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    ग्रीन गोल्ड जिससे आप भी कमा सकते हैं लाखों, जानिए कैसे सरकार कर रही मदद

    By Skand ShuklaEdited By:
    Updated: Fri, 26 Oct 2018 01:04 AM (IST)

    बांस दरअसल एक उद्योग के रूप में तब्‍दील हो चुका है। करोड़ों में इसका कारोबार चल रहा है। चलिए आपको इसके बारे में कुछ ऐसी बातें बताते हैं जो आपकी जिंदगी को एक नई दिशा दे सकती है।

    ग्रीन गोल्ड जिससे आप भी कमा सकते हैं लाखों, जानिए कैसे सरकार कर रही मदद

    बागेश्वर/नैनीताल (जेएनएन): आजकल घरों की खूबसूरती में चारचांद लगाने के लिए बांस के उत्‍पाद खूब इस्‍तेमाल हो रहे हैं। लैंप, फ्लावर पॉट, फ्रेम समेत बांस से बनी विभिन्‍न आकृतियां और फर्नीचर खूब पसंद किए जा रहे हैं। बांस दरअसल एक उद्दोग के रूप में तब्‍दील हो चुका है। लाखों-करोड़ों में इसका कारोबार चल रहा है। चलिए आपको इसके बारे में कुछ ऐसी बातें बताते हैं जो आपकी जिंदगी को एक नई दिशा दे सकती है।

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    बांस की खेती किसानों के लिए हरा सोना साबित हो सकती है। मसलन इसकी उपयोगिता समझकर व्‍यवस्थित तरीके से इसकी खेती की जाए तो। इसके लिए नर्सरी से लेकर पौधरोपण तक किसानों के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिससे काश्तकारों की आय तो बढ़ेगी ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

    खेती पर मिलेगी 50 हजार की सब्सिडी

    सरकार की राष्ट्रीय बांस मिशन योजना के तहत किसानों की स्थिति में बड़ा परिवर्तन आ सकता है। इसके लिए केंद्र व राज्य सरकार मिलकर प्रयास कर रही है। इस योजना में बेरोजगार युवाओं और किसानों को एक हेक्टेयर भूमि में बांस की खेती करने पर 50 हजार रुपये की सब्सिडी मिलेगी। किसानों को बांस की पौध उत्तराखंड बांस एवं रेशा परिषद देहरादून की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी। नर्सरी के लिए भी सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।

    लोन पर भी सरकार देगी सब्सिडी

    उत्तराखंड बांस एवं रेशा परिषद देहरादून की ओर से नर्सरी और अन्य संबंधित सामग्री के लिए बैंक से लोन दिलाया जाएगा। जिस पर किसानों को 50 हजार रुपये की सब्सिडी मिलेगी। यह सब्सिडी तीन वर्ष में तीन किश्तों में दी जाएगी। वहीं, छोटे काश्तकारों को बांस की खेती करने पर एक पौधे पर 120 रुपये की सब्सिडी मिलेगी। तीन साल बाद बांस तैयार होने पर परिषद बांस बेचने का बाजार निर्धारित करेगी।

    रिंगाल के लिए भी हो रहा प्रयास

    बांस की ही प्रजाति रिंगाल के लिए भी किसानों व काश्तकारों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिसमें आजीविका मिशन के तहत रिंगाल की टोकरी व विभिन्न उत्पाद बनाने में इनका प्रयोग किया जाता है। इससे विभिन्न स्तरों पर रोजगार में वृद्धि होगी।

    घर पर ही मिल सकेगा रोजगार

    शशि कुमार दत्त, सीइओ, बांस व रेशा विकास परिषद, देहरादून ने बताया कि बांस व ङ्क्षरगाल की खेती से लोगों को अपने घर पर ही रहकर पक्का रोजगार मिल जाएगा। जिससे रोजगार के लिए दूसरे महानगरों की ओर जाने की जरूरत नहीं होगी। बैंक लोन के माध्यम से लोगो को प्रोत्साहित किया जा रहा है। हरा सोना से लोगों की किस्मत बदलेगी।

    रिंगाल और बांस की खेती करना आसान

    एसएसएस पांगती, मुख्य विकास अधिकारी, बागेश्वर ने बताया कि ङ्क्षरगाल व बांस की खेती करना आसान है। इसके लिए कम जमीन में ही अच्छा उत्पादन किया जा सकता है। इसे कोई भी व्यक्ति थोड़ी जमीन पर भी उगासकता है। इसके लिए वन विभाग भी कार्य कर रहा है। लोगों को रोजगार के लिए यह अच्छा साधन है।

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