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बैजनाथ में हुआ था भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह, स्‍कंद पुराण है प्रमाण

कत्यूर घाटी में गोमती नदी के किनारे स्थित प्रसिद्ध पौराणिक व ऐतिहासिक बैजनाथ मंदिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र है। शिवरात्रि में यहां भव्य मेला लगता है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 03 Mar 2019 08:08 PM (IST)Updated: Sun, 03 Mar 2019 08:08 PM (IST)
बैजनाथ में हुआ था भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह, स्‍कंद पुराण है प्रमाण
बैजनाथ में हुआ था भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह, स्‍कंद पुराण है प्रमाण

चंद्रशेखर बड़सीला, बागेश्वर : कत्यूर घाटी में गोमती नदी के किनारे स्थित प्रसिद्ध पौराणिक व ऐतिहासिक बैजनाथ मंदिर श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र है। शिवरात्रि में यहां भव्य मेला लगता है। कहा जाता है कि देश में मात्र बैजनाथ ही ऐसा मंदिर है जहां पर शिव-पार्वती की पूजा लिंग रूप में नहीं बल्कि मूर्त रूप में होती है। यहां मां पार्वती की पांच फिट की श्याम रंग की अष्टधातु से बनी आदमकद मूर्ति है। यहीं पर ही भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह भी हुआ था।
स्कंदपुराण के मानसखंड में बैजनाथ का वर्णन किया गया है। जिसमें भगवान शिव पार्वती से कहते हैं कि हिमालय क्षेत्र में ऋषि मुनियों के आश्रमों के नजदीक गोविंद चरण से निकली गोमती और गरुड़ गंगा के संगम के पास कुछ दूरी पर एक प्रसिद्ध शिवलिंग है, जो बैजनाथ नाम से जाना जाता है। हे पार्वती, हमारा विवाह भी यहीं हुआ। इसको देखने के लिए देव मंडली भगवान ब्रह्मा व विष्णु के साथ यहां आई। हमारे पुत्र कर्तिकेय ने भी यहीं जन्म लिया। शिवरात्रि के दिन यहां शिव के दर्शन-पूजन को श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है।

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एक रात में हुआ था मंदिर समूह का निर्माण
बैजनाथ स्थित शिव-पार्वती मंदिर का निर्माण एक लाख कत्यूरी वीरों ने एक ही रात में किया था। यहां पर मंदिरों का एक समूह है। कुछ लोग कहते हैं कि बैजनाथ मंदिर समूह का निर्माण करने के बाद कत्यूरी राजा तैलिहाट गांव में मंदिर बनाने गए। एक मंदिर का निर्माण अधूरा ही हुआ था कि सुबह हो गई। तब से यह मंदिर अधूरा ही है। इतिहासकारों ने भी लिखा है कि कत्यूरों से पहले यहां बौद्ध मठ था। यहां बंद कमरे में भगवान बुद्ध की एक खंडित मूर्ति भी है। बैजनाथ मंदिर का निर्माण सातवीं-आठवीं शताब्दी में हुआ था।

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