खटारा बसें बनेंगी गरीबों का आसियाना, दिल्ली-हरियाणा की तर्ज पर उत्तराखंड में भी योजना पर काम शुरू
खुले आसमान के नीचे रात बिताने वाले बेघरों का सहारा अब खटारा हो चुकी बसें बनेंगी। जी हां दिल्ली हरियाणा दिल्ली और राजस्थान की तर्ज पर उत्तराखंड में भी इस योजना पर काम शुरू होगा।
रुद्रपुर, जेएनएन : खुले आसमान के नीचे रात बिताने वाले बेघरों का सहारा अब खटारा हो चुकी बसें बनेंगी। जी हां दिल्ली हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान की तर्ज पर उत्तराखंड में भी इस योजना पर काम शुरू होगा। पहले चरण में शहरी विकास निदेशालय इसकी शुरुआत देहरादून और ऊधमसिंहनगर के किच्छा नगर पालिका क्षेत्र से करेगा। किच्छा में इस योजना के लिए 11 शहरी बेघर चिन्हित किए गए हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने मार्च 2018 मेें देश के सभी राज्यों में बेघरों के लिए रैन बसेरा बनाने का आदेश दिया था। जिसमें आदेश का पालन नहीं करने पर पांच राज्योंं पर जुर्माना भी लगाया गया था। कोर्ट की सख्ती के बाद हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान आदि में खटारा बसों में आवास बनाने का काम शुरू किया गया। इसमें खर्च भी कम आया और सुविधाएं भी बेहतर बेहतर मिल रही हैं। इसी तर्ज पर उत्तराखंड में ऊधमसिंह नगर जिले के किच्छा में भी आवास बनाने की योजना है। जिला प्रशासन ने किच्छा नगर पालिका को बस खड़ी रखने के लिए जगह चिन्हित करने का निर्देश दिया है।
नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी संजीव मेहरोत्रा ने बताया कि निदेशालय ने यह अभिनव पहल की है। प्रथम चरण में देहरादून के लिए बसों में आवास बनाए जा रहे हैं। इसके बाद किच्छा में व्यवस्था की जाएगी। बस को मोडीफाइड करके उसमें रहने की व्यवस्था की जाती है। उन्होंने बताया कि बस की व्यवस्था निदेशालय को ही करनी है। बस मिलने के बाद ही बेघरों को इसका लाभ मिलने लगेगा।
1500 एकड़ भूमि सुरक्षित
किच्छा नगर पालिका क्षेत्र में भूमिहीन परिवारों व सिडकुल के लिए करीब 1500 एकड़ जमीन सुरक्षित रखी गई है। जिला स्तर पर अभी तक इस भूमि का कोई प्रयोग नहीं किया गया है। जबकि इसी जमीन पर सभी बेघरों को स्थाई आवास की सुविधा दी जा सकती है।
कम खर्च में अधिक आवास की सुविधा
प्रकाश हर्बोला, उपाध्यक्ष, नगरीय पर्यावरण संरक्षण परिषद (दर्जा राज्य मंत्री) ने बताया कि पुरानी बसों में आवास की व्यवस्था अभी उत्तराखंड में नई योजना है। पहले चरण में इसे देहरादून व किच्छा में लागू किया जा रहा है। जिसमें एक बस में 10 लोगों तक की व्यवस्था की जानी है। कम खर्च में ज्यादा लोगों को आवास की सुविधा मिलेगी।
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