक अतिक्रमण हैं। मौजूदा समय में इनकी संख्या बढ़ती ही जा रही है। दोनों देशों के बीच इस मसले पर 2019 में भी बैठक हो चुकी है। बावजूद इसके अतिक्रमण हटाने को लेकर नतीजा कुछ निकला नहीं है।

अतिक्रमण बना है समस्‍या

खटीमा के उप प्रभागीय वनाधिकारी बाबूलाल का कहना है कि खटीमा वन रेंज द्वारा भारत-नेपाल सीमा पर 10 साल पहले सर्वे किया गया था। जिसमें नो मैंस लैंड का अतिक्रमण चिन्हित किया गया था। आज भी स्थिति वैसी ही है और अतिक्रमण समस्या बन गया है।

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