Uttarakhand Lockdown Day 4 : दारोगा सुरेंद्र प्रताप सिंह बिष्ट की नेकी से बलजीत के घर गूंज उठी किलकारी
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जारी लाकडाउन में पुलिसकर्मी हर भूमिका में नजर आ रहे हैं।
खटीमा, जेएनएन : कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जारी लाकडाउन में पुलिसकर्मी हर भूमिका में नजर आ रहे हैं। जहां सख्ती की जरूरत है वहां पूरी दृढता से नियमों का पालन करा रहे हैं और जहां मदद की जरूरत है वहां तन, मन, धन से समर्पित हैं। संकट की इस घडी में शनिवार को पुलिस का एक ऐसा ही मानवीय पहलू नजर आया जिसकी हर कोई सराहना कर रहा है। दरअसल खटीमा में सत्रहमील चौकी प्रभारी सुरेंद्र प्रताप सिंह बिष्ट काेे पता चला एक प्रसव पीडित महिला पीडा से कराह रही है। लेकिन लॉकडाउन के कारण परिवहन की कोई सुविधा नहीं है। लिहाजा उन्होंने अपने वाहन से प्रसूता को अस्पताल पहुंचाया। जहां महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया।
परिजनों को सेनेटाइज करने के बाद प्रसूता को अस्पताल पहुंचाया
ऊधमसिंहनगर जिले के खटीमा नागिरक अस्पताल से 25 किलोमीटर दूर मेहरबान नगर गांव निवासी बलजीत ने चौकी प्रभारी को को फोन किया। उसने बताया कि पत्नी प्रेगनेंट और पीडा से परेशान है। एंबुलेंस 108 आने में अभी वक्त लगेगा, लेकिन तब तक कहीं देर न हो जाए। नजिी वाहन बुक करने की स्थिति में भी नहीं हूं। िबलजीत की पीडा सुनकर चौकी प्रभारी तत्काल अपने वाहन से हमराह सुरेश के साथ पीडित के घर पहुंचे। जहां पहले उन्होंने पीडित परजिनों को कोरोना वायरस के खतरे से अवगत कराते हुए सभी को सेनेटाइज किया। फिर प्रसूता उसकी सास व आशा कार्यकत्री को अपनी कार से नागिरक अस्पताल पहुंचाया। सुरिक्षत अस्पताल पहुंचते ही पुिलस की मानवीयता देख पिरजनाें की आंखे छलक उठी। वे बार बार आभार जताते रहे। चौकी प्रभारी ने कहा कि किसी की मदद करने से बडा दुनिया में दूसरा कोई काम नहीं। पीडित परिजनों का आशीश मिला यही मेरे लिए सबसे बडा सम्मान है। अस्पताल में महिला ने एक बेटी को जन्म दिया। जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित हैं।
लॉकडाउन में खाकी के काम को मिला सम्मान
लॉकडाउन में शानदार पुलिसिंग देखने के लिए मिल रही है। जरूरत के अनुसार जहां सख्ती बरत रहे हैं वहीं, मददगारों के लिए हाथ भी फैलाए हैं। यही कारण रहा कि जब दारोगा सुरेंद्र प्रताप सिंह बिष्ट को प्रसूता की पीड की खबर मिला तो वे बिना कुछ सोचे समझे अपनी कार लेकर मदद के लिए निकल पडे। उन्होंने बताया कि मदद करने के बाद जिस तरीके से पीडित परिजनों ने अाभार जताया वह मेरे लिए किसी भी सम्मान से बडा है। किसी मजबूर की मदद करके मन को सुकून मिला। मेरी थोडी सी मदद के कारण एक परिवार के आंगन में खुशियों की किलकारी गूंज उठी । उन्होंने कहा कि हां ऐसे वक्त में भी सुरक्षा संबंधी जरूरी बातों का ध्यान रखना ही चाहिए।
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