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    दो इनोवा के साथ अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह का एक और सदस्‍य गिरफ्तार Nainital news

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    Updated: Thu, 09 Jan 2020 08:23 AM (IST)

    वाहन चोरी के मामले में नैनीताल पुलिस को एक और सफलता मिली है। पुलिस ने मंगलवार को कानपुर से दो इनोवा के साथ अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह के एक और सदस्य को दबोच लिया।

    दो इनोवा के साथ अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह का एक और सदस्‍य गिरफ्तार Nainital news

    नैनीताल, जेएनएन : वाहन चोरी के मामले में नैनीताल पुलिस को एक और सफलता मिली है। पुलिस ने पिछले दिनों अंतरराज्यीय वाहन चोर गिरोह के गिरफ्तार सदस्यों से पूछताछ के बाद गिरोह के एक अन्य सदस्य को मंगलवार को कानपुर से दो इनोवा के साथ दबोच लिया। गिरफ्तार आरोपित कबाड़ का काम करता है। अब तक पुलिस ने गिरोह से छह लग्जरी वाहन बरामद किए हैं।

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    बुधवार को पुलिस लाइन सभागार में सीओ विजय थापा ने प्रेसवार्ता में बताया कि बीते शनिवार को कनपारा शाहजहांपुर निवासी पर्यटक प्रताप सिंह ने तल्लीताल जेल रोड से इनोवा वाहन चोरी होने की रिपोर्ट तल्लीताल थाने में दर्ज करवाई थी। जिसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस के बर्खास्त सिपाही व गिरोह के सरगना परवेज अहमद पुत्र सलीम निवासी शिया मस्जिद पास, कादिर आसिफ चौराहा नई बस्ती झांसी और रियासत खान पुत्र आले मोहम्मद निवासी सूर्यनगर, उरई जालौन से पूछताछ की गई। उन्होंने इनोवा वाहन चोरी करना स्वीकारते हुए जानकारी दी कि वाहन को सरोजनी नगर, कानपुर के कबाड़ी विशाल जायसवाल को बेचा गया है। इस सूचना के बाद एसआइ दिलीप कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम कानपुर रवाना हुई।

    पुलिस ने मंगलवार को विशाल जायसवाल पुत्र जगदीश कुमार जायसवाल को उसकी दुकान से गिरफ्तार कर नैनीताल से चोरी इनोवा के साथ एक और इनोवा कार बरामद की। पुलिस ने उसके खिलाफ धारा 411/413/414 के तहत मुकदमा दर्ज कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।

    चेचिस और इंजन नंबर लगाकर बेचते थे चोरी के वाहन

    थानाध्यक्ष विजय मेहता ने बताया कि आरोपित विशाल जायसवाल कबाड़ का काम करता है। वह स्क्रैप की गाडि़यां खरीद उसे कबाड़ में बेचता था। लालच में आकर वह चोरी की गाडि़यों के धंधे में आ गया। उसे गाड़ी के कागजात भी मिलते थे। स्क्रैप की गाड़ी के इंजन और चेचिस नंबर को चोरी की गाडि़यों में लगाकर प्रयोग में लाता था। जिसके बाद चोरी की गाड़ी को मय कागजात बेचता था। उसने कबूला कि चोरी के वाहन को 70 से 80 हजार में खरीदकर चार से पांच लाख तक में सौदा किया जाता था।

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