कनाडा के बाद अब आस्ट्रेलिया के दूतावास से आईं कुविवि की तीन फर्जी डिग्रियां
कुमाऊं विवि में फर्जी डिग्रियां मिलने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कनाडा उच्चायोग के बाद अब आस्ट्रेलिया के दूतावास से तीन डिग्रियां विवि को ...और पढ़ें

नैनीताल, जेएनएन : कुमाऊं विवि में फर्जी डिग्रियां मिलने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कनाडा उच्चायोग के बाद अब आस्ट्रेलिया के दूतावास से तीन डिग्रियां विवि को मिली हैं, जो जांच में फर्जी निकलीं। वहीं कनाडा से आई 50 डिग्रियों में से 12 के फर्जी होने की पुष्टि के बाद भी कुमाऊं विवि प्रशासन की ओर से पुलिस को तहरीर सौंपने में देरी से सवाल उठने लगे हैं।
मंगलवार को विवि परीक्षा विभाग में करन मेहरा, करमजीत सिंह व जोदवीर की डिग्री सत्यापन के लिए आई थी। परीक्षा नियंत्रक प्रो. संजय पंत के अनुसार, यह डिग्रियां भी प्रथमदृष्टïया ही फर्जी हैं। वहीं उन्होंने बताया कि कनाडा उच्चायोग की आउटसोर्सिंग कंपनी वल्र्ड एजुकेशन सर्विस की ओर से अभी तक फर्जी डिग्री रखने वाले छात्र-छात्राओं का ब्यौरा नहीं मिल पाया है। सर्विस की वेबसाइट में उल्लेख किया गया है कि संस्थान थर्टी फस्र्ट व नववर्ष अवकाश के चलते बंद है। इसलिए ई-मेल का जवाब नहीं मिल पाया है। इसलिए तहरीर अभी नहीं दी जा सकी है। विवि ने अब इस मामले में अब विदेश मंत्रालय से भी सहयोग मांगा है।
सभी डिग्रियों में फर्जी हस्ताक्षर
यहां बता दें कि जिन डिग्रियों को सत्यापन के लिए भेजा गया है, वह विवि से जारी ही नहीं होती हैं। इन डिग्रियों में पूर्व कुलपति प्रो. एचएस धामी को रजिस्ट्रार बताकर फर्जी दस्तखत किए गए हैं। दस साल पहले कुलपति रहे प्रो. सीपी बर्थवाल को 2018 की डिग्री में कुलपति दर्शाया गया है। र्फी डिग्री में असिस्टेंट रजिस्ट्रार परीक्षा के नाम का भी उल्लेख है, जबकि यह पद विवि में है ही नहीं। कुलसचिव डॉ. महेश कुमार के अनुसार, जल्द ही प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
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