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    अपने जूनियर को नया CDS बनते देख गौरवान्वित हुए सेवानिवृत्त ले. जनरल मोहन भंडारी, बाेले- सशत्र सेनाओं को मिलेगी नई दिशा

    By JagranEdited By: Rajesh Verma
    Updated: Wed, 28 Sep 2022 10:40 PM (IST)

    India new CDS सेवानिवृत्त ले. जनरल मोहन चंद्र भंडारी के अनुसार ले. जनरल अनिल चौहान उनसे जूनियर अफसर हैं लेकिन वह उनकी कार्यकुशलता व सैन्य अभियान की नेतृत्व क्षमता से अच्छी तरह परिचित हैं। सर्जिकल स्ट्राइक में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

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    India new CDS : . जनरल चौहान को जनरल विपिन रावत के बराबर ही सम्मान मिले हैं।

    जागरण संवाददाता, नैनीताल : केंद्र की मोदी सरकार में पहाड़ के सैन्य अफसरों को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति का सिलसिला जारी है। अब पौड़ी गढ़वाल के ले. जनरल अनिल चौहान के देश का दूसरा चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (India new CDS) नियुक्त होने से पूरा उत्तराखंड गौरवान्वित हुआ है। हल्द्वानी निवासी ले. जनरल (रि.) मोहन चंद्र भंडारी के अनुसार ले. जनरल चौहान दिवंगत सीडीएस विपिन रावत के चीन व पाक प्रायोजित आतंकवाद की चुनौती से निपटने के प्रयासों को आगे बढ़ाएंगे। उनकी नियुक्ति कर मोदी सरकार ने दुश्मन देशों को कड़ा संदेश दिया है।

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    उत्तराखंड के सैनिकों ने दिखाया है अदम्य शौर्य

    प्रथम व द्वितीय विश्वयुद्ध से लेकर भारत-पाक तथा भारत-चीन युद्ध, कारगिल जंग व आतंकवाद, नक्सलवाद से निपटने में उत्तराखंड के सैनिकों ने शौर्य व अदम्य साहस दिखाया है। परमवीर चक्र से लेकर महावीर चक्र समेत असंख्य सेना मेडल के हकदार बने हैं। उत्तराखंड राज्य में एक लाख सेवारत तथा करीब डेढ़ लाख सेवानिवृत्त सैनिक हैं।

    ले. जनरल भंडारी के जूनियर हैं नए सीडीएस

    रक्षा विशेषज्ञ व कारगिल जंग में डिप्टी डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलट्री आपरेशन सेवानिवृत्त ले. जनरल मोहन चंद्र भंडारी के अनुसार ले. जनरल अनिल चौहान उनसे जूनियर अफसर हैं, लेकिन वह उनकी कार्यकुशलता व सैन्य अभियान की नेतृत्व क्षमता से अच्छी तरह परिचित हैं। जब वह स्वयं ले. जनरल थे तब अनिल चौहान लेफ्टिनेंट थे। चौहान बारामूला में डिवीजन कमांडर भी रहे हैं। सर्जिकल स्ट्राइक में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ले. जनरल चौहान को जनरल विपिन रावत के बराबर ही सम्मान मिले हैं।

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    उत्तराखंड की सैन्य परंपरा आगे बढ़ेगी

    ले. जनरल भंडारी कहते हैं कि ले. जनरल अनिल चौहान के सीडीएस बनने से राज्य की सैन्य परंपरा आगे बढ़ेगी। वैश्विक स्तर पर भारत की रक्षा चुनौतियों का समाधान ही नहीं बल्कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय बढ़ेगा और सशत्र सेनाओं को नई दिशा मिलेगी। ले. जनरल चौहान के संयुक्त राष्ट्र संघ में दी गई सेवा के अनुभव का लाभ भी हमें मिलेगा।

    देवभूमि से ये भी रहे सेना प्रमुख

    जनरल विपिन रावत और अब ले. जनरल अनिल चौहान से पहले अल्मोड़ा दन्या निवासी जनरल बीसी जोशी थल सेनाध्यक्ष तो रानीखेत निवासी एडमिरल डीके जोशी नौ सेना अध्यक्ष रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान 1981 में भारतीय सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स में शामिल हुए। एनडीए खड़कवासला व आइएमए देहरादून के पूर्व छात्र हैं।

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