Move to Jagran APP

जनसैलाब की धड़कनों में घुल गया बीरेंद्र का शौर्य, मुख्यमंत्री ने परिवार को दी सांत्वना

पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में खटीमा का लाल भी शहीद हुआ है। शनिवार को शहीद बीरेंद्र का पार्थिव शरीर जैसे ही घर पहुंचा तो लोगों में कोहराम मच गया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 11:05 AM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 07:52 PM (IST)
जनसैलाब की धड़कनों में घुल गया बीरेंद्र का शौर्य, मुख्यमंत्री ने परिवार को दी सांत्वना
जनसैलाब की धड़कनों में घुल गया बीरेंद्र का शौर्य, मुख्यमंत्री ने परिवार को दी सांत्वना

राजू मिताड़ी, खटीमा। मोहम्मदपुर भुडिय़ा गांव में शनिवार की सुबह असामान्य है। अजब-सा सन्नाटा भी है और महान भारत वर्ष के लिए स्वयं को बलिदान करने की धड़कनें भी रह-रहकर फिजा में तैर रही हैं। हो भी क्यों न, बीते दो दिन से गांव का पराक्रम देश-विदेश में चर्चा का विषय बना है। भारतवासियों की रक्षा के लिए अपना बलिदान देने वाले शहीद बीरेंद्र सिंह राणा के पराक्रम की हवाओं में घुली खबर के बाद गांव में उमड़ा जनसमुदाय उनकी पार्थिव देह की प्रतीक्षा कर रहा है। घड़ी की सुई सुबह के 7.20 बता रही है, गांव की मुख्य सड़क पर सीआरपीएफ का वाहन रुक गया है। फिजा में बीरेंद्र तेरा यह बलिदान याद रखेगा हिंदुस्तान की ध्वनियां गंूजने लगी हैं।

क्षेत्र का अमर पराक्रम आज ताबूत में सहेजकर लाया गया है। सफेद फूलों के चक्र के साथ इस ताबूत को भारत सरकार के मंत्री अपने कांधे पर रख गांव के बीच स्थित वीरों में महावीर बीरेंद्र के घर की ओर जा रहे हैं। सुबह के ठीक साढ़े सात बजे हैं। ताबूत को हौले-हौले उतारा जा रहा है। भीतर की ओर से चीत्कार फूट रही है। पिता दीवान सिंह राणा का हृदय गौरव और आंखें आंसुओं से भरी हैं। पत्नी रेनू के क्रंदन पर उनकी वीरांगना की तैरती छवि बता रही है कि देशहित सर्वोपरि है। लेकिन इस सबके बावजूद भावनाओं का ज्वार भी रह-रहकर उमड़ रहा है। अपनी मां व दादा के साथ मासूम रूही व बयान ताबूत से लिपट गए हैं। जब तक सूरज चांद रहेगा बीरेंद्र तेरा नाम रहेगा की ध्वनियों के साथ अपार जन सैलाब के बीच अब अंतिम यात्रा शुरू हो गई है।

इस यात्रा के संगे-साथी दिव्यांग भी हैं, जो दूसरों की पीठ पर सवार होकर भारत माता के अमर सपूत के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर रहे हैं। ढाई साल के बेटे बयान सिंह प्रतापपुर गांव स्थित मुक्तिधा श्मशान घाट पर पिता की चिता को मुखाग्नि दी।
नहीं खोलने दिया गया ताबूत
दिल्ली से आए सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट मुकेश कुमार ने ताबूत को नहीं खोलने का सुझाव दिया और पिता को ताबूत पर लिपटा तिरंगा सौंपा। उमड़े जनसमुदाय ने ताबूत पर रखी गई फोटो के सामने अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त की। ताबूत न खोलने देने की वजह परिवार एवं वहां मौजूद लोग समझ चुके थे।

35 जवानों ने दी सलामी

सीआरपीएफ ग्रुप सेंटर काठगोदाम के 35 जवानों से सलामी दी। इस मौके पर काठगोदाम सीआरपीएफ के डीआइजी प्रदीप चंद्रा, डिप्टी कमांडेंट हेमंत कुमार, अरजीत सिंह, एसआई विकास कुमार आदि मौजूद थे।
सीएम ने कहा परिवार के साथ सरकार
सायं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत शहीद बीरेंद्र के घर पहुंचे। पिता को सांत्वना देते हुए उन्हें शहीद के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। सीएम ने कहा कि शहीद जवानों के परिजन खुद को अकेला न समझें। भाजपा सरकार व पूरा देश उनके साथ खड़ा है। शहीदों के परिजनों को सरकार की घोषणा के अनुरूप सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ ही हर संभव मदद की जाएगी। परिवार के एक सदस्य को नौकरी का वादा पूरा किया जाएगा।

हर दल के नेता पहुंचे श्रद्धांजलि देने

केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्टï, कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्या, विधायक पुष्कर सिंह धामी, नानकमत्ता विधायक डॉ. प्रेम सिंह राणा, मंडी परिषद अध्यक्ष गजराज बिष्टï, पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़, ईश्वरप्रसद गंगवार, टीवीएस अध्यक्ष गोपाल बोरा, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तिलकराज बेहड़, पूर्व युवक कांग्रेस अध्यक्ष भुवन कापड़ी, पूर्व विधायक गोपाल राणा, राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, पूर्व विधायक ललित फस्र्वाण व हेमेश खर्कवाल आदि ने श्रद्धांजलि दी।

loksabha election banner

 यह भी पढ़ें : आतंकी हमले के खिलाफ चौतरफा गम और गुस्सा

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में शहीदों के आश्रितों को सरकारी नौकरी व 25-25 लाख की मदद

यह भी पढ़ें : पुलवामा में आतंकी हमले में उत्‍तराखंड के दो जवान हुए शहीद


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.