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पुलवामा में आतंकी हमले में उत्‍तराखंड के दो जवान हुए शहीद

जम्मू-कश्मीर के जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोरा के पास गोरीपोरा में हुए आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के 44 जवानों में उत्‍तराखंड के भी दो जवान शामिल हैं।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 15 Feb 2019 10:34 AM (IST)Updated: Fri, 15 Feb 2019 09:16 PM (IST)
पुलवामा में आतंकी हमले में उत्‍तराखंड के दो जवान हुए शहीद
पुलवामा में आतंकी हमले में उत्‍तराखंड के दो जवान हुए शहीद

देहरादून, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर में गुरुवार को जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर अवंतीपोरा के पास गोरीपोरा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए। शहीद होने वालों में उत्‍तराखंड के भी दो जवान शामिल हैं। एक जवान उत्‍तरकाशी का, जबकि दूसरा उधमसिंह नगर जिले के खटीमा का रहने वाला था।

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गुरुवार सुबह जम्मू से चले सीआरपीएफ के काफिले में 60 वाहन थे, जिनमें 2547 जवान थे। दोपहर करीब सवा तीन बजे जैसे ही काफिला जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर गोरीपोरा (अवंतीपोरा) के पास पहुंचा, तभी अचानक एक कार तेजी से काफिले में घुसी और आत्मघाती कार चालक ने सीआरपीएफ की 54वीं वाहिनी की बस को टक्कर मार दी। टक्कर लगते ही धमाका हो गया। इससे बस के परखच्चे उड़ गए। इसमें जवान शहीद हो गए। शहीद होने वालों में उत्‍तराखंड के भी दो जवान शामिल हैं। 

शहीद वीरेंद्र सिंह उधमसिंह नगर जिले के खटीमा के मोहम्मदपुर भुढ़िया गांव के रहने वाले हैं। इनके दो छोटे बच्चे है। गुरुवार रात करीब नौ बजे सेना के एक अधिकारी ने उकनी पत्नी को फोन पर शहादत की जानकारी दी है। इसके बाद से घर में कोहराम मचा गया। शहीद वीरेंद्र सिंह राणा के पिता दीवान सिंह है। शहीद वीरेंद्र सिंह के दो बड़े भाई ( जय राम सिंह व राजेश राणा) हैं। जयराम सिंह बीएसएफ के रिटायर्ड सूबेदार हैं, जबकि राजेश राणा घर में खेती बाड़ी का काम देखते हैं। शहीद वीरेंद्र सिंह के बहनोई रामकिशन ने बताया कि वीरेंद्र के दो बच्चे हैं। बड़ी बेटी 5 साल की, जबकि ढाई साल का बेटा है। उन्‍होंने बताया कि वीरेंद्र दो दिन पहले ही 20 दिन की छुट्टी बिताने के बाद जम्मू के लिए रवाना हुआ था। 

वहीं, दूसरा शहीद जवान मोहन लाल रतूड़ी उत्‍तरकाशी के चिन्यालीसौड के बनकोट का रहने वाला है। जम्मू-श्रीनगर हाईवे की सुरक्षा गश्त में तैनात मोहनलाल आतंकियों के निशाने पर आए। मोहनलाल की शहादत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। सीआरपीएफ के अफसरों ने शहीद मोहनलाल के घर पहुंचकर परिजनों का ढांढस बंधाया। इधर, देर रात शहीद मोहनलाल का पार्थिव शरीर दून पहुंच सकता है। शनिवार को हरिद्वार में सैन्य सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी। 

देश की रक्षा में उत्तराखंड के लाल हमेशा शहादत देने में आगे रहे हैं। गुरुवार को पुलवामा के गोरीपोरा (अवंतीपोरा) में सीआरपीएफ बटालियन पर हुए आतंकी हमले में भी प्रदेश के दो लाल शहीद हुए हैं। इनमें उत्तरकाशी, बनकोट के मूल निवासी और हाल निवासी कांवली रोड, एमडीडीए कॉलोनी के एएसआइ 55 वर्षीय मोहनलाल रतूड़ी भी शहीद हुए हैं। मोहन लाल रतूड़ी रामपुर ग्रुप सेंटर की 110 बटालियन में जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर रोड गश्त ड्यूटी में तैनात थे। मोहनलाल की शहादत की खबर सुनते ही परिजनों में  कोहराम मच गया। मोहनलाल की पत्नी सरिता देवी, बेटा शंकर, श्रीराम, बेटी अनुसूइया, वैष्णवी और गंगा के आंखों के आंसू नहीं थमे।

रोते हुए सरिता देवी ने बताया कि 27 दिसंबर को उनके पति मोहनलाल एक माह की छुट्टी बिताकर ड्यूटी गए थे। जहां फोन कर उन्होंने जल्द घर आने की बात कही थी। इधर, मोहनलाल की शहादत की सूचना पर सीआरपीएफ की दून स्थित बटालियन के डीआइजी दिनेश उनियाल, विमल कुमार बिष्ट, कमांडेंट किशोर प्रसाद आदि ने घर पहुंचकर परिजनों को ढांढस बंधाया। कहा कि परिवार की मदद को फोर्स हमेशा उन्हें अपने साथ पाएगी। इसके अलावा कैंट विधायक हरबंस कपूर, कांगे्रस नेता सूर्यकांत धस्माना समेत अन्य ने उनके घर पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी। 

देश की रक्षा को हर वक्त आगे रहते थे मोहनलाल 

मोहनलाल रतूड़ी वर्ष 1988 में सीआरपीएफ के लुधियाना कैंप में भर्ती हुए थे। इसके बाद मोहनलाल ने श्रीनगर, छत्तीसगढ़, पंजाब, जालंधर , जम्मू-कश्मीर जैसे आतंकी और नक्सल क्षेत्र में भी ड्यूटी की है। परिजनों ने बताया कि मोहनलाल हमेशा ही देश रक्षा के ऑपरेशन में आगे रहते थे। एक साल पहले ही मोहनलाल की झारखंड से पोस्टिंग पुलवामा हुई थी। मोहनलाल के बड़े बेटे शंकर रतूड़ी ने बताया कि पिता हमेशा देश की रक्षा को लेकर उनसे बातें करते थे। छत्तीसगढ़ में नक्सली क्षेत्र हो या फिर जम्मू के आतंकी क्षेत्र इनके कई किस्से मोहनलाल ने बच्चों को सुनाए थे। 

वीआरएस लेने से किया मना 

दिसंबर में जब मोहनलाल घर पहुंचे थे तो उनके भतीजे सूर्यप्रकाश रतूड़ी, दामाद सर्वेश नौटियाल आदि ने उन्हें वीआरएस लेने का सुझाव दिया। मगर, मोहनलाल ने कहा कि देश को हमारी जरूरत है। देश की सेवा पूरी करने के बाद ही वह सेवानिवृत्ति होंगे। इस दुख की घड़ी में परिजनों को उनकी देश के लिए दी गई शहादत पर गर्व है। 

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