इमरान की शादी का कार्ड दे रहा हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश, भगवान गणेश व देव वंदना से निमंत्रण
एक तरफ दिल्ली दंगे ने पूरे देश को झकझोर रखा है तो दूसरी ओर ऊधमसिंह नगर जिले का किच्छा क्षेत्र है जहां का सैंजना गांव हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दे रहा है।
किच्छा (ऊधमसिंह नगर) जेएनएन : ‘सोएंगे तेरी गोद में एक दिन मरके, हम दम भी जो तोड़ेंगे तेरा दम भर के, हमने तो नमाजें भी पढ़ी हैं अक्सर, गंगा तेरे पानी से वजू करके...।’ शायर नजीर बनारसी की ये खूबसूरत नज्म हर उस नफरती दौर में दोहराई जाएगी जब एक खूबसूरत मुल्क को तोड़ने की साजिश की जाएगी। यहां इस नज्म का जिक्र बेहद प्रासंगिक है। चलिए बताते हैं क्यों एक तरफ दिल्ली दंगे ने पूरे देश को झकझोर रखा है, तो दूसरी ओर ऊधमसिंहनगर जिले का किच्छा क्षेत्र का एक गांव सैंजना हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश दे रहा है। गांव में रहने वाले इमरान की शादी है। शादी के कार्ड पर हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार भगवान गणेश को छापा है। यही नहीं देव वंदना और चौपाई लिखकर अतिथियों को आमंत्रण दिया जा रहा है। परिवार की इस गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करने की लोग सर्वत्र सराहना कर रहे हैं।
गांव में दोनों समुदायों की मिलीजुली आबादी
किच्छा तहसील के गांव सैंजना की आबादी करीब तीन हजार है। जिसमें हिंदू-मुस्लिम परिवार लगभग बराबर ही हैं। पैदाइश से यहीं रह रहे फरियाद हुसैन के चार बेटे हैं। जिसमें सबसे बड़े बेटे इमरान का पांच मार्च को निकाह है, इमरान के मन में निकाह की परंपरा कुछ हटकर निभाने का विचार आया तो उनके पिता फरियाद और मां जरीना बेगम ने उनके विचारों पर मुहर लगा दी। फिर क्या था, निकाह के कार्ड छपने दे दिए। कार्ड बंटना शुरू हुए तो सर्वत्र चर्चा शुरू हो गई। इमरान निकाह का पहला कार्ड मौलाना को देने गए। इमरान ने बताया कि उम्मीद थी कि मौलाना आपत्ति करेंगे, लेकिन जब मन की बात सुनी तो मौलाना ने अच्छा संदेश देने की बात कहते हुए खुले दिल से तारीफ की। इमरान ने बताया कि पांच मार्च को निकाह है, बारात बहेड़ी जिला बरेली (उप्र) जाएगी।
ससुर जान और पत्नी को भी नहीं आपत्ति
निकाह की तैयारियों में जुटा इमरान होने वाली सुसराल का समर्थन मिलने से भी गदगद है। बोले, ससुर जान मोहम्मद और पत्नी इमराना बी बहुत खुले विचारों के लोग हैं। संकुचित मानसिकता से दूर शिक्षित परिवार है। उन्होंने निकाह में अपनाई जा रही हिंदू-मुस्लिम परंपरा का खुलकर समर्थन किया है।
मंगलवार को हिंदुओं की दावत दी
तीन हजार की आबादी वाले गांव में रह रहे हिंदू परिवारों को भी निकाह की दावत दी गई है। मंगलवार को हिंदू परिवारों को दावत दी गई। उन्होंने बताया कि गांव कि में कभी ये पता ही नहीं चलता कि दो समुदाय के लोग रहते हैं। हमारे गांव की पहचान हमारे नाम और यहां के सद्भाव से ही है।
बीकॉम के बाद अपना काम संभालते हैं इमरान
इमरान के पिता फरियाद हुसैन स्क्रैप का काम करते है। चार भाइयों में सबसे बड़े इमरान ने बी.कॉम की शिक्षा सरदार भगत ङ्क्षसह स्नातकोत्तर महाविद्यालय रुद्रपुर से 2016 में उत्तीर्ण की। उसके बाद वह नगर के एक सस्ता गल्ला विक्रेता का काम संभालने लगे। इमरान के व्यवहार के सभी कायल है। उसके साथ ही उसने जो हिंदू-मुस्लिम एकता को जो परिचय दिया है उसने इमरान की इज्जत सबकी नजर में और बढ़ा दी है।
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